May 16, 2024

Horticulture Scam : मंदसौर उद्यानिकी विभाग के करोडों के घोटाले में संचालक सहित 15 पर लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज

उज्जैन,19 अक्टूबर (इ खबर टुडे / ब्रजेश परमार )। मंदसौर उद्यानिकी विभाग में वर्ष 2017-18-19 के सत्र में हुए करोड़ों के घोटाले में लोकायुक्त ने प्रकरण दर्ज किया है। उद्यानिकी विभाग के तत्कालीन संचालक सहित उपसंचालक मंदसौर, 7 ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी एवं 6 फर्म के संचालक आरोपी बनाए गए हैं।

लोकायुक्त निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव के अनुसार मुकेश पाटीदार निवासी दलौदा जिला मंदसौर ने लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन संभाग उज्जैन में शिकायती आवेदन पत्र प्रस्तुत किया था। जांच मे शिकायत पुष्ट होने के उपरांत जांच लोकायुक्त भोपाल को भेजी गई थी। लोकायुक्त संगठन, भोपाल में अपराध क्रं 214/2022 पंजीबद्ध किया गया है। आरोपियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7, 13(1)ए, 13(1)बी सहपठित धारा-13(2) तथा भादंवि की धारा 409, 420, 120बी के अंतर्गत लोकायुक्त संगठन, भोपाल में अपराध क्रं 214/2022 पंजीबद्ध किया गया है।

जांच में ये आया सामने

शिकायत की जांच के दौरान पाया गया कि विभाग में संचालित योजनायें यथा राज्य योजनायें, एकीकृत बागवानी मिशन योजना (MIDH) यंत्रीकरण, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), राष्ट्रीय औषधी मिशन (NMMP) का क्रियान्वयन किया जाना था। जिनमें कई अनियमितताएं पाई गई।

-जांच के दौरान प्राप्त दस्तावेजों से पाया गया कि उज्जैन संभाग के मंदसौर जिले को तुलनात्मक दृष्टि से उपरोक्त योजनाओं के लिए अत्यधिक राशि स्वीकृत की गयी हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में मंदसौर जिले को कुल 309.4 लाख रूपये स्वीकृत किये गये हैं तथा वर्ष 2018-19 में बागवानी यंत्रीकरण के लिए 235.72 लाख का बजट उपलब्ध कराया गया हैं।

-उप संचालक मनीष चौहान को मंदसौर जिले में दिनांक 12.07.2017 को पदस्थ किया गया तथा राज्य पोषित योजना अंतर्गत घटक यंत्रीकरण में वर्ष 2017-18 में मंदसौर जिले को 14.05 लाख रूपये तथा 2018-19 में 22.76 लाख रूपये बजट आवंटित किया गया। केन्द्र पोषित योजना (MIDH) उप संचालक मंदसौर द्वारा राज्य शासन के नियमों की अवहेलना करते हुए यंत्र प्रदाता कंपनियों से षड़यंत्र कर अनुदान की राशि को सीधे यंत्र प्रदाता कंपनी के बैंक खाते में अंतरित किया गया।

-हितग्राहियों का चयन भी मनमाने तरीके से किया गया तथा एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्यों को यंत्र प्रदाय किये गये। यंत्रों का क्रय एमपी स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवल्पमेंट कॉ.लि. एवं प्रतिष्ठित निर्माता कंपनियों से नहीं किया गया।

-संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी भोपाल के आदेश अंतर्गत स्पष्ट था कि एकीकृत बागवानी मिशन योजना (MIDH) यंत्रीकरण, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY). राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), राष्ट्रीय औषधी मिशन (NMMP) का क्रियान्वयन डी.बी.टी. के माध्यम से करने के निर्देश थे, जो नहीं किया गया। इसके साथ ही कार्य का भौतिक सत्यापन भी नहीं कराया गया।

-तत्का. संचालक उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी भोपाल के आदेश से राज्य शासन के अनुमोदन के बिना कृषक अंश का भुगतान आर. टी.जी.एस./एन.ई.एफ.टी./ बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से संबंधित कंपनी/फर्म के खाते में भुगतान की अनुमति प्रदान कर दी जबकि केन्द्र प्रवर्तित योजना में कोई भी संशोधन राज्य सरकार ही करने को अधिकृत हैं।

-यंत्र प्रदाता कंपनियों के मैनेजर/संचालकों ने अपने कथनों में स्वीकार किया कि निर्धारित यंत्र की कीमत का 50 प्रतिशत किसानों से नगद प्राप्त किया गया तथा उसकी रसीद भी किसानों को दी गयी, जो नियम विरूद्ध कार्यवाही को दर्शाता हैं।

  • किसानों को निर्धारित यंत्र पॉवर ट्रिलर की बिक्री न करते हुए रोटरी ट्रिलर की बिक्री की गयी, जो पावर ट्रिलर से काफी कम कीमत की होती हैं। पॉवर ट्रिलर की न्यूनतम कीमत लगभग 1.5 लाख रूपये होती हैं, वहीं रोटरी ट्रिलर की कीमत लगभग 60,000 रुपये होती हैं। इस संबंध में बागवानी मिशन के संचालन संबंधी दिशा-निर्देशों (अप्रैल 2014) का पालन भी नहीं किया गया।

-उद्यानिकी विभाग मंदसौर के अधिकारियों द्वारा नियम विरूद्ध तरीके से जिला स्तरीय तकनीकी समिति से भौतिक सत्यापन कराने के बजाय विकासखण्ड स्तर पर पदस्थ ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी स्तर के अधिकारियों से ही भौतिक सत्यापन कराया गया।

