छापेमारी के दौरान सरकारी अधिकारियों ने किया था 18 महिलाओं का रेप, अब 215 अधिकारियों को जेल की सजा
चेन्नई,30सितंबर(इ खबर टुडे)। तमिलनाडु के वचथी गांव के 31 साल पुराने रेप केस में मद्रास हाईकोर्ट ने 215 लोगों को दोषी करार किया है। दोषियों में पुलिसवाले, फॉरेस्ट और रेवेन्यू अधिकारी शामिल हैं। 1992 में इन लोगों ने आदिवासी गांव वचथी में 18 महिलाओं का रेप और पुरुषों को टॉर्चर किया था।
2011 में एक लोअर कोर्ट ने इन लोगों को दोषी ठहराया था। इस आदेश के खिलाफ आरोपियों ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। शुक्रवार (29 सितंबर) को हाईकोर्ट ने लोकर कोर्ट का फैसला बरकरार रखा।
चंदन तस्करी में मारी थी रेड
1992 में तमिलनाडु के आदिवासी गांव वाचाटी में अठारह महिलाओं के साथ बलात्कार का जघन्य अपराध किया गया था। उस समय, तमिलनाडु प्रशासन के सरकारी अधिकारियों ने गांव पर छापा मारा था, जिसमें कई ग्रामीणों को गंभीर पिटाई का शिकार होना पड़ा था। चंदन तस्करी अभियान में ग्रामीणों की संलिप्तता को लेकर संदेह जताया गया। उन्हें सबक सिखाने के प्रयास में, पुलिस, वन और राजस्व विभाग के अधिकारी, कई अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ, गाँव में उतरे।
पश्चिमी तमिलनाडु के धर्मपुरी जिले में सिथेरी पर्वत की तलहटी के नीचे स्थित, वाचाटी एक गाँव है जिसमें मुख्य रूप से आदिवासी और दलित समुदाय रहते हैं। सिथेरी पर्वत अपने चंदन के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है.20 जून 1992 को वाचाटी की अठारह महिलाएं बलात्कार के साथ-साथ क्रूर शारीरिक हमले का शिकार हुईं। आतंक का यह राज लगातार दो दिनों तक कायम रहा।
आदिवासी और दलित समुदाय रहते हैं
20 जून 1992 को वाचाटी में आदिवासी और दलित समुदायों के कम से कम एक सौ ग्रामीण निवासियों के घर में घुसकर मारा गया और इन अधिकारियों ने कई महिलाओं के साथ बलात्कार भी किया। उनके घरों में तोड़फोड़ की गई और उनके मवेशियों को जब्त कर लिया गया।
2011 में एक विशेष ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में 269 सरकारी अधिकारियों में से 215 को दोषी पाया। पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों को ‘दलितों के ख़िलाफ़ अत्याचार’ का दोषी ठहराया गया। दोषी ठहराए गए लोगों में से चौवन की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई थी।
2011 में, मामले में दोषी ठहराए गए लोगों ने अपनी जेल की सजा के खिलाफ अपील दायर की। मद्रास उच्च न्यायालय अब इन अपीलों की समीक्षा करने के लिए तैयार है।