November 15, 2024

Raag Ratlami Politics : चुनावी उठापटक शुरु,गुजरात से आए माननीय फूलछाप वालों को सिखा रहे है जीतने के गुर ; लेकिन पंजा पार्टी अब भी है सक्रियता से दूर

-तुषार कोठारी

रतलाम। सूबे के चुनाव नजदीक आने के साथ ही फूल छाप वालों की उठापटक तेज हो गई है। वैसे भी फूल छाप पंजा पार्टी से काफी आगे दिखाई दे रही है। फूलछाप के नेता कार्यकर्ता,रोज रोज आ रहे नए नए कार्यक्रमंो से हैरान परेशान है,तो दूसरी तरङ पंजा पार्टी के पास कोई काम नजर नहीं आ रहा है। पंजा पार्टी के नेता अपने अपने हिसाब से जमावट में लगे है। कोई धर्म ध्यान में लगा है,तो कोई भोपाल में नाथ महाराज के पीछे खडे होकर फोटो खिंचवाने में जुटा है। फूल छाप के दिल्ली वाले नेता भोपाल के चक्कर लगा रहे है,तो भोपाल वाले जिलों और तहसीलों तक जाकर कार्यकर्ताओं को जुटाने में लगे है।

फूल छाप की तैयारियोंं को परखने और नजर रखने के लिए अब गुजरात के माननीयो को जिम्मेदारी दी गई है। गुजरात के पांच माननीय विधायक जिले की अलग अलग सीटों पर डेरा डाल चुके है। ये विधायक फूल छाप वालों को जीतने के गुर तो सिखाएंगे ही चुनाव के लिए चल रही तैयारियों पर भी नजर रखेंगे। फूल छाप पार्टी पन्ना प्रमुख और अर्ध पन्ना प्रमुख वाली तैयारी में जुटी है,तो गुजराती नेता इन तैयारियों की असलियत को परखेंगे। कहीं ऐसा तो नहीं कि महज खानापूर्ति के लिए पन्ना प्रमुख और अर्ध पन्ना प्रमुखों के नाम तय कर दिए गए हो। पन्ना प्रमुख और अर्ध पन्ना प्रमुख सचमुच में बने भी है या नहीं? गुजरात से आए माननीय इन कामों में लग चुके है।

फूल छाप में यूं तो कई सारे दावेदार है,लेकिन ये दावेदार पंजा पार्टी के दावेदारों जैसे नहीं है। पंजा पार्टी के दावेदार, जनता में मौजूदगी दिखाने के लिए उठापटक में लगे है,तो फूल छाप के दावेदार,सिर्फ जबानी जमाखर्च कर रहे है। फूल छाप के दावेदार अपने मिलने जुलने वालों के सामने अपने दावे ठोक रहे है। कुछ सालों पहले शहर के प्रथम नागरिक रहे नेताजी का नाम सर्वाधिक चर्चाओं में है,क्योंकि वे हर मिलने जुलने वाले को बता रहे है कि वे चुनाव के दावेदार है और टिकट भी ले ही आने वाले है।

हांलाकि फूल छाप वालों को ये भी पता है कि इस पार्टी में टिकट की कहानी में ज्यादा बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है। दूसरी तरफ पंजा पार्टी में नीचे तक कोई खास हलचल नजर नहीं आ रही है। पंजा पार्टी में टिकट चाहने वाले अपने अपने स्तर पर हलचल जरुर मचा रहे है। जिले की पंचायत का जिम्मा सम्हाल चुके नेता जी श्रावण सोमवार पर श्रद्धालुओं को महाकाल लोक और महाकाल बाबा के दर्शन करवा रहे है तो शहर सरकार का चुनाव लड चुके युवा नेता कांवड यात्रा के जरिये अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रहे है।

ये नेता जमीन पर काम कर रहे है,तो झुमरु दादा,सूबे की राजधानी में नाथ बाबा के पीछे खडे होकर फोटो खिंचवाने में मशगूल है। दादा माने बैठे है कि पंजा पार्टी के पास उनके अलावा कोई विकल्प है ही नहीं। हाल ही में जब नाथ बाबा ने फूल छाप के कथित घोटालों की लिस्ट जारी की,तो दादा भी मंच पर उनके साथ मौजूद थे। लोगों का अंदाजा ये भी है कि पंजा पार्टी में टिकट चाहने वाले ज्यादातर लोगों को पता है कि चुनावी जंग में जीत मिलना बेहद मुश्किल है। लेकिन दावेदार ये भी जानते है कि जीत हो या हार एक बार टिकट मिल जाने से सियासती हैसियत में अच्छा खासा इजाफा हो जाता है। जीत भले ही ना मिले नेतागिरी तो जोर पकड ही लेती है।

नए कप्तान ने सारे घर के बदल डाले दरोगा

नशे के जंजाल से जूझते रतलाम में वर्दी वालों के नए कप्तान ने आते ही अपना जलवा दिखाया और ड्रग्स के कई कारोबारियों को पकड कर सींखचों के पीछे पंहुचा दिया। नए कप्तान ने दावा भी किया कि वे इस कारोबार की जड तक जाएंगे और इसे पूरी तरह साफ कर देंगे। कप्तान से इस दावे से लोग खुश भी है। लेकिन इसी बीच कप्तान ने जिलेभर के दरोगाओं को इधर से उधर कर दिया। दो और तीन सितारों वाले तमाम अफसर इधर से उधर हो गए।

अफसरों के थोकबन्द तबादलों से महकमे में उथल पुथल मची हुई है। तमाम थाने और चौकियां अब नए साहबों के अण्डर में हैै। वर्दी वालों का कहना है कि चुनाव नजदीक है इसलिए एक ही जगह पर तीन साल गुजार चुके अफसरों को हटाया जाना जरुरी था। यही वजह थी कि जिले भर के कई सारे अफसर इस बदलाव की चपेट में आ गए।

वर्दी वाले महकमे की भीतरी जानकारी रखने वालों का तो ये भी कहना है कि सितारे वाले अफसरों के बाद अब तीन फीती वाले और बिना फीती वाले भी इधर से उधर किए जाने है। आने वाले कुछ ही दिनों में फीती और बगैर फीती वालों में जबर्दस्त बदलाव होने वाले और कई सारे फीती वाले इधर से उधर होने वाले है।

नहीं मिली हफ्ते की छुट्टी

भोपाल में बैठे वर्दी वाले महकमे के सबसे बडे आका ने पूरे सूबे के वर्दीवालों को दूसरे महकमों की तरह हफ्ते की छुïट्टी देने की घोषणा कर दी है। बडे साहब की इस घोषणा के बाद वर्दी वालों को उम्मीद बन्धी थी कि अब उन्हे भी हफ्ते में एक दिन अपने निजी और पारिवारिक कामों के लिए मिलने लगेगा। तमाम के तमाम वर्दी वाले टकटकी लगाए बैठे थे कि कब उन्हे ये खुशखबरी मिलेगी?

लेकिन दो हफ्ते गुजरने को आए,छुट्टी की कोई बात सामने नहीं आ रही है । सूबे के सबसे बडे साहब का फरमान तो जारी हो गया लेकिन इस फरमान पर अमल ना अब तक हुआ है और ना ही होने की कोई उम्मीद ही है? वर्दीवालें जानते है कि कहने की बातें कहने की होती है,उस पर अमल नहीं किया जाता।

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