महाकाल में फिजूल खर्चों पर लगाम नहीं, चड़ौत्री बढ़ाने के लिए फिर एक अधिकारी
संत पुजारी धर्मसभा ने बताए 7 करोड़ चड़ौत्री बचाने के उपाय
उज्जैन,14 मई (इ खबरटुडे)। महाकालेश्वर मंदिर में 35 वर्ष के सरकारीकरण होने के बाद भी किसी भी मंदिर अध्यक्ष ने उन स्थानों पर हाथ नहीं डाला जहां सर्वाधिक चढ़ोत्री का नुकसान हो रहा है। उल्टे अब मंदिर में आय बढ़ाने के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति प्रशासन करने जा रहा है। इसके विरोध में संत पुजारी धर्मसभा ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर महाकाल मंदिर समिति को ऐसे उपाय बताए जिससे 7 करोड़ का लाभ हो सकता है।
संत पुजारी धर्मसभा द्वारा महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक दिलीप गरूड़ को मुख्यमंत्री एवं कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। धर्मसभा के प्रदेश अध्यक्ष पं. महेश पुजारी के अनुसार ज्ञापन सौंपकर मांग की गई कि महाकाल मंदिर समिति द्वारा मंदिर में आय बढ़ाने के लिए अतिरिक्त अधिकारी की नियुक्ति नोडल अधिकारी के रूप में की जा रही है। जबकि 35 वर्ष मंदिर के सरकारीकरण को हो गए लेकिन किसी अध्यक्ष ने उन स्थानों पर हाथ नहीं डाला जहां से चड़ौत्री प्राप्त हो सकती है। मंदिर समिति यदि इन स्थानों से चड़ौत्री बचाने का प्रयास करे तो मंदिर समिति को 7 करोड़ का लाभ हो सकता है।
पं. महेश पुजारी के अनुसार वर्तमान में महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्था में जिलाधीश सहित 10 अधिकारी सेवा दे रहे हैं। सभी की निगाहें मंदिर के गर्भगृह, नंदी परिसर तथा पंडे पुजारियों पर सतत रहती है। इसके उपरान्त नोडल अधिकारी की नियुक्ति मंदिर में आने वाले भक्तों की समझ से परे हैं। यदि नोडल अधिकारी की नियुक्ति होती है तो वह केवल आय बढ़ाने के लिए भक्तों पर अत्याचार करेगा। मंदिर समिति ने अनेक व्यक्ति की नियुक्तियां दबाव में अनावश्यक की हैं, उसे कम कर दिया जाए तो ही चढ़ौत्री की बचत होगी।
मंदिरों का खर्च भक्त दान देकर पूरा करता है इसके लिए सरकार अनुदान नहीं देती। फिर भी चढ़ौत्री कम लग रही है तो प्रत्येक आने वाले वीआईपी, अधिकारी एवं अन्य लोग जो मंदिर को किसी प्रकार का आर्थिक सहयोग नहीं करते तथा अपने पदों का दुरूपयोग करके स्वयं, परिवार, रिश्तेदान को दर्शन तथा मंदिर से प्रसाद, फोटो, दुपट्टे से सम्मान कराता है जिससे मंदिर को हजारों रूपये का नुकसान हो रहा है। ऐसे वीआईपी दर्शनार्थियों पर दर्शन टैक्स लगा देना चाहिए जिससे मंदिर की चढ़ौत्री बढ़ेगी।
महाकाल मंदिर में थोड़ी सी भीड़ बढ़ने पर प्रवेश बंद कर दिया जाता है। भक्त 100 फीट दूर से दर्शन करता है तो चढ़ौत्री कहां से बढ़ेगी। इसके विपरीत शिर्डी सांई मंदिर, तिरूपति मंदिर, वैष्णोदेवी, मुंबई के लालबाग के राजा के चरणों में भक्त 90 घंटों तक खड़े रहकर दर्शन करते हैं।
महाकाल परिसर में आने वाला महत्वपूर्ण स्थान औंकारेश्वर एवं नागचंद्रेश्वर मंदिर जहां लाखों रूपयों की चढ़ौत्री होती है वहां पर मंदिर प्रबंधक समिति ने सन् 1978 से लेकर आज तक दानपात्र नहीं लगाए। इन मंदिरों में अधिकारी एवं निरीक्षक की नियुक्ति भी नहीं की है।
मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर पं. महेश पुजारी, जितेन्द्र दास, हरीश वसुवेदी, महंत किशोरदास, बाबूदास, शिव शर्मा, महेश शर्मा, रामदास, रमेश भारती, मांगीलाल जोशी, रामचंद्र शर्मा, रमेशचंद्र बैरागी, नागेश्वर, गौरीशंकरदास आदि ने कहा कि 35 वर्षों से महाकालेश्वर मंदिर गर्भगृह एवं नंदीहाॅल व आभूषण कक्ष हाॅल से जुड़े पुजारी पुरोहित पर ही शोषण अनेकों प्रतिबंध लगाकर प्रताडि़त किया जा रहा है और अधिकारियों पर कोई लगाम नहीं है।