November 15, 2024

ED Raid: दिल्ली में 12 से ज्यादा ठिकानों पर छापा, सीएम केजरीवाल के पीएस और सांसद एनडी गुप्ता के यहां छापेमारी

नई दिल्ली,06 फरवरी(इ खबर टुडे)। मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के यहां छापा मारा है। ईडी की टीम ने 12 से ज्यादा ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। यह छापेमारी दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार मामले में हुई है।

जानकारी के अनुसार दिल्ली में AAP नेताओं के 12 ज्यादा ठिकानों पर जांच एजेंसी ने छापेमारी की है। दिल्ली सरकार की मंत्री आज सुबह 10 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाली थीं, इससे पहले पार्टी नेताओं के खिलाफ बड़ा ऐक्शन देखने को मिला है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार के यहां छापेमारी हुई है। शलभ कुमार जो जल बोर्ड के पूर्व मेंबर रहे हैं। उनके यहां भी छापा मारा है। रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के आवास पर ईडी की छापेमारी चल रही है।

जल बोर्ड में भाजपा ने लगाया था घोटाले का आरोप
बीते साल 18 नवंबर 2023 को केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने संवाददाता सम्मेलन में दिल्ली जल बोर्ड में 3,237 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा किया था। उन्होंने जल बोर्ड के बैंक खातों की स्टेटमेंट व वित्तीय रिपोर्ट का जिक्र भी किया था और कहा था कि वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच बोर्ड के वित्तीय खर्च के बारे में कई जानकारियां छिपाई गईं हैं। वर्ष 2017-18 के बाद से बोर्ड के खातों की डिटेल डिक्लरेशन भी सही ढंग से नहीं की गई। बोर्ड में इसी तरह के कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं हैं।

उन्होंने बताया था कि बोर्ड ने अपने 450 से अधिक बैंक खातों में से लगभग 110 को बैलेंस शीट में दिखाया ही नहीं है। इनमें 77 खातों में लगभग 100 करोड़ से अधिक की राशि पड़ी हुई है। कई खातों के आगे शून्य दिखाया गया है जबकि उनमें करोड़ों रुपये पड़े हैं। बोर्ड के हिसाब-किताब में लगभग 300 करोड़ रुपये के लेन-देन की जानकारी ही नहीं है। बोर्ड की 2018 की वित्तीय रिपोर्ट में 1,167 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब ही नहीं है।

बैंक एडजस्टमेंट के नाम पर लगभग लगभग 117 करोड़ रुपये की एंट्री दिखाई गई है, जो कहीं से भी जायज नहीं लग रही है। लगभग 135 करोड़ रुपये की एफडी प्रमाणपत्रों की जानकारी भी उपलब्ध नहीं है। बोर्ड की वित्तीय स्टेटमेंट में खर्च नहीं होने वाली राशि में लगभग 1,601 करोड़ रुपये दिखाए गए हैं, जबकि बोर्ड के खातों में यह राशि कहीं दिख नहीं रही है।

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