-यंत्र प्रदाता कंपनियों द्वारा किसानों को यंत्र वितरण करते समय अतिरिक्त राशि भी वसूल की गयी तथा योजना की मंशा के विपरीत यंत्र प्रदाता कंपनियों ने ही हितग्राहियों का चयन स्वयं कर लिया एव उनसे नगद राशि लेकर शेष अनुदान राशि के बिल उद्यानिकी विभाग में लगाकर अनुदान राशि स्वयं की फर्म के खातों में प्राप्त कर ली।

-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY) के अंतर्गत अनार के पौधों एवं ड्रिप इरीगेशन सिस्टम के भुगतान में भी अनियमितताएं पायी गयी हैं। इन योजनाओं का पैसा भी डी.बी.टी. के माध्यम से हितग्राही कृषकों के बैंक खातों में भेजना था जो नहीं करते हुए सीधे पौधा वितरण कंपनी एवं ड्रिप इरीगेशन संयंत्र कंपनी को भुगतान कर दिया गया।

योजनांतर्गत प्रदान किये गये अनार के सभी पौधे वर्ष 2017-18 में गर्मी पड़ने से सूख गये तथा किसानों को कोई सहायता राशि प्राप्त नहीं हुई। उद्यानिकी विभाग द्वारा प्रथम आओ प्रथम पाओ की नीति का भी पालन नहीं किया तथा यंत्र प्रदाता कंपनी द्वारा किसानों से सीधे भुगतान प्राप्त किया गया।

-योजना की शर्तों में द्वितीय वर्ष में 80 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष में 90 प्रतिशत पौधे जीवित होने पर ही अनुदान राशि का भुगतान करना था परंतु राशि पौधा वितरीत करने के बाद ही कंपनियों को प्रदान कर दी गयी। संरक्षित खेती योजना अंतर्गत पॉली हाउस/शेडनेट हाउस/वॉक इन टनल से संबंधित योजना के दिशा निर्देशों का पालन भी नहीं किया गया। हितग्राहियों के खातों में अनुदान राशि का भुगतान न करते हुए किसान एग्रोटेक एवं अन्य कंपनियों के खातों में भुगतान किया गया हैं।

उद्यानिकी विभाग जिला मंदसौर के अधिकारियों एवं कृषि यंत्र प्रदाता कंपनियों तथा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत अनार पौधा तथा ड्रिप इरीगेशन कंपनियों द्वारा आपसी षड्यन्त्र कर उद्यानिकी विभाग मंदसौर में संचालित एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना (MIDH) एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के क्रियान्वयन में नियम विरूद्ध तरीके से अमानक स्तर के कषि यंत्रों की कथित खरीदी तथा यंत्र प्रदाता कंपनियों एवं अनार पौधा एवं ड्रिप इरीगेशन वितरण कंपनियों को नियम विरूद्ध तरीके से कृषक अनुदान राशि का भुगतान कर शासन को आर्थिक हानि कारित किया जाना प्रथम दृष्टया प्रमाणित हुआ है।

इन्हे बनाया आरोपी

1- सत्यानंद, तत्कालीन संचालक, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी म.प्र. भोपाल

2- मनीष चौहान, उप संचालक, उद्यानिकी विभाग मंदसौर

3- राजेश जाटव, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं सह प्रभारी वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी विकासखण्ड मल्हारगढ, जिला मंदसौर,

4- पप्पूलाल पाटीदार, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी मंदसौर

5- बनवारी वर्मा, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, विकासखण्ड़, सीतामऊ, जिला मंदसौर

6- उद्यान विस्तार अधिकारी एवं वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी विकासखण्ड गरोठ, जिला मंदसौर,

7- सत्यम मण्डलोई, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी विकासखण्ड़ भानपुरा, जिला मंदसौर

8- सुरेशसिंह धाकड़, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी एवं वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी मंदसौर,

9- दिनेश पाटीदार, ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी, मंदसौर

10-प्रोप्राइटर- सुरेश मणिभाई पटेल, फर्म-गणेश ट्रेडिंग कंपनी, जबलपुर, निवासी- ग्राम आमोद, तहसील पिटलाद, जिला आणंद गुजरात

11-प्रोप्राइटर प्रवीण भाई मूलजी,फर्म-छत्तीसगढ़ इंटरप्राईजेस निहार अस्पताल के सामने, धम्धा रोड़, जेवरा सिरसा, जिला दुर्ग, छत्तीसगढ, निवासी- कातुलबोर्ड वार्ड नं. 59, मकान नंबर16/90 हरिनगर, दुर्ग, छत्तीसगढ़

12-प्रोप्राइटर- मितुलभाई पिता प्रवीणभाई पटेल, फर्म-जे.एम. इंटरप्राईजेस, हरिनगर दुर्ग, छत्तीसगढ़,

13-मिहिर पण्ड्या , डायरेक्टर, एबीसी एग्रोबॉयोटेक कंपनी, प्रा.लि., ब्लॉक नंबर 347744 सरदार नगर इंडस्ट्रियल कॉपरेटिव सोसायटी स्टेट, ग्राम छापरा, जिला खेड़ा, गुजरात,

14-मंगलन शिवदासन, डायरेक्टर, एवीसी एग्रोबॉयोटेक कंपनी, प्रा.लि., ब्लॉक नंबर 347744 सरदार नगर इंडस्ट्रियल कॉपरेटिव सोसायटी स्टेट, ग्राम छापरा, जिला खेड़ा, गुजरात

15-शिवसिंह मेहता, मैनेजिंग डायरेक्टर, मेसर्स कृति इंडस्ट्रीज (इंडिया) लिमिटेड, प्लॉट नंबर 75-86 सेक्टर सेकेण्ड पीथमपुर धार

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