Raag Ratlami Railway : रेलगाडी चलाने वाले अफसरों का तुगलकी फरमान,दफ्तर जाने वाला हर कोई परेशान ; जबरिया वसूली का अड्डा बना रेलवे स्टेशन
-तुषार कोठारी
रतलाम। लम्बे वक्त से शहर की पहचान रेलगाडी वालों के बडे दफ्तर से है। किसी जमाने में डायमन्ड क्रासिंग पूरे मुल्क में अहमियत रखता था। छोटी लाइन और बडी लाइन का क्रासिंग डायमन्ड की शक्ल का दिखता था। मुबई दिल्ली और अमेजर खण्डवा के सेन्टर पाइन्ट पर स्थित होने की वजह से ही किसी जमाने में यहां बडा दफ्तर खोला गया था और तभी से इस बडे दफ्तर की वजह से रतलाम की पहचान दूर दूर तक बनी हुई है। लेकिन आजकल इस दफ्तर के चर्चे यहां तैनात अफसरों के तुगलकी फरमान के कारण हो रही है।
दफ्तर में हजारों लोग काम करते है। पिछले कुछ दिनों से दफ्तर में काम करने वाले और दफ्तर में किसी काम से आने वाले तमाम लोग अफसरों के तुगलकी फरमान से परेशान है। कुछ दिनों पहले तक दफ्तर में आने वाले लोग बडी आसानी से दफ्तर के पीछे के हिस्से में अपने वाहनों से जाते थे और अपने दो पहिया वाहन आराम से खडे करके दफ्तर में चले जाते थे। दफ्तर वालों ने पिछले गेट के भीतर वाहनों को तरतीब से खडा करने के लिए शेड भी लगाए थे,ताकि वाहन धूप से भी बच सके। लेकिन साहब लोगों के तुगलकी फरमान से सबकुछ बिगाड दिया है।
वहीं के लोग बताते है कि एक दिन दफ्तर के एक बडे साहब की गाडी को दफ्तर से निकलने में थोडी सी दिक्कत आ गई। बस,फिर क्या था? साहब को गु्स्सा आ गया और साहब ने दफ्तर के पिछले हिस्से में दोपहिया गाडियां खडी करने पर रोक लगा दी। साहब केवल पिछले हिस्से में गाडियां रखने पर रोक लगाते,तब भी ठीक था,लेकिन साहब ने पिछले गेट के पास तरतीब से गाडियां रखने के लिए बनाए गए शेड के रास्ते भी बन्द करवा दिए,ताकि कोई वाहन इस शेड में ना रखा जा सके। इतना ही नहीं,यहां एक वर्दी वाले की तैनाती भी कर दी गई,जो सुबह से शाम तक दोपहिया गाडियों से आने जाने पर नजर रखता है और उन्हे पिछले हिस्से में गाडी खडी करने से रोकता है।
लोग ये नहीं समझ पा रहे है कि साहब लोगों ने वाहन रखने के लिए ही बनाए गए शेड को क्यो बन्द करवा दिया? उन्हे किस बात की दिक्कत है ? दोपहिया वाहनों को रखने के लिए जहग मुकर्रर की जाए,इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जो शेड़ पहले से इसी काम के लिए बनाए गए थे,उन पर रोक लगाने की क्या तुक है? सवाल तो है,लेकिन पूछा किससे जाए?
