Life Imprisonment : आपसी रंजिश को लेकर पिस्टल से युवक की हत्या के मामले में पूर्व पार्षद बंटी पडियार समेत दो लोगों को आजीवन कारावास
रतलाम,18 जून (इ खबरटुडे)। करीब छ: वर्ष पूर्व आपसी रंजिश को लेकर खेत पर चल रही पार्टी के दौरान पिस्टल से गोली मारकर युवक की हत्या करने के मामले में जिला न्यायालय द्वारा नगर निगम के पूर्व पार्षद पंकज उर्फ बंटी पडियार(माली) और नीरज सांकला को आजीवन कारावास तथा दस दस हजार रु.अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई है। दोषसिद्ध अपराधी पंकज उर्फ बंटी पडियार वर्ष 2014 से 2019 तक नगर निगम में निर्दलीय पार्षद था।
अपर लोक अभियोजक सौरभ सक्सेना ने अभियोजन की जानकारी देते हुए बताया कि घटना दिनांक 27 अगस्त 2018 की रात सवा दस बजे की है। तत्कालीन निर्दलीय पार्षद बंटी पडियार ने अपने जुलवानिया स्थित फार्म हाउस पर एक पार्टी का आयोजन रखा था और इस पार्टी में विजय राठौर,उसके जीजा राकेश पिता प्रकाशचन्द्र राठोड ( नाई),प्रद्युम्न सिसौदिया तथा अनिल सिसौदिया को बुलाया था। फार्म हाउस पर बंटी पडियार के साथ नीरज सांखला,जलज सांखला,मांगीलाल गेहलोत,प्रहलाद और कुछ अन्य लोग भी मौजूद थे।
बंटी पडियार के फार्म हाउस पर चल रही पार्टी में शराब के दौर चल रहे थे। रात करीब सवा दस बजे राकेश राठोड सामने के खेत से लघुशंका निवारण करके आया,तो उसी समय बंटी पडियार पिस्टल लेकर खडा हो गया। बंटी पडियार ने राकेश को कहा कि तू बहुत होशियार बनता है। ऐसा कह कर उसने राकेश पर फायर कर दिया। पिस्टल की गोली राकेश के सिर के बाई तरफ कान के नीचे की ओर लगी। गोली लगने से राकेश जमीन पर गिर पडा और उसकी मौत हो गई। राकेश पर गोली चलाने के बाद आरोपीगम मौके से भाग गए। बाद में मृतक राकेश के साले विजय राठौर ने औद्योगिक क्षेत्र थाने पर पंहुच कर पूरे वाकये की सूचना दी।
विजय की सूचना पर पुलिस बल मौके पर पंहुचा। वहां राकेश की लाश पडी हुई थी। पुलिस ने विजय की एफआईआर पर पंकज उर्फ बंटी पिता नारायण पडियार(माली) नि.शांतिनगर और नीरज सांखला पिता राजेश सिंह नि. लम्बी गली थावरिया बाजार के विरुद्ध हत्या और अवैध शस्त्र रखने का प्रकरण दर्ज कर प्रकरण की जांच आरंभ की। पुलिस ने अनुसंधान पूर्ण कर जिला न्यायालय के सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश राजेश नामदेव के न्यायालय में अभियुक्तगण के विरुद्ध चालान प्रस्तुत किया।
प्रकरण के विचारण के पश्चात विद्वान सप्तम अपर न्यायाधीश राजेश नामदेव ने अभियोजन द्वारा प्रस्तुत कहानी को विश्वसनीय मानते हुए दोनो अभियुक्त गण को दोषसिद्ध करार दिया। विद्वान न्यायाधीश ने अभियुक्त गण को हत्या के अपराध में आजीवन कारावास तथा दस हजार रु.अर्थदण्ड की सजा सुनाई। अर्थदण्ड अदा न करने पर उन्हे तीन तीन मास का सश्रम कारावास अतिरिक्त भुगतना होगा। इसी तरह दोनो अभियुक्तगण को अवैध शस्त्र रखने के मामले में तीन तीन वर्ष के कारावास और एक-एक हजार रु.अर्थदण्ड की सजा भी सुनाई। अर्थदण्ड अदा नहीं करने पर तीन माह का सश्रम कारावास अतिरिक्त भुगतना होगा। अभियोजन पक्ष की सफल पैरवी अपर लोक अभियोजक सौरभ सक्सेना द्वारा की गई ।