भाजपा की टूटन रोकने के लिए सिंधिया समर्थक किनारे किए जाएंगे……?
-चंद्र मोहन भगत
भाजपा के पुश्तैनी कार्यकर्ता पूर्व विधायकों के बगावती तेवर अभी जारी है विधानसभा चुनाव में दो सौ से भी कम दिन बचे हैं ऐसे समय पार्टी के पास समय कम काम ज्यादा रहता है फिर अगर सरकार में भी हैं तो और भी ज्यादा पेचीदगी भरी नकारात्मक भी बनी रहती है । नाराजी प्रकट करने वाले एकमत नजर आ रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के कारण अपनों का हक मारा जा रहा है। सतही राजनीतिक दर्शय भी इसी बात की पुष्टि करता है । भाजपा के पूर्व विधायक कवि सत्यनारायण सत्तन गुरु ने तब भी अपनी नाराजगी दिखाई थी जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे । उन्होंने भाजपा नेतृत्व से ही सवाल किया था कि ऐसे लोग जो स्वार्थ के लिए अपनी विचारधारा बदल कर आए है उनके कारण हमारी अपनी विचारधारा को मानने वाली पीढ़ी को हाशिए पर किया जाना भाजपा के लिए ठीक नहीं होगा ।
तीन साल पहले की सत्तन गुरु की आपत्ति का प्रकोप अब भाजपा पर नजर आ रहा है । दीपक जोशी के भाजपा छोड़ने पर भी सत्तन गुरु ने बेखौफ अपने कथन सार्वजनिक किए ।अनुभवी सत्तन गुरु की कही बातें अब चरितार्थ भी होने लगी है अभी और भी संभावनाएं भाजपा छोड़ने वालों की बनी हुई है । भाजपा अपने संगठन का डैमेज कंट्रोल कर लेगी ऐसा मानने वाले ज्यादा है बनिस्बत इसके कि संगठन को नुकसान होने वाला है। इस तरह की राजनीतिक गतिविधियों के कारण जो बदलाव अपेक्षित नजर आ रहे हैं उनमें सिंधिया समर्थकों का नुकसान ज्यादा होता नजर आ रहा है। दरअसल सिंधिया के साथ कांग्रेस से बागी विधायकों की जो टीम आई है उसके समायोजन से भाजपा का एक बड़ा वर्ग आहत हो गया है।
ऐसे सभी नाराज भाजपाइयों का मानना है कि जमीन पर दरी बिछाने से लेकर मंच तक पहुंचने में ही जिंदगी खपा दी और जब मुख्यधारा से में कुछ पाने का अवसर आया तब सिंधिया टीम आ धमकी हमारा भविष्य चौपट करने के लिए। इस तरह की नाराजगी के कारण भाजपा के आंतरिक वातावरण में भी बदलाव की सुगबुगाहट नजर आने लगी है। भाजपा समर्थकों में ही यह चर्चा है कि भाजपा का वरिष्ठ संगठन अब अपनी विचारधारा वाली छवि को और अधिक डैमेज नहीं होने देगा । इसी के चलते यह संभावनाएं भी साथ पर आ रही है कि सिंधिया के साथ आए विधायकों को भी संघ के सर्वे में अनुकूल होने पर ही भावी प्रत्याशी बनाएंगे सिर्फ समझौते के आधार पर नहीं ।
मतलब साफ है कि सिंधिया समर्थकों का आंकड़ा भी दहाई पार नहीं कर पाएगा । अगर भाजपा संगठन अपने ही कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए ऐसा नहीं कर पाएगा तो नाराजियो के लिए विकल्प तैयार है दीपक जोशी वाला रास्ता अपनाने का । प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने भी अपने संगठन के दरवाजे खुले रखे हैं। ये अलग बात है कि भाजपा के लिए जैसी करनी वैसी भरनी के दौर से गुजरना पड़ रहा है जबकि कांग्रेस हर हाल में फायदे में हैं क्योंकि कमलनाथ आने वालों का दिल से स्वागत कर रहे हैं भाजपा की तरह विधायकों की खरीद फरोख्त जैसी चर्चा भी नहीं हो रही है ।