May 12, 2024

Raag Ratlami – एक हफ्ते में दो मौके मिले,फिर भी खुद को साबित नहीं कर पाई पंजा पार्टी

-तुषार कोठारी

रतलाम,07 फरवरी। बीते हफ्ते पंजा पार्टी को दो दो मौके हाथ लगे कि वो ये जता सके कि वो जिम्मेदार विपक्षी पार्टी है। लेकिन जो पंजा पार्टी पन्द्रह साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद भी विपक्षी पार्टी का रोल सीख नहीं पाई,वो इन चार छ: महीनों में कैसे सीख पाती। इसलिए दो दो मौके मिलने के बावजूद खुद को साबित करने की बजाय पंजा पार्टी ने अपनी खस्ता होती जा रहा हालत का ही मुजाहिरा किया।
पंजा पार्टी को बीच में कुछ वक्त के लिए फिर से सत्ता का सुख मिल गया था,इसलिए पहले पन्द्रह सालों में जो कुछ थोडा बहुत सीखा भी होगा वह भी भुला गया था। अब पंजा पार्टी तो विपक्ष में है, लेकिन पंजा पार्टी के नेता विपक्ष के गुर नहीं सीख पा रहे है।
एक ही हफ्ते में दो दो मौके पंजा पार्टी के हाथ में थे। पहले तो मामा का रतलाम दौरा हुआ। पंजा पार्टी ने किसान कानून की खिलाफत में मामा को काले झण्डे दिखाने का प्रोग्र्राम बनाया। शहर के लोगों को उम्मीद थी कि पंजा पार्टी थोडी दमदारी से विरोध प्रदर्शन करेगी। लेकिन पंजा पार्टी वालों का काले झण्डे दिखाने का प्रोग्र्राम पूरी तरह फ्लाप हो गया। फ्लाप होने का कारण भी नेता खुद ही थे। उन्हे मामा को काले झ्ण्डे दिखाने थे,लेकिन मामा के रतलाम उतरने के पहले ही वे काले झण्डे निकाल कर सामने आ गए। वर्दी वाले तो पहले से तैयार थे। फौरन सारे पंजा पार्टी वालों को गाडी में भर कर सैलाना पंहुचा दिया गया। फिर मामा का काफिला बडे आराम से शहर में घूमा। पंजा पार्टी के नेता भी शाम तक तफरीह करके रतलाम लौट आए।
दूसरा मौका शनिवार को मिला था,जब किसानों के तीन घण्टे के चक्काजाम को पंजा पार्टी ने समर्थन देने की घोषणा की थी। पंजा पार्टी के गिने चुने नेता चक्काजाम की औपचारिकता पूरी करने हाई वे पर जा पंहुचे। चक्काजाम किसानों का था,लेकिन पंजा पार्टी के चक्काजाम में किसानों का दूर दूर तक अता पता नहीं था। बस कुछ नेता जरुर ऐसे थे,जो खुद को किसान नेता कहने की कोशिश करते है। हाई वे पर पंहुचे पंजा पार्टी के नेताओं से ज्यादा तादाद तो उन्हे रोकने के लिए मौजूद वर्दी वालों की थी। पंजा पार्टी वालों ने दस बीस मिनट चक्काजाम चक्काजाम का खेल दिखाया और फिर खुद ही वर्दी वालों के वाहन में चढ गए। हाई वे का ट्रैफिक जैसे चल रहा था,वैसे ही चलता रहा। पंजा पार्टी के नेता चक्काजाम करके लौट आए। खबरचियों ने भी इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया। उपर से कुछ खबरचियों ने चक्काजाम के दौरान की गई नौटंकी का भी खुलकर जिक्र किया।
बहरहाल,पंजा पार्टी की इस खस्ता हालत को देख कर आम लोग भी समझने लगे है कि पंजा पार्टी का भविष्य खतरे में ही है। आने वाले दिनों में नगर निगम के चुनाव हो या और कोई चुनाव,पंजा पार्टी फूल छाप को चुनौती दे पाने की हालत में फिलहाल तो कतई नहीं है। पंजा पार्टी की इसी हालत को देखते हुए पंजा पार्टी के कई नेता धीरे धीरे डूबते जहाज को छोडने का भी मन बनाने लगे है। कोई बडा आश्चर्य नहीं किआने वाले दिनों में पंजा पार्टी के कुछ नेता पंजे का साथ छोडकर फूल छाप का दामन थाम ले।

अभी बाकी है पूछ परख…….

फूल छाप पार्टी पिछले कुछ वक्त से सिंगल लीडर पार्टी कहलाने लगी थी। पैलेस रोड और स्टेशन रोड के बीच लम्बे समय तक चली खींचतान के बाद आखिरकार फूल छाप पार्टी स्टेशनरोड पर जम कर रह गई थी। पैलेस रोड का वजन कम होने लगा था। लेकिन शहर को कई सारी सौगाते देने आए मामा ने अपने तौर तरीकों से जता दिया,कि पुराने लोगों की पूछ परख अभी बाकी है। इतना ही नहींं,इसी बहाने से मामा ने ये भी जता दिया कि पार्टी किसी अकेले नेता की नहीं हो सकती। डोसीगांव में गरीबों के लिए बनाए गए घरों में हितग्र्राहियों को गृहप्रवेश कराने के बाद जब मामा ने भाषण दिया,तो भैयाजी की तारीफ के साथ साथ सेठ का भी जोरदार तरीके से जिक्र किया। मामा ने मेडीकल कालेज की स्थापना के लिए सेठ के संघर्ष को भी महत्व दिया। लम्बे समय से उपेक्षा झेल रहे पैलेस रोड से जुडे फूल छाप वाले नेता मामा का भाषण सुनकर गदगद हो रहे थे। मंच पर भी मामा ने सेठ को अपने पास बुलाकर बैठाया था। जाहिर है मामा यही बताना चाह रहे थे कि पुरानों की पूछ परख अभी बाकी है..।

इंतजामिया की बल्ले बल्ले

जिला इंतजामिया में आए नए साहब के लिए उनका शुरआती दौर शानदार साबित हो गया है। सूबे के मुखिया का जिले में आना हो और सबकुछ निर्विघ्न निपट जाए,तो ये इंतजामिया के लिए एक बडी उपलब्धि होती है और इसका श्रेय इतंजामिया के मुखिया को मिलता है। बहरहाल इंतजामिया के बडे साहब के लिए मामा का दौरा अच्छा साबित हुआ है। मामा जी भी जिले के इंतजाम देखकर काफी खुश थे। इंतजामिया को और क्या चाहिए।

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