मेघनगर काण्ड में रतलाम का शिक्षक भी आरोपी
शिक्षा विभाग ने अब तक नहीं की कोई कार्रवाई
रतलाम,२४ फरवरी(इ खबरटुडे)। वनवासियों को बरगला कर हिन्दू समाज से अलग करने वाले षडयंत्रकारी अब रतलाम में भी सक्रीय हो गए है। इसका प्रमाण यह है कि पिछले दिनों झाबुआ के मेघनगर में आयोजित अलगाववादी दलित सम्मेलन के दौरान हुए विवाद में रतलाम के शासकीय विद्यालय का एक शिक्षक भी मुख्य आरोपियों में शामिल है। उक्त शिक्षक फिलहाल जेल में है लेकिन शिक्षा विभाग ने अब तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।
उल्लेखनीय है कि विगत १८ फरवरी को झाबुआ के मेघनगर में बामसेफ व कतिपय अन्य अलगाववादी संगठनों द्वारा एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन में अलगाववाद को पोषित करने और हिन्दू धर्म को अपमानित करने वाली कई आपत्तिजनक पुस्तकों का खुलेआम विक्रय किया जा रहा था। जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया तो आयोजकों ने हिंसक जवाबी हमले किए। इस झगडे ने देखते ही देखते गंभीर रुप धारण कर लिया। पुलिस ने मौके पर पंहुचकर स्थिति को नियंत्रित किया। इस मामले में पुलिस ने सात-आठ नामजद आरोपियों समेत अनेक व्यक्तियों के खिलाफ धार्मिक उन्माद भडकाने,बलवा करने और अन्य आपराधिक धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज किए थे।
इस सारे घटनाक्रम में चौंकाने वाली जानकारी यह है कि मेघनगर काण्ड में गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपियों में से एक आरोपी बादर पिता भीलजी सिंघाड रतलाम के एक शासकीय विद्यालय में शिक्षक है। इ खबरटुडे को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक बादर पिता भील जी सिंघाड रतलाम के नवीन कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के रुप में पदस्थ है। मेघनगर थाना प्रभारी केके दावरे के मुताबिक आरोपियों के विरुध्द भादवि की धारा १५३ क,२९५ क,१४७,१४८,१४९ के तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबध्द किए गए है। सभी आरोपी आगामी ३ मार्च तक ज्यूडिशियल रिमाण्ड पर जेल में है।
शासकीय सेवा में रहने वाले किसी व्यक्ति के चौबीस घण्टे से अधिक समय तक हिरासत में रहने की स्थिति में उसे तत्काल निलम्बित कर दिया जाता है। लेकिन धार्मिक उन्माद फैलाने और हिन्दू धर्म के प्रति अपमानजनक टिप्पणियां करने जैसे गंभीर आपराधों में विगत एक सप्ताह से जेल में बन्द शिक्षक बादर सिंघाड के विरुध्द अब तक कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की गई है। नवीन कन्या उमा विद्यालय के प्राचार्य एचएन रैकवार ने बताया कि बादर सिंघाड विगत १५ फरवरी से अवकाश पर है। प्राचार्य ने इस बात से अनभिज्ञता जाहिर की कि सिंघाड के विरुध्द कोई आपराधिक प्रकरण दर्ज है।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह भी निर्विवाद रुप से स्थापित कर दिया है कि उपर से सांत दिखाई दे रहे रतलाम जिले में अब सवर्ण दलित संघर्ष का आधार बनाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो सरकारी विभागों में अनेक कर्मचारी अधिकारी इस तरह के अलगाववादी संगठनों में सक्रीय है जो वनवासी समाज को हिन्दू समाज से अलग करने के षडयंत्र कर रहे है। शिक्षा विभाग में इस तरह के तत्वों का सक्रीय होना और भी घातक है। शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक बादर सिंघाड जिस विद्यालय में पदस्थ है वहां के प्राचार्य स्वयं भी इन संगठनों में सक्रीय है और उन्ही की प्रेरणा से वह मेघनगर सम्मेलन में गया था।