Consumer Court Order : इलाज की राशि नहीं चुकाने पर हेल्थ इंश्योरैैंस कंपनी दोषी,उपभोक्ता फोरम ने दिया ब्याज सहित साढे चार लाख रु. से अधिक बीमा राशि और दस हजार रु. की क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश
रतलाम,9 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। हेल्थ इंश्योरैैंस कंपनी से 5 लाख रु. का हेल्थ इंश्योरैैंस कराने के बावजूद इलाज के खर्च की राशि नहीं देने के एक मामले में स्थानीय जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा इंश्योरेंस कंपनी को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए उसे इलाज की पूरी राशि ब्याज समेत अदा करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं इंश्योरैैंस कंपनी को मानसिक त्रास के लिए दस हजार रु. की क्षतिपूर्ति राशि और दो हजार रु. वाद व्यय की राशि अदा करने का भी आदेश दिया गया है।
परिवादी के अभिभाषक प्रणय ओझा ने बताया कि सैलाना निवासी गिरधारी पिता किशनलाल पाटीदार ने केयर हेल्थ इंश्योरैैंस कंपनी से वर्ष 2019 में पांच लाख रु.की हेल्थ इंश्योरैैंस पालिसी ली थी। यह पालिसी वर्ष 2022 तक निरन्तर चलती रही। इसी दौरान वर्ष 2020 में परिवादी की पत्नी श्रीमती सविता पाटीदार कोरोना से संक्रमित हो गई और बाद में 7 नवंबर 2020 को अहमदाबाद के एपिक हास्पितल में उनका उपचार और आपरेशन करवाया गया। श्रीमती पाटीदार के उपचार पर कुल 4 लाख 88 हजार 258 रु. का खर्च आया। परिवादी ने उपचार व्यय की राशि केयर हेल्थ इंश्योरैैंस कंपनी से प्राप्त करने के लिए दावा प्रस्तुत किया,जिसमें कंपनी द्वारा वांछित समस्त औपचारिकताएं पूरी की गई और सारे चिकित्सकीय दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए। लेकिन केयर हेल्थ इंश्योरेैस कंपनी ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत बीमा राशि के दावे को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि बीमीत व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत चिकित्सकीय दस्तावेजों में विसंगतियां है।
बीमा कंपनी द्वारा उपचार की राशि नहीं दिए जाने से व्यथित श्रीमती सविता और गिरधारी पाटीदार ने अभिभाषक प्रणय ओझा के माध्यम से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम में हेल्थ केयर कंपनी के मुख्य प्रबन्धक और शाखा प्रबन्धक के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत किया। प्रकरण की विस्तृत सुनवाई और प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों के विचारण के पश्चात उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष रमेश मावी और सदस्य जयमाला संघïवी ने केयर हेल्थ इंश्योरैैंस कंपनी द्वारा इलाज की राशि नहीं दिए जाने को सेवा में कमी मानते हुए.कंपनी को परिवादी के उपचार की राशि 4लाख 88 हजार 258 रु. परिवाद प्रस्तुति दिनांक से राशि अदायगी दिनांक तक सात प्रतिशत की दर से ब्याज के साथ अदा करने का आदेश दिया। विद्वान अध्यक्ष श्री मावी ने अपने आदेश में परिवादी को हुए मानसकि त्रास के लिए दस हजार की क्षतिपूर्ति राशि तथा वाद व्यय के लिए दो हजार रु. पृथक से अदा करने के आदेश भी दिए है।