Terrorist Killing : पाकिस्तान में जारी है भारत के मोस्टवांटेड आतंकियों की हत्या का सिलसिला, मसूद अजहर का करीबी भी ढेर, घबराया हाफिज सईद
नई दिल्ली,22अक्टूबर(इ खबर टुडे)। पाकिस्तान की सरजमीं पर भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों की हत्याओं का सिलसिला बदस्तूर जारी है। इस कड़ी में अब जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के करीबी दाऊद मलिक का नाम भी जुड़ गया है। दाऊद मलिक की हत्या पाकिस्तान के उत्तरी वजीरीस्तान में कर दी गई है। अज्ञात लोगों ने उसे गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया है। बताया जाता है कि दाऊद पुलवामा हमले में शामिल था। इन घटनाओं से मुंबई के 26//11 हमलों का मास्टर माइंड हाफिज सईद भी सदमे में है। बीते दिनों पीओके में सुरक्षा घेरे में एक कार में बैठाकर उसके बेटे को कहीं ले जाते हुए देखा गया था। इन हत्याओं पर ISI के कान भी खड़े हो गए हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि जब भारतीय सेना ने पुलावामा हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के बालाकोट पर एयर स्ट्राइक की थी, तब भारतीय जांच एजेंसियों के पास दाऊद मलिक के वहीं छिपे होने की सूचना थी। हालांकि इन हमलों में वो बच गया था। दाऊद को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का करीबी माना जाता है। इसके अलावा वो लश्कर-ए-जब्बर और लश्कर-आई-जांगवी जैसे संगठनों के साथ भी जुड़ा हुआ था। वो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संरक्षण में था। मसूद अजहर सहित हाफिज सईद, जाकिर उर रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकियों को भारत सरकार ने आतंकी घोषित किया हुआ है।
पठानकोट हमले का आतंकी भी मारा गया
केवल पाकिस्तान ही नहीं दुनिया भर में भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों के मारे जाने का सिलसिला जारी है। कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बाद दोनों देशों के बीच उपजे विवाद से हर कोई वाकिफ है। पिछले दिनों इस फेहरिस्त में पाकिस्तान के दो आतंकी शाहिद लतीफ और मुल्ला बाहौर उर्फ होर्मुज का नाम जुड़ गया था। लतीफ को पठानकोट हमले का मास्टर माइंड बताया जाता है। वहीं, होर्मुज के बारे में कहा जाता है कि वो आईएसआई का एजेंट था।
कंधार कांड के आतंकियों की हो चुकी है हत्या
साल 1999 में भारत के विमान को हाइजैक कर उसे अफगानिस्तान के कंधार ले जाने वाले आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन के बशीर मीर उर्फ इम्तियाज आलम और जैश-ए-मोहम्मद के जहूर मिस्त्री की भी कुछ महीने पहले पाकिस्तान में संदिग्ध परिस्थितियों में हत्या कर दी गई थी। खासबात यह है कि इनमें से किसी भी मामले में पाकिस्तान की जांच एजेंसियां आरोपियों का पता नहीं लगा सकी है।