pauper pakistan/पाई-पाई के लिए मोहताज हुआ पाकिस्तान, अब किराए पर दे रहा प्रधानमंत्री का आवास
इस्लामाबाद ,04 अगस्त (इ खबरटुडे)। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि प्रधानमंत्री इमरान खान के आधिकारिक आवास को किराए पर दिया जा रहा है। इससे आर्थिक संकट से जूझ रही पाकिस्तान सरकार अपने लिए फंड जुटाएगी।
यह प्रधानमंत्री आवास इस्लामाबाद में है और किराए के लिए बाजार में उतर चुका है। इससे पहले अगस्त 2019 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने प्रधानमंत्री के घर को विश्वविद्यालय में बदलने की घोषणा की थी। यही पार्टी फिलहाल पाकिस्तान में सत्ता पर काबिज है।
प्रधानमंत्री आवास को विश्विविद्यालय में बदलने की घोषणा के बाद इमरान खान ने घर खाली कर दिया था। हालांकि, अब सरकार ने अपना इरादा बदल दिया है। समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार संघीय सरकार अब इस आवास को विश्वविद्यालय में बदलने की बजाय। इसे किराए पर देगी। इससे सरकार के खर्चे पूरे करने के लिए पैसे जुटाए जाएंगे। स्थानीय मीडिया के मुताबिक लोगों को सांस्कृतिक, फैशन, शैक्षिक और अन्य कार्यक्रम आयोजित करने के लिए यह घर किराए पर दिया जाएगा।
दो समितियों का गठन
प्रधानमंत्री आवास को किराए पर देने के लिए दो समितियों का गठन किया गया है। ये समितियां यह सुनिश्चित करेंगी कि आयोजनों के दौरान पीएम हाउस में अनुशासन और मर्यादा बनी रहे। साथ ही मंत्रिमंडल बैठक करेगा और पीएम हाउस के माध्यम से राजस्व जुटाने के तरीकों पर चर्चा करेगा। ऐसा माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री आवास का सभागार, दो गेस्ट विंग्स और एक लॉन किराए पर देकर पैसा जुटाया जा सकता है। वहीं पीएम के पूर्व कार्यस्थल पर उच्च स्तरीय राजनयिक कार्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किए जाएंगे।
आर्थिक संकट से जूझ रहा है पाकिस्तान
इमरान खान ने प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद कहा था कि सरकार के पास जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए पैसा नहीं है। वहीं देश में कुछ लोग औपनिवेशिक आकाओं की तरह जीवन जी रहे हैं। इसके बाद से उन्होंने प्रधानमंत्री आवास में रहने से इंकार कर दिया था। वो सिर्फ बानी गाला आवास पर रह रहे हैं और सिर्फ पीएम ऑफिस का इस्तेमाल करते हैं। इमरान खान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था 19 अरब डॉलर तक कम हुई है। देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए उन्होंने सरकारी खर्चों में कटौती भी की थी। हालांकि अर्थव्यवस्था पर इन उपायों का कोई खास असर नहीं दिखा है।