November 22, 2024

New Year Party : जश्न बनाम हादसों की रात…

-वैदेही कोठारी

लो फिर आ गई हादसों वाली रात…..,हर साल की तरह इस बार भी 31-दिसम्बर आने वाला हैं,महानगरों में तो कई लोगो ने जश्न की  तैयारियां भी शुरू कर दी है। आजकल की युवा पीढ़ी को 31 दिसम्बर की रात का बेसब्री से इंतजार रहता हैं। पाश्चत्य संस्कृति को अपनाने वालों की धारणा होती हैं, कि बीता हुआ साल व आनेे वाले साल को ‘दिल ओ जान’ से  मनाया जाए। इसलिए एक महीने पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है। हर उम्र के लोगों के लिए अलग अलग पार्टियां रखी जाती। इस रात को रोमानी और मनोरंजक बनाने के लिए हर तरह की व्यवस्था रखी जाती साथ ही साथ तरह तरह के फूड,शराब,कोकिन,हेरोइन,अश्लील नाच गाना,यहां तक की सम्भोग भी। इस रात को हसीन बनाने के लिए लाखो का खर्च कर तरह तरह की योजनाएं बनाई जाती। एक महीने पहले से ही ऑफर के साथ नाइट बुकिंग भी शुरू हो जाती हैं। कई पार्टियां तो शहर से दूर। सुनसान एरिये में रखी जाती, ताकी पुलिस की नजर न पड़े। टुरिस्ट प्लेसेस अधिक से अधिक सजाए जाते हैं ताकी अधिक से अधिक लोग इन जगह पर रात बिताएं । 31 दिसम्बर अब महानगरों तक ही सीमित नही हैं। छोटे छोटे कस्बों में भी इसका अच्छा खासा चलन हो गया हैं। कई युवक युवतियां तो शादी की तरह तैयारी करते साथ ही कई तो इस रात के लिए पहले से ही कई योजनाएं भी बनाकर रखते हैं। 31 दिसम्बर की शाम से ही शहर जगमगा जाते हैं। रात होते ही पार्टिया शबाब पर आ जाती। नाच- गाना, खाना-पीना, तरह तरह के ड्रग्स छोटे छोटे कपडों में मेकप से पूती लहराती युवतियां, हाथों में शराब लिए क्लबों में नाचते हुए, अलग ही रोमांचक रोनके शुरू हो जाती हैं। इन क्लबों में हर तरह का नशा किया जाता। कोई पहली बार आता हैं, तो कोई जबरदस्ती लाया जाता। कई दोस्तों को जर्बदस्ती मनुहार करके नशा करने को मजबूर किया जाता हैं, तो युवक युवतियों के साथ ड्रग्स शराब के सेवन के लिए प्यार की दुहाई देकर पिलाया जाता हैं। नया वर्ष शुरू होते होते सभी युवक युवतियां अपने होश खोने लग जाते हैं। फिर रात का तांडव शुरू होता। कई बार किसी युवती के साथ जबरदस्ती तो किसी की बेहोशी की हालात में इज्जत से खिलवाड़, नशे में धूत सडक़ पर घूमती युवतियों के साथ छेडख़ानी। देर रात पार्टियां खत्म होने पर नशे में धुत गाडी चलाने पर कई एक्सीडेंट होना। नया साल नए नए हादसों का साल बन जाता हैं। सुबह तक कई तरह के वारदाद को अंजाम दे दिया जाता हैं। धीरे धीरे हफ्ते तक सभी अंजाम सामने आते रहते हैं। अगर किसी युवती के साथ दर्दनाक बलात्कार हुआ तो नया कानुन,साथ ही जगह जगह मोमबत्ती जलाकर मातम मनाना,टीवी पर बहस….बस। सोचने वाली यह बात है, वाकई में हमारे नए वर्ष  की शुरुआत ऐसे होना चाहिए ?,
      एक जनवरी को नव वर्ष मनाने का चलन 1582 इस्वी के ग्रेगेरियन कैलेन्डर आरंभ हुआ  । ग्रेगेरियन कैलेन्डर को पोप अष्टम ग्रेगेरी ने तैयार किया था,आर्थोडॉक्स चर्च रोमन कैलेन्डर को मानता हैं। उसके अनुसार नया साल 14 जनवरी को होता हैं। जब सभी लोग अपने अपने कैलेंडर के अनुसार नया साल मनाते हैं। तो फिर हम क्यों हमारे “विक्रम संवत” कैलेंडर के अनुसार नया साल नही मनाते हैं ? हमारा कैलेंडर  “विक्रम संवत”  गे्रगेरियन कैलेन्डर से भी अधिक प्राचीन है, कालगणना हमारे संवत पंचाग के अनुसार की जाती है। अभी विक्रम संवत 2078 चल रहा है,                  हम कितने आधुनिक हो गए हैं,कि हम यह भी भूल गए की हमारा नया साल चेत्र गुड़ीपड़वा से शुरू होता हैं।ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा द्वारा सृष्टि का सृजन इसी दिन हुआ था।भारत सरकार का राष्ट्रीय पंचांग-शालिवाहन शक संवत का प्रारम्भ।    पाश्चात्य संस्कृति हमें किस पतन की ओर लें जा रही है, आज हम आधुनिकता दिखावे के चक्कर में, हम अपनी मान मर्यादा इज्जत सब कुछ लुटा रहे है | हमारी संस्कृति परम्परा को भूलते जा रहे हैं, बिता हुआ वर्ष कुछ अनुभव देता, नया सिखाता, नया वर्ष नए कार्य की उम्मीदों का वर्ष…., किन्तु अगर हम 31दिसंबर इसी तरह से मनाते रहे तो हादसों का सफर बढ़ता जाएगा, आज हम सभी को गहन चिंतन करने की आवश्यकता है, क्या नया वर्ष मनाने का यह सही तरीका ?

You may have missed