भाजपा ने कठिन डगर को आसान बनाया गुजरात में
-चंद्र मोहन भगत
देश के सभी राजनीतिक दल का भाजपा नेतृत्व को डबल इंजन वाला बताकर आलोचना करते रहे पर ईसी डबल इंजन नेतृत्व ने गुजरात में अपने प्रबंधन और विवेक से कठिन डगर को इतना आसान बना दिया कि पहले के सारे आंकड़ों को पछाडते हुए पार कर उचाई पर नया टीला स्थापित कर दिया । ये आंकड़ा डबल इंजन कह कर उपहास करने वालों के लिए चलेंजं साबित हो रहा है। भाजपा के सभी विरोधी दलों के नेताओं ने गुजरात चुनाव के पहले से जो नजरिया पेश करना शुरू किया था। जिसमें भाजपा का जनाधार घटना दर्शाया गया था। इस नजरिए को ही टीवी चैनलों समाचार पत्रों ने कहीं स्पष्ट तो कहीं दबे छुपे स्वीकारोक्ति के साथ परोसा था। स्पष्ट और ताल ठोक कर किसी ने भी इस प्रकार के आंकड़े की घोषणा नहीं की थी सिवाय भाजपा नेताओं के।
स्वाभाविक था भाजपा के लिए नकारात्मकता के सतही प्रचार से कांग्रेसी आप और अन्य विरोधी दलों में थोड़ा उत्साह संचारीत हो रहा था,नतीजों के उजागर होने तक । गुजरात में कांग्रेस और आप दोनों को हार मिलने के बाद उत्साह वर्धन का राजनीतिक टानीक भी मिला है । इस चुनाव के बाद काग्रेस को हिमाचल में विजय मिली सरकार बनाने के आंकड़े के साथ तो आप पार्टी को जनमत ने राष्ट्रीय पार्टी की हैसियत से नवाज दिया ।कांग्रेस और आप संगठन ने अपना प्रबंधन किया था जैसा किया जितना किया उतना ही पाया दोनों दलों ने पर जो राजनीतिक दृश्य गुजरात चुनाव के शुरुआत में भाजपा के लिए नकारात्मक बना नजर आ रहा था उसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अधिक समय देकर गलियों मोहल्लों तक पहुंचकर जनमत को वैचारिक तरीके से समेटा और जो नतीजों में भी नजर आया है ।
इसे डबल वाले नेतृत्व की गंभीर और अपने पक्ष में तैयार करने वाली साहसिक उपलब्धि माना जा रहा है । इन राज्यों के चुनाव शुरू होते टीवी चैनलों पर जिस तरह से बहस परोसी जा रही थी भाजपा प्रवक्ताओं को छोड़ सभी गुजरात में भाजपा की डगर कठिन बता रहे थे। कारणों में महंगाई हिंदू-मुस्लिम अमीर गरीब बेरोजगारी और किसानों की उपेक्षा जैसे मुद्दे लेकर विरोधी हावी हो रहे थे । जवाब भी देते रहे थे पर मीडिया भी दरक रहा था भाजपा की स्पष्ट जीत के प्रति । बहरहाल गुजरात में भाजपा 156 विधायकों के साथ सरकार बनाएगी हिमाचल में कांग्रेस 40 विधायकों के साथ । यह तय माना जा रहा है कि भविष्य के चुनावो में भी जिस दल का नेतृत्व जितना बेहतर योजनाबद्ध तरीके से प्रबंधन और विवेक का इस्तेमाल करेगा विजय उसी दल को मिलेगी । नए जनमत की पौध अब राजनीतिक मुद्दों की बजाय दल की नीति रीति को बारीकी से परखने लगा है । हाल के चुनाव यही साबित कर रहे हैं