देवास में खिलौना बने तेंदुए की हालत नाजुक, पैरों पर खड़ा रहने में भी काफी दिक्कतें, इंदौर में इलाज शुरू
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इंदौर, 31अगस्त (इ खबर टुडे)।देवास क्षेत्र में आने वाले इकलेरा माताजी गांव के पास मिले बीमार तेंदुए को इलाज के लिए इंदौर के कमला नेहरू प्राणी संग्रहालय लाया गया। यहां डाक्टर ने उसकी हालत नाजुक बताई है।
उनके मुताबिक, तेंदुए को न्यूरो संबंधित (दिमागी बीमारी) बीमारी हो सकती है, क्योंकि वह अपना मूल स्वभाव पूरी तरह भूल चुका है। साथ ही उसे आंखों से भी कम दिखाई दे रहा है। उसे पैरों पर खड़ा रहने में भी काफी दिक्कतें हो रही है। गुरुवार को जबलपुर के वेटरनरी डाक्टरों का दल भी इंदौर पहुंचा, जिन्होंने खून के नमूने लिए है।
इकलेरा में ग्रामीणों के बीच खिलौना बने तेंदुए का इंदौर में इलाज शुरू हो चुका है। गुरुवार को चिड़ियाघर प्रभारी डा. उत्तम यादव ने चेकअप करने के बाद इंजेक्शन और ग्लूकोस की बोतल चढ़ाई है। डा. यादव ने बताया कि इंफेक्शन होने की वजह से उसका मूवमेंट यानी हलचल कम हुई है। प्राथमिक तौर पर रैबीज व कैनाइन डिस्टेंपर नामक वायरस से पीड़ित जानवर का शिकार कर तेंदुए ने खाया होगा। उस वायरस के तेंदुए के शरीर को इन्फैक्ट करने की आशंका है।
दिमाग पर हुआ इंफेक्शन का असर
डा. यादव ने बताया कि इंफेक्शन का असर दिमाग पर हुआ है। इससे तेंदुआ घुर्राना व हमला करने जैसी हरकत भी नहीं कर रहा है। वह काफी सुस्त हो गया है। वायरस की वजह से आंखों की रोशनी भी कम हो चुकी है, क्योंकि पिंजरें में भी वह कई बार टकरा चुका है। दिमाग का संपर्क भी शरीर से कम हो गया है। डाक्टर उसकी प्रत्येक गतिविधि पर सतत नजर रखेंगे। जरूरत पड़ने पर इलाज में बदलाव किया जाएगा।
दो दिन में आएगी रिपोर्ट
गुरुवार को जबलपुर के दो डाक्टरों की टीम भी चिड़ियाघर पहुंची, जिन्होंने तेंदुए के शरीर से खून के नमून लिए। इन्हें जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया है। इसके अलावा शुक्रवार को कुछ और सैंपल लिए जाएंगे। उसके आधार पर तेंदुए की बीमारी का पता लग सकता है। फिलहाल दिनभर में तीन मर्तबा इंजेक्शन और ग्लूकोस तेंदुए को चढ़ाया जा रहा है।
तेंदुए की पीठ पर ग्रामीणों ने की सवारी
मंगलवार को देवास में आने वाले इकलेरा माताजी गांव में झाड़ियों में तेंदुआ नजर आया। पहले उसे देखकर ग्रामीण घबराए, मगर उसने कोई हरकत नहीं की। ग्रामीण पर हमला भी नहीं किया। यह देखकर लोग उसके पास गए और हाथ फेरने लगे। इसके बाद भी तेंदुए ने कुछ नहीं किया। तब ग्रामीणों की हिम्मत बढ़ गई और उसकी पीठ पर सवारी करने लगे। ग्रामीण सेल्फी भी लेते दिखे।
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