Memorandum/बंगाल में हो रही जेहादी हिंसा व हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में रतलाम हिंदू जागरण मंच ने राष्ट्रपति के नाम सौपा ज्ञापन
नगर के 105 गणमान्य नागरिकों एवं समाज प्रमुखों के हस्ताक्षर
रतलाम,28 मई (इ खबरटुडे)। रतलाम नगर में हिंदू जागरण मंच के द्वारा बंगाल चुनाव के उपरांत होने वाली जेहादी हिंसा व हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में ध्यानाकर्षण करने के लिये रतलाम नगर के 105 गणमान्य नागरिकों एवं समाज प्रमुखों के हस्ताक्षर सहित महामहिम राष्ट्रपति के नाम आज रतलाम के जिलाधीश को ज्ञापन का वाचन कर प्रस्तुत किया गया। ज्ञापन प्रस्तुत करने के दौरान कोरोना का प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए 5 सदस्यों ने जाकर इस ज्ञापन को जिलाधीश को दिया।
भारत में विश्व की सबसे बडी लोकतांत्रिक व्यवस्था है, जो एवं स्वतंत्रता के पुर्व से ही निर्वाचन द्वारा सरकारे एवं जनप्रतिनिधियो के आपसी दलगत विभेदों को भुला कर सामाजिक सौहाद्र पुर्वक नियुक्त होने की परम्परा रही है। भारत की स्वतंत्रता के 70 वर्षो का इतिहास कुछ अपवादों को छोड कर निर्वाचन शांतिपुर्वक अहिंसक होने की एक स्वस्थ परंपरा है।
विगत दिनो पश्चिम बंगाल मे हुए निर्वाचन के समय और चुनाव के उपरांत होने वाली हिंसा ने पिछले सभी मामलो को पीछे छोड दिया और हिंसा का बडा ही विभत्स, पाशविक और भयावह रुप अभी भी जारी है।
इस ज्ञापन मे कुछ आकडे भी दर्शाये गये, जिसके अनुसार 30000 गांवो मे 70000 लोग हिंसा से प्रभावित हुए, 3886 मकानो को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया, त्रिणमुल कांग्रेस के जेहादी गुंडो ने 39 महिलाओ के साथ बलात्कार किया जिसमे केवल 4 मामलों की ही पुष्ठी हो पाई एवं अधिकांश मामलो मे तो पुलिस प्रशासन ने मैडिकल तक करवाने में इंकार कर दिया।
केवल सत्ताधारी दल के विरोध मे काम करने मात्र से ही 2157 कार्यकर्ताओ पर तथा उनके 692 परिजनों पर प्राणघातक हमले, 23 हत्याए दर्ज की गयी है,जिसमे 11 एकदम अतिनिर्धन तथा अनुसुचित जाति-जनजाति की 3 महिलाए भी है। अपने परिवार की सुरक्षा के लिये 6779 कार्यकर्ता अभी भी बंगाल के शरणार्थी शिविरों तथा 18000 से अधिक कार्यकर्ता आसाम मे शरण लेने को विवश है।
इस ज्ञापन के माध्यम से बताया गया की पक्ष विपक्ष की राजनिति से परे वहां सांप्रदायिक नारों से इन हमलो की प्रकृति स्पष्ट है, कि ये देश की अखंडता एवं संप्रभुता के लिये कितना घातक है एवं जनसंख्या असंतुलन के कारण उपजी वृहद बंगलादेश की विषाक्त सोच एवं रोहिंग्या व बंगलादेशी घुसपैठियो की सक्रियता खतरनाक भविष्य का संकेत है।
इसमे ये भी दर्शाया गया है कि यह देश की राजनिति मे पहली घटना है, किसी राज्य के राज्यपाल को जनता के बीच जाकर उनकी पीढा सुनने की आवश्यकता पडी हो और राज्य के सर्वोच्चनागरिक राज्यपाल महोदय को स्थानिय प्रशासन के असहयोग और रोकटोक का सामना करना पडा हो।