भगवान का चिंतन ही बुरी परिस्थितियों से बचाएगा – महामण्डलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानंदजी सरस्वती
– चेतन्य काश्यप फाउंडेशन एवं श्री हरिहर सेवा समिति के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का दूसरा दिन
– म.प्र. संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष भरतदास बैरागी रहे मुख्य अतिथि
रतलाम,30 मई (इ खबरटुडे)। चेतन्य काश्यप फाउंडेशन एवं हरिहर सेवा समिति के तत्वावधान में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के दूसरे दिन बरबड़ स्थित विधायक सभागृह में महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानंद सरस्वतीजी महाराज के सानिध्य में विधायक श्री काश्यप ने पौथी पूजन की। कथा में मुख्य अतिथि म.प्र. संस्कृत बोर्ड अध्यक्ष भरतदास बैरागी रहे। उन्होने स्वामीजी का अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया।
कथा के पूर्व विभिन्न धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठनों द्वारा स्वामी जी का स्वागत अभिनंदन किया गया। इस दौरान मोहनलाल भट्ट, गोविन्द काकानी, मनोहर पोरवाल, संगीतकार सिद्धार्थ काश्यप उपस्थित रहे। स्वामीजी के मुखारविंद से कथा सुनने के लिए हजारों श्रद्धालुजन उपस्थित रहे। कथा के दूसरे दिन महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानंद सरस्वतीजी ने कलयुग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस युग में भी अच्छे लोग होते है, इस बात का साक्षात प्रमाण यह कथा है, जिसका आयोजन राजनीति, सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रहने वाले विधायक चेतन्य काश्यप कथा करा रहे है। सबको अच्छे काम को प्रोत्साहित करना चाहिए।
कलयुग का जितना समय है उतना रहेगा। हम सोचते है कि जब परिस्थिति बदलेगी तब हम कुछ करेंगे। कथा का संदेश यह कहता है कि परिस्थिति बदलने का इंतजार मत करों, आप अभी से प्रयत्न करो परिस्थिति अपने आप बदल जाएगी। उन्होने कहा कि परिस्थिति किसी को रोकती नहीं है लेकिन लोग सुविधा भोगी हो गए है, जो लोग परिस्थिति बदलने की राह देखते है। स्वामीजी ने कहा कि भगवान का चिंतन ही बूरी परिस्थितियों से बचा सकता है, इसलिए सबको भगवान का चिंतन करना चाहिए। कोई कुछ भी कहे आप भगवान का कीर्तन करना छोड़ना नहीं। समय के फेर ने हमारी प्रवृति ऐसी बना दी है कि परिवार के साथ हम फिल्म देखने जाते है लेकिन कथा सुनने नहीं जाते।
जबकि कथा में भी परिवार के साथ जाना चाहिए। यदि बच्चों को संस्कारी बनना है तो उन्हे बचपन से ही कथा में लेकर जाए। हर बच्चे को धर्म की जानकारी होना चाहिए, क्योकि स्कूलों में शिक्षा दे सकते है लेकिन संस्कार कथाओं से मिलेंगे। मुख्य अतिथि श्री बैरागी ने इस अवसर पर कहा कि यह भागवत सामान्य नहीं है। आज गंगा दशहरा है और रतलाम में इसके माध्यम से ज्ञान की गंगा प्रवाहित हो रही है।
इससे समाज सुदृढ़, चरित्रवान और निष्ठावान बनता है। उन्होने कहा कि मातृ शक्ति पीढ़ियों को आगे बढ़ाती है। परिवार कैसा बने वह मातृ शक्ति पर ही निर्भर करता है। मातृ शक्ति ही संपूर्ण भारत का निर्माण कर राष्ट्र को वैभव पर ले जा सकती है। ऐसे धार्मिक प्रसंगों के कारण ही आज भारत पुनः विश्व गुरू के रूप में स्थापित होने जा रहा है।