October 6, 2024

Traffic Fail : आटो चालको की मनमानी,चौराहो पर लगातार ट्रैफिक जाम ; चौपट हो गई शहर की यातायात व्यवस्था, यातायात कर्मी वसूली में व्यस्त

रतलाम,20 जून (इ खबरटुडे)। शहर का यातायात थाना पिछले कुछ समय से सालाखेडी रोड स्थित नए भवन में स्थानान्तरित हो चुका है। लेकिन नए भवन में जाने के बावजूद यातायात पुलिस के तौर तरीकों में कोई बदलाव नहीं आया है। शहर की यातायात व्यवस्था चौपट हो गई है और यातायात का अमला वाहनों से वसूली में व्यस्त है। ,चौराहों पर लगातार ट्रैफिक जाम हो रहे है,आटो चालक यात्रियों से मनमानी वसूली करते है,मैजिक वाले बेखौफ क्षमता से अधिक लोगों को बैठा रहे है। ऐसा लगता है कि जैसे शहर में यातायात पुलिस नाम की कोई चीज ही नहीं है।

किसी जमाने में रतलाम शहर के ट्रैफिक को सम्हालने के लिए मात्र ट्रैफिक चौकी हुआ करती थी और सारी यातायात व्यवस्था ट्रैफिक सूबेदार के हवाले होती थी। लेकिन शहर का आकार और वाहनों की संख्या बढने के साथ पुलिस विभाग ने यातायात व्यवस्था सम्हालने के लिए यातायात चौकी को अपग्र्रेड कर थाना बना दिया। इतना ही नहीं यातायात सम्हालने की जिम्मेदारी डीएसपी और टीआई जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को सौंप दी गई। वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले होने के बावजूद इन दिनों शहर की ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल है।

शहर के मुख्य बाजारों में बार बार ट्रैफिक जाम होता है। लेकिन इसे सम्हालने वाले ट्रेफिकर्मी कहीं नजर नहीं आते। सार्वजनिक परिवहन वाले मैजिक और आटो जैसे वाहन जहां चाहे अपने वाहन खडे कर देते है। चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल जरुर लगे है,लेकिन आमतौर पर चलते नहीं है और जब भी चलते है,उनका पालन करवाने के लिए ट्रैफिककर्मी कभी भी दिखाई नहीं देते।

समस्या सिर्फ यही नहीं है। रतलाम के रेलवे स्टेशन और बस स्टैण्ड पर बाहर से रतलाम आने वाले यात्री आटो चालकों की बदतमीजी और मनमानी वसूली का शिकार बनते है। आटोचालक का जो मन होता है,वैसा ही वह किराया मांगता है और यदि किसी यात्री ने गलती से किसी आटोचालक के सामने मनमानी वसूली का विरोध दर्ज करा दिया तो उसे आटो चालकों की बदतमीजी का शिकार बनना पडता है।

रेलवे स्टेशन पर कुछ बरस पहले तक यातायात पुलिस द्वारा प्रीपेड बूथ चलाया जाता था,जिसके कारण यात्री आटो की मनमानी वसूली से बच जाते थे। लेकिन लम्बे वक्त से यातायात विभाग ने इस व्यवस्था को भी बन्द कर दिया है और स्टेशन पर आने वाले यात्रियों को मनमानी वसूली के लिए छोड दिया गया है।

नन्हे बच्चों को स्कूल ले जाने वाले स्कूली आटो में भी बच्चों को भेड बकरियों की तरह ठूंस ठूंस कर ले जाने की शुरुआत हो चुकी है। यातायात अमला हमेशा इसकी अनदेखी करता है और स्कूली आटो की यह ओवरलोडिंग कभी भी बडे हादसे का कारण बन सकती है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस को इसकी कोई चिन्ता नहीं है।

शहर की सड़कों पर दौड रहे मैजिक वाहन भी अपनी मर्जी के मालिक है। वे जमकर ओवर लोडिंग करते है। सडक पर जहां चाहे वहां मैजिक रोक देते है। निर्धारित मार्गो पर चलना उनके लिए जरुरी नहीं है। कई मैजिक वाहन उन मार्गो पर चलते है,जिसका परमिट उनके पास नहीं है। यातायात को लेकर शहर में इतनी सारी समस्याएं है,लेकिन यातायात कर्मी इन सारी व्यवस्थाओं को सुधारने की बजाय वसूली में व्यस्त रहते है। हाईवे से गुजरने वाले ट्रक,बस हो या शहर में चलने वाले आटो या मैजिक। सभी की यातायात पुलिस से बन्दी बन्धी हुई है।

यातायातकर्मियों की सारी व्यस्तता इन आटो और मैजिक वाहनों से बन्दी लेने के कारण बनी रहती है। जानकार सूत्रों का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस की मासिक वसूली लाखों में होती है। वसूली की व्यस्तता के चलते यातायात कर्मी यातायात सुधारने पर ध्यान नहीं दे पाते। यातायात थाना प्रभारी पृथ्वीसिंह खलाटिया से जब शहर की ट्रैफिक व्यवस्था के सम्बन्ध में बात करने की कोशिश की गई,तो उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया। उनका मोबाइल लगातार नो रिप्लाय होता रहा।

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