Raag Ratlami Election – चुनाव महज एक हफ्ता दूर,लेकिन जमीन पर नजर नहीं आ रही पंजा पार्टी
-तुषार कोठारी
रतलाम। आम चुनाव अब महज एक हफ्ता दूर है। इस चुनाव से लोग बडे मायूस है। कहीं ऐसा लग ही नहीं रहा कि चुनाव हो रहे हो। ले देकर फूल छाप वाले चुनावी हलचल करते दिखाई दे रहे है। फूल छाप के टिकट पर चुनाव लड रही बहन जी शहर के अलग अलग इलाकों में हाथ जोडती हुई दिख रही है। फूल छाप वाले कहीं पर्चियां बांट रहे है तो कहीं मीटींगे कर रहे है। लेकिन दूसरी तरफ पंजा पार्टी जमीन पर कहीं नजर ही नहीं आ रही है। लोग तो पूछने लगे है कि पंजा पार्टी चुनाव लड भी रही है या नहीं।
वैसे तो पंजा पार्टी की तरफ से मैदान में उतरे साहब पहले कई बार चुनाव जीत चुके है,लेकिन पिछले कुछ सालों से उनकी किस्मत उनका साथ नहीं दे रही थी। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होने खुद की बजाय अपने डाक्टर बेटे को मैदान में उतारा था। डाक्टर सा. को जवानों वाली पंजा पार्टी का अध्यक्ष भी बनवाया था,ताकि सियासत की दुकान चलती रहे। डाक्टर सा. ने पापा जी के चुनाव की पूरी जिम्मेदारी इस बार खुद ही सम्हाल ली है। इसी के चलते डाक्टर सा. ने रतलाम में खबरचियों को बुलाकर अपने प्रचार की शुरुआत करने की योजना बनाई थी।
खबरचियों ने डाक्टर सा.के बोलवचन सुन तो लिए लेकिन उसे कागज पर ठीक से उतारा नहीं। खबरचियों को बुलाया ही इसलिए जाता है ताकि उनके जरिये अपनी बात ज्यादा से ज्यादा वोटरों तक पंहुचाई जा सके। लेकिन डाक्टर सा यहीं गच्चा खा गए। उन्होने खबरचियों की कान्फ्रेन्स तो की,लेकिन खबरचियों को खुश नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि ठीक से खबरें छपी नहीं।
पंजा पार्टी की इस वक्त समस्या ये है कि मैदान में काम करने के लिए अब उनके पास लोग ज्यादा बचे नहीं है। इसलिए उन्हे मैदान में जाकर काम करने की बजाय अखबारों न्यूज चैनलों और सोशल मीडीया का सहारा लेने ज्यादा पसन्द आता है। लेकिन पंजा पार्टी अब इसमें भी फेल होती नजर आ रही है। वोटर हैरान है। वोटरों को अच्छे से पता है कि चुनाव का नतीजा क्या आने वाला है। यही वजह है कि वोटरों में उत्साह नदारद है। अगर मैदान में दो योध्दा नजर आ रहे होते तो शायद वोटर भी थोडा फार्म में आ जाता। लेकिन पंजा पार्टी की कमजोरी ने चुनाव के उत्साह पर पानी फेर दिया है।
तारीफे काबिल तो इस वक्त फूल छाप वाले है। फूलछाप वालों को भी पता है कि नतीजा क्या आने वाला है,लेकिन इसके बाद भी फूल छाप वाले सुस्त नहीं हो रहे है,बल्कि उनके कार्यक्रम लगातार चल रहे है। कभी महिलाओं का सम्मेलन हो रहा है तो कभी अनुसूचित जाति का या नजजाति वर्ग का। कभी वार्ड की मीटींग हो रही है तो कभी भोपाल से प्रदेश के प्रभारी मीटींग लेने आ रहे है। कुल मिलाकर फूल छाप वाले बिना किसी भ्रम के मेहनत कर रहे है।
पंजा पार्टी वालों के तौर तरीकों से ही साफ नजर आ रहा है कि वे हारी हुई लडाई लड रहे है। पंजा पार्टी के शहर के मुखिया से लोग पूछ रहे है कि पंजा पार्टी चुनाव में है या नहीं? वे कह रहे है कि रतलाम में तो हम कमजोर है लेकिन दूसरी जगहों पर दम भर रहे है। लोगों को उनकी बात पर भरोसा नहीं हो रहा हैै। अब वोटिंग में महज आठ दिन बचे है। इसमें भी दो दिन पहले प्रचार पर रोक लग जाएगी। यानी प्रचार के लिए अब महज छ: दिन बचे है। इन छ: दिनों में चुनावी हलचल दिखेगी या नहीं? यही सवाल मतदाताओं को परेशान कर रहा है।
वोटरों को रिझाने के लिए सोने चांदी पर छूट
चुनावी युद्ध के एकतरफा होने के चलते निरुत्साहित वोटरों में उत्साह भरने के लिए नए नए जतन किए जा रहे है। जिला इंतजामिया ने इसके लिए नया आइडिया खोजा। जिला इंतजामिया के बडे साहब ने शहर के तमाम व्यापारियों को बुलाकर उन्हे वोटिंग करने वालों को कुछ ना कुछ छूट देने की घोषणा करवाई।
शहर के सर्राफा वालों ने बडा दिल दिखाते हुए घोषणा कर डाली कि जो ग्र्राहक अपनी उंगली पर वोटिंग वाली अमिट स्याही दिखाएगी उसे गहनों की खरीददारी पर छूट दी जाएगी। सर्राफा वालों की देखादेखी दूसरे व्यापारियों ने भी अलग अलग तरीके की पेशकश कर डाली। एक निजी अस्पताल ने इलाज पर तीस से पचास प्रतिशत तक की छूट देने की घोषणा की,तो घरेलु गैस वालो ने भी सुरक्षा पाइप की खरीददारी पर छूट की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं अलग अलग एसोसिएशनो ने पोलिंग बूथों पर पानी ठण्डाई और लस्सी इत्यादि पिलाने की घोषणाएं की है।
जिला इंतजामिया की पहल पर तमाम कोशिशें तो की जा रही है,लेकिन अब देखना यही होगा कि इन कोशिशों का असर कितना होता है। अब तक हुए चुनावों में वोटरों ने जमकर बेरुखी दिखाई है। तमाम चीजों पर छूट की पेशकश के बाद भी अगर मतदाता की बेरुखी खत्म ना हुई तो इसका मतलब क्या निकाला जाएगा। वोटरों की बेरुखी कायम रहती है या खत्म होती है इसका पता 13 मई को ही लग सकेगा।