November 22, 2024

Sewerage Project : हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीवरेज प्रोजेक्ट की सूचनाएं देने को राजी हुआ नगर निगम,दस्तावेज मिलने के बाद उजागर होंगी सीवरेज प्रोजेक्ट की गडबडियां

रतलाम,15 मार्च (इ खबरटुडे)। देश और प्रदेश में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने के बावजूद नगर निगम जैसे शासकीय विभाग इस कानून की धज्जियां उडाने पर आमादा रहते है। रतलाम में चल रहे सीवरेज प्रोजेक्ट की गडबिडयों को उजागर करने के लिए नगर निगम से मांगी गई जानकारियों को लगाचार पांच साल तक टाला गया। फिर जब आवेदक ने हाईकोर्ट से गुहार लगाई तब कहीं जाकर नगर निगम के अधिकारी सूचनाएं मुहैय्या कराने को राजी हुए।

मामला 2017 का है। रतलाम में उटपटांग तरीके से चलए जा रहे सीवरेज प्रोजेक्ट की गडबडियों को उजागर करने के लिए अभिभाषक कपिल मजावदिया ने नगर निगम से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचनाएं मांगी थी। एडवोकेट श्री मजावदिया ने 20 सितम्बर 2017 को सूचना के अधिकार के तहत आवेदन प्रस्तुत कर नगर निगम से सीवरेज प्रोजेक्ट से सम्बन्धित अभिलेख मुहैया कराने का निवेदन किया था।

नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी ने इस आवेदन पर निर्धारित समय सीमा के भीतर कोई कार्यवाही नहीं की। इससे व्यथित होकर श्री मजावदिया ने प्रथम अपील नगर निगम के अपीलीय अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत की। नगर निगम के अपीलीय अधिकारी ने भी निर्धारित समय सीमा में इस अपील का निराकरण नहीं किया। इससे व्यथित एडवोकेट श्री मजावदिया ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील प्रस्तुत की।

राज्य सूचना आयोग ने द्वितीय अपील का निराकरण 19 अगस्त 2019 को किया। राज्य सूचना आयुक्त डा.जी कृष्णमूर्ति ने 19 अगस्त 2019 को पारित अपने आदेश में आपीलार्थी एडवोकेट कपिल मजावदिया को निर्देश दिया कि वह 15 दिनों के भीतर नगर निगम के लोक प्राधिकारी के कार्यालय में उपस्थित होकर सीवरेज प्रोजेक्ट के समस्त अभिलेखों का अवलोकन करने के बाद जिन अभिलेखों की प्रतिलिपियां चाहें वह निशुल्क प्राप्त करें। राज्य सूचना आयुक्त डा. जी कृष्णमूर्ति ने नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी को आदेश दिया कि वह अपीलार्थी एडवोकेट कपिल मजावदिया को 15 दिन के भीतर समस्त अभिलेखों का अवलोकन करवाएं और अपीलार्थी को जिन अभिलेखों की आïवश्यकता हों,उन अभिलेखों की सत्यापित प्रतिलिपि उसी दिन निशुल्क अपीलार्थी को उपलब्ध कराएं।

राज्य सूचना आयुक्त के सुस्पष्ट निर्देशों को भी नगर निगम के अधिकारियों पर कोई असर नहीं पडा। एडवोकेट कपिल मजावदिया ने राज्य सूचना आयुक्त के आदेशानुसार नगर निगम कार्यालय में पंहुचकर सम्बन्धित अधिकारियों से सीवरेज प्रोजेक्ट के दस्तावेजों का अवलोकन कराने को कहा,लेकिन नगर निगम के अफसरों ने राज्य सूचना आयुक्त के आदेश को ताक पर रखते हुए श्री मजावदिया को किसी दस्तावेज का अवलोकन नहीं करवाया। इसके बाद अपीलार्थी एडवोकेट कपिल मजावदिया ने अपने अभिभाषक प्रवीण शर्मा के माध्यम से नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी को एक लीगल नोटिस भी भिजवाया कि वे कपिल मजावदिया को वांछित दस्तावेजों का अवलोकन करवाए,लेकिन नगर निगम ने इस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की।

सीवरेज प्रोजेक्ट की गडबडियों को उजागर करने के अपने अभियान में आखिरकार कपिल मजावदिया ने उच्च न्यायालय का द्वार खटखटाया। नगर निगम द्वारा राज्य सूचना आयोग के आदेश का उल्लंघन किए जाने को लेकर श्री मजावदिया ने इन्दौर उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत की। उच्च न्यायालय इन्दौर खण्डपीटठ के न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने एडवोकेट कपिल मजावदिया की याचिका पर निर्णय सुनाते हुए नगर निगम अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे याचिकाकर्ता कपिल मजावदिया को कार्यालय में बुलाकर उन्हे समस्त दस्तावेजों का अवलोकन करवाएं और उनके द्वारा वांछित दस्तावेजों की सत्यापित प्रतिलिपियां उन्हे निशुल्क उपलब्ध करवाएं।

सीवरेज प्रोजेक्ट से जुडी जानकारियां हासिल करने के लिए श्री मजावदिया को पांच साल लम्बी कानूनी लडाई लडना पडी। इन्दौर उच्च न्यायालय के आदेश के बाद श्री मजावदिया को हाल के दिनों में नगर निगम अधिकारियों द्वारा टेलीफोन पर सूचित किया गया है कि वे कार्यालय में आकर दस्तावेजों का अवलोकन कर सकते है। दस्तावेजों के अवलोकन के पश्चात उनके द्वारा वांछित दस्तावेजों की प्रतिलिपियां उन्हे उपलब्ध करा दी जाएगी।

श्री मजावदिया ने बताया कि पांच साल लम्बी कानूनी लडाई े बाद सीवरेज प्रोजेक्ट के दस्तावेजों तक उनकी पंहुच हो पाई है। वे जल्दी ही इन दस्तावेजों को प्राप्त करने के बाद नगर निगम के अधिकारियों द्वारा सीवरेज प्रोजेक्ट में की गई गडबडियों को जनता के बीच उजागर करेंगे।

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