Fci/भोपाल में एफसीआइ के रिश्वतखोर क्लर्क के घर से मिली करोड़ों की नकदी
भोपाल,29 मई (इ खबरटुडे)। फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) के रिश्वतखोर क्लर्क किशोर मीणा के घर से करोड़ों रुपये की नकदी सीबीआइ की टीम ने बरामद की है। यहां से सोने और चांदी के जेवर भी जब्त किए गए हैं। जांच की कार्रवाई जारी है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, जब्त की गई नकदी दो करोड़ रुपये से अधिक है। मीणा और एफसीआइ के तीन अधिकारियों को शुक्रवार को गुरुग्राम स्थित सुरक्षा एजेंसी कैप्टन कपूर एंड संस से रिश्वत मांगने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। सूत्रों का कहना है कि एफसीआइ के अधिकारी रिश्वत की रकम क्लर्क के घर पर रखते थे। यहां से एक डायरी भी मिली है, जिसमें रिश्वत लेने की जानकारी दर्ज है। सीबीआइ की कार्रवाई अभी जारी है।
सुरक्षा एजेंसी के बिलों के भुगतान के लिए रिश्वत मांगने के मामले में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के भोपाल स्थित कार्यालय के चार अधिकारियों और कर्मचारियों को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने गिरफ्तार किया है। सीबीआइ ने इन्हें एक लाख रुपये लेते रंगे हाथों पकड़ा है। सुरक्षा एजेंसी का मुख्यालय गुरुग्राम में है। रिश्वत की राशि नहीं मिलने पर बिलों का भुगतान नहीं किए जाने पर एजेंसी ने सीबीआइ को शिकायत की थी। जानकारी के अनुसार, गुरुग्राम स्थित सुरक्षा एजेंसी कैप्टन कपूर एंड संस को इस वर्ष जनवरी में गार्ड की तैनाती के लिए 11 लाख 30 हजार रुपये प्रतिमाह पर टेंडर मिला था। एफसीआइ के अधिकारी एजेंसी से बतौर रिश्वत प्रतिमाह 10 फीसद कमीशन मांग रहे थे। जब इन्हें रिश्वत नहीं दी गई तो बिलों का भुगतान रोक दिया गया।
एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले के निपटारे के लिए चर्चा की तो एफसीआइ के अधिकारियों ने पुराने बिलों के भुगतान के लिए 50 हजार और नए बिलों के भुगतान के बदले 70 हजार रुपये की मांग की। गुरुवार को एजेंसी की ओर से इस संबंध में सीबीआइ को शिकायत की गई। आरोपितों को रंगे हाथ पकड़ने के लिए शुक्रवार शाम को एक लाख रुपये लेने के लिए मैनेजर (अकाउंट) को भोपाल के माता मंदिर क्षेत्र में बुलाया गया। रिश्वत की राशि लेने के बाद एफसीआइ के डिविजनल मैनेजर हर्ष इनायका, मैनेजर (अकाउंट) अरुण श्रीवास्तव, मैनेजर (सिक्यूरिटी) मोहन पराते और क्लर्क किशोर मीणा को गिरफ्तार कर लिया गया। देर रात तक आरोपितों के ठिकानों पर जांच जारी थी। बताते गए एक-दूसरे का नाम : सूत्रों ने बताया कि रिश्वत की राशि लेने के लिए एक कार से मैनेजर (अकाउंट) अरुण श्रीवास्तव आया था। जब उसे पकड़ा गया तो उसने कहा कि इसमें मेरा ही हिस्सा नहीं है।
मैनेजर (सिक्यूरिटी) मोहन पराते भी शामिल है। सीबीआइ की टीम ने श्रीवास्तव के फोन से पराते को रिश्वत लेने बुलाया। जब पराते भी सीबीआइ के शिकंजे में फंस गया तो उसने कहा कि इसमें डिविजनल मैनेजर हर्ष इनायका भी शामिल हैं। इनके फोन से इनायका को रिश्वत की राशि मिलने की जानकारी दी तो इनायका ने उन्हें राशि लेकर ऑफिस आने को कहा। सीबीआइ टीम भी इनके साथ थी। श्रीवास्तव और पराते ने इनायका को रिश्वत की रकम दी तो इनायका ने क्लर्क किशोर मीणा को राशि देते हुए सुरक्षित रखने को कहा। सभी की संलिप्तता की पुष्टि होने पर सीबीआइ ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया। मीणा जिस स्टोर रूम में रिश्वत की राशि रखने गया था, वहां से भी सीबीआइ ने नकदी बरामद की है।