May 17, 2024

Raag Ratlami Transfer – जिला इंतजामिया में हुए बदलाव के बाद उम्मीद करें कि अब शहर उबर जाएगा कोरोना के संकट से

-तुषार कोठारी

रतलाम। जिले का निजाम अब नए हाथों में है। ये बदलाव इसी नाम पर किया गया है कि इससे हालात सुधर जाएंगे। जिला इतंजामिया को कल तक सम्हाल रहे साहब को बदल दिया गया है। नए साहब ने रविवार को ही अपना कामकाज शुरु कर दिया और तमाम अफसरान को बुलाकर साफ साफ लहजे में समझा दिया कि अब जैसे भी हो कोरोना को रवाना करना है।

ऐसा नहीं है कि पुराने साहब के खाते में कोई सफलता नहीं थी। वे कुछ सालों पहले यहां काफी वक्त गुजार चुके थे और जिले की नब्ज पहचानते थे। पूरे देश में पिछले दिनों आक्सिजन का संकट था। कई स्थानों पर तो आक्सिजन की कमी से कई लोगों को जान भी गंवाना पडी थी। लेकिन इससे उलट रतलाम के अस्पतालों में आक्सिजन की आपूर्ति लगातार चलती रही थी। किसी को भी आक्सिजन की कमी से यहां जान नहीं गंवाना पडी। इंजेक्शन का मामला भी यहां ठीक ठाक ही रहा। लेकिन फिर भी कोरोना की गाज पुराने साहब पर गिर पडी।

जानने वाले बताते है कि फूल छाप वाले मामा,दमोह की हार से बुरी तरह बौखलाए हुए थे। दमोह की हार का ठीकरा वहां के बडे साहब के सर फोडा जाना था। लेकिन अकेले एक जिले में उठापटक करते तो हजार तरह की बातें होती। इसलिए दमोह के साथ साथ दो तीन और जिलों में भी बदलाव करना था। इसी बीच जावरा वाले डाक्टर साहब की मामा से फोन पर लम्बी बात हुई। कहते है कि इसी बातचीत के दौरान डाक्टर साहब ने बडे साहब को लेकर अपनी नाराजगी भी जताई। बस मामा को दमोह के बदलाव का साथ देने के लिए एक और जिला मिल गया। इसमें दो जिले और जोडे गए और फिर चार जिलों के साहब बदल दिए गए। कुल मिलाकर रतलाम के पुराने साहब,कोरोना मरीजों की बढती संख्या के नाम पर बलि चढा दिए गए।

अब नए साहब ने मोर्चा सम्हाल लिया है। सूबे की सरकार तो इन बदलावों को ऐसा बता रही है जैसे नए साहबों को जादू का डण्डा देकर भेजा जा रहा हो। लेकिन ये बात हर कोई जानता है कि किसी के भी पास जादू का डण्डा नहीं है। समस्या से निपटने के जो उपाय सब जानते है,वही उपाय मौजूद है। लाकडाउन की सख्ती,ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग,अस्पतालों व्यवस्था में चुस्ती और सबसे बडी बात कन्टेनमेन्ट एरिया का मैनेजमेन्ट। नए साहब ने भी छुïट्टी वाले दिन जिले के तमाम अफसरान को बुलाकर उन्हे नए सिरे से उत्साह का टीका लगाया है और कोरोना में कमी लाने का टार्गेट दिया है।

उम्मीद की जाए कि नए साहब की अगुवाई में अब जिले की व्यवस्थाएं पहले की तुलना में और अधिक चुस्ती से चलती दिखाई देगी। अब तक मरीजों का आंकडा लगातार बढता ही जा रहा है और डरावने स्तर तक जा पंहुचा है। नए साहब का आगमन इस पर रोक लगाने में कारगर हो जाए,तो इससे अच्छा क्या हो सकता है?

सेठ भी आए सामने

दमोह के उपचुनाव में फूल छाप पार्टी को करारा झटका लगने के बाद नए नए किस्से सामने आ रहे है। यूं तो ये उपचुनाव जीतने के लिए मामा से लगाकर तमाम बडे नेता दमोह पंहुचे थे,लेकिन इसके बावजूद वहां फूलछाप को करारी हर ही मिली। हार का ठीकरा फोडने के लिए अब फूल छाप के नेता नए नए सिर तलाश रहे है। पहला ठीकरा तो वहां के कलेक्टर और एसपी पर फोडा गया,जैसे फूलछाप को जिताना उन्ही की जिम्मेदारी थी। दूसरा ठीकरा पूर्वमंत्री मलैय्या जी पर फोडने की तैयारी है। फूल छाप ने उन्हे नोटिस भी दे दिया है। मलैया जी,सेठ के मित्र रहे हैैं। सेठ मित्रता निभाने में कभी पीछे नहीं रहते। सेठ ने इस पूरी कार्यवाही को गलत बताते हुए फूलछाप के नेतृत्व पर कई सवाल खडे किए है। बात सही भी है,अगर कोई पार्टी छोड कर जाता है,तो उसे गद्दार कहने लगते है,लेकिन जब कोई दूसरी पार्टी छोडकर फूलछाप में शामिल होता है,तो उसे सिर माथे बैठा लिया जाता है। सेठ ने सवाल उठाया है कि यह दोगलापन फूलछाप में क्यों चल रहा है। सेठ ने उनकी पीढी के नेताओं की उपेक्षा पर सवाल खडे किए है। फूलछाप पार्टी में मचा घमासान आगे कहां तक जाएगा यह देखना दिलचस्प रहेगा।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds