November 22, 2024

होंठ हिले भी नहीं और मांगली मन्नते……कोरोना का कहर दशा पूजा में भी दिखा

दिलीप सिंह गौड़

घर की आर्थिक मानसिक शारीरिक दशा सुधारने के लिए प्रतिवर्ष महिलाएं दशा माता पूजा कर अपने परिवार की सुख समृद्धि को लेकर मन्नतें मांगतती हैं इस दिन सुहागिन महिलाएं दशा माता का व्रत करती है।

इंसान को कई बार जीवन में अचानक से कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसी प्रतिकूल समय में उसके धैर्य की परीक्षा होती है। कई प्रयासों के बावजूद जब व्यक्ति कठिन परिस्थितियों से न उबर पाए और लंबे समय तक समस्याएं बरकरार रहे तो अंत में वह ईश्वरीय शक्ति के सामने गुहार लगाता है। ऐसे ही संकटों से उबारने वाला है दशा माता व्रत। जीवन की दिशा- दशा को सही करने की कामना से चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की दशमी के दिन दशा माता का व्रत किया जाता है। इस व्रत को जो व्यक्ति भक्ति-भाव से करता है, उसके घर से दुख और दरिद्रता दूर हो जाती है।

होंठ हिले भी नहीं और मांगी मन्नत
कोरोना संक्रमण के चलते हैं दशा माता पूजा करने पहुंची महिलाएं कोरोना संक्रमण से भयभीत होकर पूजा स्थलों पर मास्क लगाकर पहुंची थी जहां उन्होंने होंटो को हिलने भी नहीं दिया और मन ही मन में दशा माता से अपनी पारिवारिक दरिद्रता को दूर करने की मन्नते मांगी यह पहला ऐसा वाक्य था जहां पर महिलाएं अपने घर की दशा सुधारने को लेकर भी भगवान के सामने याचक बनकर तो खड़ी थी लेकिन बोल नहीं पा रही थी मन ही मन में बस भगवान से यह मिन्नते कर रही थी कि मेरी दीन दशा को प्रभु समझकर मेरी आर्थिक स्थिति ठीक करो

पूजन विधि
दशा माता का व्रत करने वाली सुहागिनें इस पावन दिन शुभ मुहूर्त में, कच्चे सूत के 10 तार के 10 गांठ वाले डोर से पीपल की पूजा करती हैं। विधि-विधान से इस पूजा के पश्चात् व्रती महिलाएं नल- दमयंती की कथा सुनती हैं। कथा समाप्त होने पर महिलाएं पूजित डोरे को गले में बांधती हैं। इस धागे को व्रती महिलाएं पूरे साल धारण करती हैं।

व्रत के नियम
दशामाता का व्रत जीवन में जब तक शरीर साथ दे, तब तक किया जाता है। इस व्रत के दिन घर में विशेष रूप से साफ-सफाई की जाती है। साथ ही सफाई से जुड़े समान रूप झाड़ू आदि खरीदने की परंपरा है। दशामाता व्रत करने वाली महिलाएं दिन भर में मात्र एक बार अन्न का सेवन करती हैं। इस व्रत में नमक का सेवन नहीं किया जाता है। मान्यता है कि दशामाता व्रत को विधि-विधान से पूरा करने पर एक साल के भीतर जीवन से जुड़े दुख और समस्याएं दूर हो जाती हैं।

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