Imprisonment : 50 हजार की रिश्वत लेने वाले सब इंजिनियर को 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 50 हजार रूपये जुर्माना
मंदसौर,29 मार्च(इ खबर टुडे)। जिले के सीतामउ के ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग में पदस्थ उपयंत्री प्रदीप कोल्हे को रिश्वत लेने के एक मामले में 4 वर्ष के सश्रम कारावास व 50 हजार रूपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई। भ्रष्ट उपयंत्री को रिश्वत लेने के मामले में मंदसौर जिला न्यायलय में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश किशोर कुमार गेहलोत प्रकरण के विचारण के बाद दोषसिद्ध करार देते हुए उक्त सजा सुनाई।
अभियोजन के मीडिया सेल प्रभारी दीपक जमरा ने प्रकरण की जानकारी देते हुए बताया कि विगत दिनांक 02 जुलाई 2016 को फरियादी बीरमसिंह तोमर पिता लालजी ने लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में शिकायत आवेदन इस आशय का प्रस्तुत किया कि मैने जनपद पंचायत सीतामउ के अंतर्गत ग्राम बेटीखेडी से सुल्तानिया तक सडक निर्माण कार्य का ठेका पुल पुलियाओं सहित अनुबंध क. – 20 / 2015-16 के माध्यम से 51.22 लाख रूपये का लिया था। उपयंत्री पी.के. कोल्हे मेरी साईट पर आते रहते थे और उन्होने मुझसे कहा था कि तुम्हारा बिल स्वीकृत होने के बाद मुझे 2 लाख रूपये देने होंगे। इसी शर्त पर उन्होने मेरा 14,13,107 /- रूपये की राशि का बिल स्वीकृत करवाया था, जिसका भुगतान मुझे होने के पश्चात पी.के. कोल्हे उपयंत्री ने मुझसे कहा था कि तुम्हारे बिल का भुगतान मैंने करवा दिया है। इसलिए मुझे 2 लाख रूपये दे दो, इसमें से मुझे कुछ रूपये एसडीओ, उपसंभाग सीतामउ को भी देना है और उनका कमीशन भी मुझे ही दे दो, मैं उनको दे दूंगा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आगे तुम्हे किसी काम में परेशानी नही आने दूंगा।
उन्होनें दिनांक 04.07.2016 को 2 लाख रूपये में से 1 लाख रूपये लेकर बुलाया और कहा मुझे फोन लगा देना तो मैं बता दूंगा कि रूपये लेकर कहां आना है। फरियादी 50 हजार रूपये लेकर आरोपी प्रदीप कोल्हे के निवास सीतामउ पंहुचा जहां फरियादी ने आरोपी प्रदीप कोल्हे को रिश्वत की राशि 50 हजार रूपये दिये। जिसे आरोपी ने गिनकर पंलग पर बिछी बेडशीट पर रख दिये। तत्पश्चात लोकायुक्त टीम के साथ निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने आरोपी को पकड़ लिया और आरोपी के हाथ घुलाये गये जिससे पानी का रंग गुलाबी हो गया। मौके की संपूर्ण कार्यवाही पश्चात आरोपी के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया प्रकरण में संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। प्रकरण की विवेचना DSP शक्तावत द्वारा की गई थी। प्रकरण में अभियोजन का सफल संचालन उप संचालक अभियोजन एस. के. जैन द्वारा किया गया।