May 15, 2024

‘मन की बात’ में PM मोदी का बड़ा ऐलान- चंडीगढ़ एयरपोर्ट अब भगत सिंह के नाम पर होगा,सर्जिकल स्‍ट्राइक की याद भी दिलाई

नई दिल्ली,25सितंबर(इ खबर टुडे)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चंडीगढ़ हवाईअड्डे का नाम स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के नाम पर करने की घोषणा की। आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात की 93वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि एक कार्यबल मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए अफ्रीकी चीतों की निगरानी कर रहा है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि आम जन इन चीतों का दीदार कब से कर पाएंगे। मोदी ने कहा, भगत सिंह की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप एक महत्वपूर्ण निर्णय किया है। यह तय किया है कि चंडीगढ़ हवाईअड्डे का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा। चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के लोगों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी। सरदार भगत सिंह की जयंती 28 सितंबर को मनाई जाती है। इसी दिन सर्जिकल स्ट्राइक भी की गई थी और पीएम ने कहा कि दो शब्द आपमें जोश भर देंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कई लोगों ने सवाल किए हैं कि उन्हें चीतों को देखने का अवसर कब मिलेगा? उन्होंने कहा, चीतों के लिए एक टास्क फोर्स बनी है। यह देखेगी कि चीते यहां के माहौल में कितना घुल-मिल पा रहे हैं। इसके बाद ही आम लोगों को चीतों को देखने का अवसर मिलेगा।

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मैं आप सबको कुछ काम सौंप रहा हूं, इसके लिए MYGOV के एक प्लेटफार्म पर, एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा, जिसमें लोगों से मैं कुछ चीजें साझा करने का आग्रह करता हूं। पीएम ने लोगों से पूछा कि चीतों को लेकर जो हम अभियान चला रहे हैं, आखिर, उस अभियान का नाम क्या होना चाहिए? उन्होंने कहा, ये नामकरण अगर पारंपरिक हो तो काफी अच्छा रहेगा। क्योंकि, अपने समाज और संस्कृति, परंपरा और विरासत से जुड़ी हुई कोई भी चीज हमें सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती है।

क्या रखा जाए चीतों का नाम?

इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चीतों के नामकरण के बारे में भी सवाल किया। मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, क्या हम इन सभी चीतों के नामकरण के बारे में भी सोच सकते हैं कि इनमें से हर एक को किस नाम से बुलाया जाए? उन्होंने कहा, मेरी आप सभी से अपील है कि आप इस प्रतियोगिता में जरुर भाग लीजिए, क्या पता इनाम स्वरुप चीते देखने का पहला अवसर आपको ही मिल जाए।

चीतों के बारे में लोग पूछ रहे कई सवाल

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, मुझे कई लोगों के पत्र मिले हैं। यह पत्र देशभर से हैं। इसमें लोगों ने भारत में चीतों के आगमन को लेकर खुशी जाहिर की है। यह भारत का प्रकृति प्रेम दिखाता है।

पर्वों में छिपा है गहरा संदेश’

पीएम मोदी ने कहा, ‘इस समय देश में चारों ओर उत्सव की रौनक है। कल नवरात्रि का पहला दिन है। इसमें हम देवी के पहले स्वरूप ‘मां शैलपुत्री’ की उपासना करेंगे। यहां से नौ दिनों का नियम-संयम और उपवास, फिर विजयदशमी का पर्व भी होगा, यानि, एक तरह से देखें तो हम पाएंगे कि हमारे पर्वों में आस्था और आध्यात्मिकता के साथ-साथ कितना गहरा संदेश भी छिपा है।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘दुनिया अब इस बात को स्वीकार कर चुकी है कि फिजिकल और मेंटल वेलनेस के लिए योग बहुत ज्यादा कारगर है। विशेषकर डायबिटीज और ब्‍लड प्रेशर से जुड़ी मुश्किलों में योग से बहुत मदद मिलती है। योग की ऐसी ही शक्ति को देखते हुए 21 जून को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाना तय किया हुआ है।’

पर्यावरण की चुनोतिया

भारत के अलग-अलग समुदायों और विविधताओं से भरी संस्कृति को यहां फलते-फूलते देखा जा सकता है। इतना ही नहीं, इन तटीय इलाकों का खानपान लोगों को खूब आकर्षित करता है। लेकिन इन मजेदार बातों के साथ ही एक दुखद पहलू भी है। हमारे ये तटीय क्षेत्र पर्यावरण से जुडी कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। क्‍लाइमेट चेंज, मरीन इकोसिस्‍टम्‍स के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है तो दूसरी ओर हमारे बीचेज पर फ़ैली गंदगी परेशान करने वाली है। हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम इन चुनौतियों के लिए गंभीर और निरंतर प्रयास करें।

पीएम ने किया दीनदयाल को याद

पीएम ने कहा कि, ‘आज 25 सितंबर को देश के प्रखर मानवतावादी, चिन्तक और महान सपूत दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मदिन मनाया जाता है. इसीलिए, उन्होंने ‘एकात्म मानवदर्शन’ और ‘अंत्योदय’ का एक विचार देश के सामने रखा जो पूरी तरह भारतीय था.दीनदयाल जी के विचारों की सबसे बड़ी खूबी यही रही है कि उन्होंने अपने जीवन में विश्व की बड़ी-बड़ी उथल-पुथल को देखा था.’

Sign Language की परेशानी को किया दूर

भारत में बरसों से एक बड़ी दिक्कत ये थी कि Sign Language के लिए कोई स्पष्ट हाव-भाव तय नहीं थे न ही कोई मानक था. इन मुश्किलों को दूर करने के लिए ही वर्ष 2015 में Indian Sign Language Research and Training Center(ISLRT) की स्थापना हुई थी. मुझे खुशी है कि ये संस्थान अब तक दस हजार शब्द और Expressions की शब्दकोष तैयार कर चुका है.

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