दफ्तर में काम करने वाले लोगों के साथ साथ सैकडों ऐसे लोग जो थोडे से वक्त के लिए किसी काम से इस दफ्तर में आते है,उन्हे भी भारी परेशानी हो रही है। दफ्तर में काम करने वालो को तो रोज परेशानी झेलना ही है। परेशानी के साथ साथ कभी कभी वर्दी वाले की बदतमीजी का शिकार बनना भी मजबूरी है। तुगलकी फरमान कब तक जारी रहेगा कोई नहीं जानता……।
जबरिया वसूली का अड्डा बना रेलवे स्टेशन
शहर का रेलवे स्टेशन जबरिया वसूली का अड्डा बन चुका है। इस पर भी खासियत ये है कि सारी जबरिया वसूली रेल महकमे के अफसरों की इजाजत से हो रही है। रेल महकमे के अफसरों को पता नहीं रेलवे की आय बढाने का कितना दबाव है कि अब वे आय बढाने के लिए स्टेशन पर आने जाने वाले हर आदमी को निशाना बना रहे है।
कहने को तो रेलवे स्टेशन का विस्तारी करण और सौन्दर्यीकरण का काम बडी तेजी से चल रहा है,लेकिन इसके विस्तारीकरण और सौन्दर्यीकरण की कीमत हर छोटे बडे आदमी को चुकाना पड रही है। पहली समस्या तो ये खडी हो गई है कि किसी वृद्ध या असमर्थ व्यक्ति को ट्रेन तक पंहुचने के लिए बेहद लम्बी ूदूरी पार करना पडती है। किसी बडे बूढे को ट्रेन तक पंहुचाने के लिए उसके परिजन कार को आगे तक ले जाना चाहते है। लेकिन उन्हे रोक दिया जाता है। इसके पीछे का कारण यह है कि रेल महकमा ऐसी परिस्थिति में भी कमाई पर नजर गडाए रखना चाहता है।
असलियत ये है कि महकमे ने स्टेशन इलाके में गाडियां खडी करने का किराया दुगुना कर दिया है। पहले जहां केवल दस रुपए दो पहिया वाहन को खडा करने के लिए देना पडते थे,वहीं अब इसे बढाकर बीस रु. कर दिया गया है। वाहन महज कुछ मिनटों के लिए भी रखना हो किराया उतना ही रहता है। चार पहिया वाहनों की फीस तो और भी ज्यादा है। ठेकेदार लोगों से वसूली करेगा और रेलवे उससे वसूलेगी। कुल मिलाकर बडी कमाई रेलवे वाले ही करेंगे।
सिर्फ यही नहीं। स्टेशन पर आने वाले हर आटो से हर बार दस रुपए वसूले जा रहे है। आटो वाला ये दस रुपए अपने ग्र्राहक से वसूलता है। ग्र्राहक को जहां जाना है उसके किराये में आटो वाला पहले दस जोडता है,फिर ग्र्राहक की तरफ नजर डालता है और ग्र्राहक की शकल और जरुरत के हिसाब से किराया बढाकर बताता है। यानी स्टेशन पर किसी को लेने जाना हो,छोडने जाना हो,या ट्रेन से उतरकर शहर में जाना हो,ऐसे हर आदमी को जबरिया वसूली का शिकार बनना जरुरी है। शायद इसी जबरिया वसूली से रेलवे की कमाई बढने वाली है।
खबरचियों की बल्ले बल्ले
इस हफ्ते का आखरी दिन खबरचियों के लिए बेहद खुशनुमा साबित हुआ। कई सारे खबरचियों को इनाम बांटे गए। इनाम भी नगदउ वाले। ये इनाम अच्छी खबरों के लिए थे,इसलिए खबरचियों को मजा आना लाजिमी था। इससे भी ज्यादा बल्ले बल्ले इस बात से हो रही थी कि खबरचियों के किसी बुरे वक्त के लिए उनका क्लब एक फण्ड तैयार कर रहा है। सरकार के मंत्री और रतलाम के भैयाजी ने इसमें अपना बडा योगदान देकर इस फण्ड की अच्छी शुरुआत भी करवा दी। इसके बाद कुछ खबरचियों ने उनको मिले इनाम भी इस फण्ड में जुडवा दिए। कुल मिलाकर इतवार खबरचियों के लिए शानदार रहा। अच्छे इतवार के लिए खबरचियों के मुखिया को भी कई बधाईयां दी गई है।