MP High Court strict : जबलपुर एडीजी, छिंदवाड़ा एसपी और सिविल सर्जन को दूर भेजने का आदेश, कहा- ये जांच कर सकते हैं प्रभावित
जबलपुर,04मई (इ खबरटुडे)। मध्य प्रदेश ने छिंदवाड़ा में रेप के आरोपी पुलिसकर्मी की जमानत खारिज कर दी। साथ ही उसे बचाने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए अफसरों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी से कहा है कि एडीजी पुलिस जबलपुर जोन उमेश जोगा, छिंदवाड़ा एसपी विवेक अग्रवाल, सिविल सर्जन शिखर सुराना समेत केस से जुड़े अन्य का ट्रांसफर कहीं दूर कर दिया जाए ताकि मामले की जांच प्रभावित न हो।
जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा में पदस्थ पुलिस कांस्टेबल अजय साहू को 13 नवंबर 2021 को छिंदवाड़ा के अजाक थाने में दुष्कर्म एवं एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामले में गिरफ्तार किया गया था। आरोपी अजय जबलपुर का रहने वाला है। दुष्कर्म के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई थी, उसका गर्भपात कराया गया। डीएनए सैंपल ठीक से सुरक्षित नहीं रखा गया। अजय साहू के खिलाफ रेप मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ में हुई। कोर्ट ने प्रस्तुत जमानत आवेदन भी निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अफसरों ने डीएनए रिपोर्ट में छेड़छाड़ की थी। डीएनए से जुड़ी दो जांच रिपोर्ट के साथ आदेश की प्रति मुख्य सचिव के माध्यम से कमेटी को भेजें।
जबलपुर जोन के एडिशनल डीजीपी उमेश जोगा ने 20 अप्रैल को हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी थी। हाईकोर्ट ने पाया कि सिविल सर्जन शिखर सुराना ने कोर्ट को गलत जानकारी उपलब्ध कराई। हाईकोर्ट ने कहा कि एडीजी ने बिना विचार किए ही रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिए, जबकि उसमें स्टाफ नर्स के बयान दर्ज नहीं थे। हाईकोर्ट ने कहा कि अपराधी एक पुलिसकर्मी है, इसलिए इससे मना नहीं किया जा सकता कि उच्चाधिकारी उसे बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि एडीजीपी जबलपुर, SP छिंदवाड़ा, सिविल सर्जन आदि की भूमिका संदिग्ध है। इनके आचरण की जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंपा जाना था। चूंकि अब संबंधित अफसर अपना किरदार निभा चुके हैं। हाईकोर्ट ने विजिलेंस एंड मॉनिटरिंग कमेटी को आदेशित किया कि सैंपल की पुन: जांच नहीं हो सकती, इसलिए सभी संबंधित अफसरों को राज्य के दूरदराज इलाके में स्थानांतरित किया जाए, जिससे वे गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकें।