” फैसला”(लघुकथा)
मिस्टर आर के वागले आज बड़े खुश थे। उनके दोनो बेटे विदेश से आ रहे थे। बेटों को देखकर वागले की खुशी का ठिकाना नहीं रहा एक दिन के बाद दोनों बेटों ने वागले से कहा कि विदेश में उन्होंने एक छोटा सा रेस्टोरेंट पसंद किया है, उसको खरीदना चाहते हैं इसलिए आप यह मकान बेचकर हमारे साथ वही चल कर रहे, वागले को समझ में आ गया था उसके दोनों बेटों का विदेश से आने का कारण। एक दिन बाद वागले ने दोनों बेटों से कहा, बेटा इस मकान का आधा हिस्सा बेच दिया है, उसके एक करोड़ मेरे पास हैं, वह तुम दोनो आपस में बाँट लो। एक हिस्सा मेरे पास है और मैं यही रहूँगा भारत में, यह घर तुम लोगों के लिए खुला है, जब तुम्हें आना हो तब तुम इस घर में आ सकते हो इससे ज्यादा मेरे के पास कोई रकम नहीं है। दोनों बेटों के चेहरे देखने लायक थे।
वागले जी सोच रहे थे, वह सोच रहे थे कि यह फैसला उनका सही है या गलत ?
किंतु उन्हें लगा उनका फैसला सही है। बेटे तो सड़क पर लाने की तैयारी करके आये थे।
इन्दु सिन्हा”इन्दु”
रतलाम(मध्यप्रदेश)
रचना मौलिक ओर स्वरचित है