Green Tree Cutting बेदर्दी से काटे जा रहे है हरे भरे वृक्ष,युवा पत्रकार की सक्रियता से रुका पेड काटने का षडयंत्र, प्रशासन का रवैया ढुलमुल
रतलाम,30 मई (इ खबरटुडे)। कोरोना काल में आक्सिजन की कमी से कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पडा है,इसके बावजूद लोग पेडों का महत्व समझने को तैयार नहीं है। पिछले दो दिनों में शहर के दो अलग अलग क्षेत्रों में हरे भरे वृक्ष काटने की घटनाएं सामने आई है। रविवार को अमृत सागर उद्यान के सामने फलाहारी बाबा के आश्रम में बीस से अधिक हरे भरे वृक्षों को काट दिया गया। पर्यावरण कार्यकर्ता और पत्रकार अदिति मिश्रा की सक्रियता से अन्य पेडों को काटने का षडयंत्र फिलहाल रुक गया है। लेकिन पेड काटने की घटनाओं पर प्रशासन का ढुलमुल रवैया चिंता का विषय है।
रविवार दोपहर पेड काटे जाने की सूचना मिलने पर दबंग दुनिया की पत्रकार अदिति मिश्रा व सिकन्दर पटेल और कुछ पर्यावरणप्रेमी पहुंचे तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने स्वयं को नगर निगम के आदेश पर कार्य करना बताया। परंतु जब फोन पर निगम के जिम्मेदारों से बात की गई तो उन्होंने पेड़ काटने की जानकारी होने से ही मना कर दिया।
रविवार सुबह कुछ कॉलोनीवासियों ने सोशल मीडिया पर पेड़ काटने की जानकारी साझा की। जानकारी मिलते ही अदिति मिश्रा व सिकन्दर पटेल , आरएसएस के विवेक जायसवास, अधिवक्ता अदिति दवेसर सहित कई समाजसेवी मौके पर पहुंचे। गोपाल सोनी नाम स्थानीय निवासी ने बताया कि यहां शनिवार को कुछ कर्मचारियों ने छोटी आरा मशीन से करीब 20 से अधिक पेड़ काट दिए जिसमें जामफल, सीताफल, सुरजना, गुलमोहर, पलाश आदि काट दिए। कर्मचारियों से जब कॉलोनीवालंों ने पेड़ काटने का कारण पूछा तो उन्हें बताया गया कि यह कार्य नगर निगम की अनुमित से किया जा रहा है। उसी स्थान पर रहने वाले मोहम्मद साबिर शाह ने बताया कि ये पेड़ करीब 30-40 सालों से लगे थे, लेकिन जब काटने से रोका गया तो कर्मचारियों ने शासकीय कार्य बताकर सभी को डराकर भेज दिया। रविवार को जेसीबी और ट्रैक्टर ट्राली से कर्मचारी मलबा और लकड़ी आदि उठाने भी पंहुचे। जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने भी दोहराया कि और भी करीब 20 पेड़ और काटे जाने हैं।
इंजीनियरों ने कहा आयुक्त ने कटवाए, लेकिन नहीं दिखा सके अनुमति
जब पर्यावरणप्रेमियों ने नगर निगम इंजीनियर एमके जैन से जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है, न ही उन्होंने पेड़ काटने की कोई जानकारी है। जब समाजसेवी विवेक जायसवाल ने निगम आयुक्त सोमनाथ झारिया से जानकारी ली तो आयुक्त ने उन्हें बताया कि केवल फोरलेन निर्माण कार्य में करने वाले पेड़ों को काटना है। अंदर के पेड़ काटने के लिए नहीं कहा गया है। इसके बाद अधिवक्ता अदिति दवेसर ने कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम को भी फोन लगाकर घटनाक्रम की जानकारी दी, जिसपर कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच करवाने का आश्वासन दिया। हंगामा बढने पर निगम के दो इंजीनियर मौके पर पहुंचे। पहले तो उन्होंने कहा कि पेड़ निगम आयुक्त द्वारा निर्देश के बाद काटे जा रहे हैं और यह भूमि बेची जाएगी। लेकिन न तो वे अनुमति दिखा सके और न ही उन्होंने निगम आयुक्त द्वारा दिए निर्देश की कॉपी दिखाई। हंगामा बढने पर वे लोग भी रवाना हो गए।
कॉलोनीवालों ने कहा नहीं कटने देंगे अब और पेड़
मामले में कॉलोनी रहवासियों ने बताया कि वे लोग भी पेड़ों को नहीं कटने देना चाहते हैं। शनिवार को आए कर्मचारियों ने उन्हें यह कहकर हटा दिया था कि पेड़ों प्रशासन की के निर्देशानुसार काटे जा रहे हैं और रोकने वालों पर कार्रवाई होगी। पंरतु रविवार को नगर निगम के ढुलमुल रवैये को देखने के बाद कॉलोनी वालों ने कहा कि वे लोग दिन औ रात में बचे हुए पेड़ों की रक्षा के लिए प्रत्यन करेंगे।
करोड़ों की भूमि पर है माफियाओं की नजर
उल्लेखनीय है कि अमृतसागर उद्यान के सामने की तरफ मेन रोड पर फलाहारी बाबा नाम से व्यक्ति ने भूमि पर आश्रम बनाकर करीब 40 सालों तक 150 से अधिक वृक्ष भी लगाए थे। उनकी मृत्यु के बाद से करोड़ों की शासकीय भूमि को लेकर भू-माफियाओं और आश्रम समिति का विवाद प्रारंभ हो गया है। भूमि को लेकर फरवरी में गोली तक चली थी। इसके बाद प्रशासन ने इसे शासकीय घोषित करते हुए बोर्ड भी लगाए हैं कि यह भूमि शासकीय है जिसका सर्वे नंबर और अन्य जानकारी भी बोर्ड पर अंकित है। बावजूद इसके करोड़ों की भूमि हथियाने के खेल भी अंदरखाने जारी है।