Vibrant Village : पिथौरागढ़ के सीमावर्ती वाइब्रेंट विलेज गुंजी में बनेगा ‘कैलाश धाम’, डीपीआर बनाने का कार्य अंतिम चरण में
पिथौरागढ़,30नवम्बर(इ खबर टुडे)। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के वाइब्रेंट विलेज गुंजी में प्रस्तावित कैलाश धाम के लिए डीपीआर बनाने का कार्य अंतिम चरण में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊं पर्वत और आदि कैलाश दर्शनों के बाद प्रदेश सरकार धारचूला तहसील के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र को तेजी से विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है। आदि कैलाश और ऊं पर्वत के नजदीकी गुंजी गांव को बाइव्रेंट विलेज का दर्जा पहले ही दे दिया गया था, अब इस गांव का चयन कैलाश धाम बनाने के लिए किया गया है। उल्लेखनीय है कि पहले इसे शिव धाम का नाम दिया गया था लेकिन शिव धाम की जगह अब इसे कैलाश धाम नाम दिया जाएगा। देश के बनारस शहर में पहले से ही शिव धाम बना हुआ है। देश में एक ही नाम से दो धाम हो जाने के चलते नाम बदलने का फैसला लिया गया है।
अंतिम चरण में है कार्य
कैलाश धाम 60 हेक्टेयर भूमि में बनेगा। भूमि चयन की कार्रवाई अंतिम चरण में हैं। कैलाश धाम में श्रद्धालुओं और पर्यटकों के रहने के लिए आवासीय सुविधाओं के विकास के साथ ही क्षेत्र के विशेषताओं से परिपूर्ण आर्ट गैलरी, कैलाश मानसरोवर, आदि कैलाश, ऊं पर्वत आदि से जुड़ी फोटो गैलरी।
कैलाश धाम बनने के बाद मिलेगी पहचान
अंतरिक्ष के नजारों को देखने के लिए वेधशाला आदि का निर्माण कराया जायेगा। कैलाश धाम बन जाने के बाद इस क्षेत्र को नई पहचान मिलेगी। पिथौरागढ़ में पीएम मोदी के आने के बाद से विकास की लहर तेज हो गई है।
2025 तक डबल लेन में होगी यात्रा
आदि कैलाश और ऊं पर्वत दर्शन के लिए जाने वाले यात्री वर्ष 2025 तक डबल लेन सड़क पर सफर करेंगे। सड़क के चौड़ीकरण का कार्य निजी कंपनी जल्द शुरू करेगी। तवाघाट से लिपुलेख तक वर्ष 2001 में सिंगल लेन सड़क तैयार कर ली गई थी। इस सड़क के बन जाने से पूरी व्यास घाटी सड़क सुविधा से जुड़ गई है। वर्ष 2001 से पहले इस क्षेत्र के लोगों के साथ ही कैलाश मानसरोवर, आदि कैलाश, ऊं पर्वत जाने वाले लोगों के साथ ही सीमा की सुरक्षा में मुस्तैद जवानों को पैदल ही आवागमन करना पड़ता था। इस क्षेत्र के महत्व को देखते हुए करीब 80 किमी. सड़क बनाई गई है। सड़क तैयार होने के बाद अब इसे डबल लेन में तब्दील करने की कवायद भी शुरू हो गई है।
आएगी ये चुनौती
निजी कंपनी को सड़क के चौड़ीकरण का दायित्व सौंपा गया है। उम्मीद की जा रही है कि वर्ष 2025 तक सड़क के चौड़ीकरण का कार्य पूरा हो जायेगा। उच्च हिमालयी क्षेत्र में सड़क के चौड़ीकरण में ज्यादा दिक्कत नहीं है। तवाघाट से मालपा तक खड़ी चट्टानों का काटना चुनौतीपूर्ण कार्य है। चट्टानों की कटिंग आदि के लिए जरूरी मशीनें पहले से ही क्षेत्र में मौजूद हैं। सड़क को डबल लेन बनाये जाने के फैसले से स्थानीय ग्रामीण गदगद हैं।