November 22, 2024

कांग्रेस में गली मोहल्ला कार्यकर्ताओं की चिंता या मात्र दिखावा !

भोपाल ,17मार्च (इ खबर टुडे / चंद्र मोहन भगत )। प्रदेश कांग्रेस संगठन प्रभारी जेपी अग्रवाल ने जबलपुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह स्वीकारा कि हम जिन गली मोहल्ला के कार्यकर्ताओं की मेहनत से विधायक सांसद बनते रहे उन्हें हमने पहचानना छोड़ दिया था। आज नतीजा सबके सामने है कि पिछले तीन दशक से कांग्रेस का जनाधार लगातार घटता जा रहा है । प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल भले ही कांग्रेस के इस हश्र का कारण सार्वजनिक स्वीकार लिए है पर क्या कांगेस के बाकी के छत्रप नेता इस बात को मानकर गली मोहल्लों के कार्यकर्ताओं को अवसर देंगे या पहले की तरह दोहन कर फेंक दिया जाएगा ! कांग्रेस के छत्रप नेताओं का चरित्र ऐसा ही रहा है इसलिए लगातार कांग्रेस को मिटते देख जेपी अग्रवाल ने बेबाकी से सच को स्वीकारा भी और सार्वजनिक मंच से कह भी दिया ।

मध्य प्रदेश में 10 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद कांग्रेस को अर्श से फर्श तक पहुंचाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह भी यह स्वीकार कर चुके हैं कि सभी कांग्रेसी एक होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे तो यह चुनाव उनका आखिरी भी हो सकता है । अब सवाल यह उठ ने लगा है कि कांग्रेस के क्षत्रप नेताओं को स्पष्ट और सही में मालूम है कि कांग्रेस की जनसाख क्यों समाप्त हो चुकी और अभी भी किन कारणों से गर्त में समा रही है । स्मार्टफोन के इस युग में अब यह सवाल भी उठ रहे हैं कि जेपी अग्रवाल और दिग्विजय सिंह लंबे समय से राष्ट्रीय पदाधिकारी बनते चले आ रहे हैं फिर इन्होंने जब कांग्रेस का छरण शुरू हुआ था तभी से रोकना क्यों नहीं चाहा ! क्यों अब गली मोहल्ले के कार्यकर्ता जो दूसरे दलों में समा गए या राजनीति छोड़ चुके हैं उनको याद किया जा रहा है ।

अगर जेपी अग्रवाल और दिग्विजय सिंह को अब भले ही जब कांग्रेस डूबने वाली है तब ही सही अगर जमीनी कार्यकर्ताओं को फिर से समर्पण भाव से एक मिशन की तरह संजोया जाता है तब ही कांग्रेस के भविष्य की कल्पना की जा सकेगी। वरन अगर इसे जेपी अग्रवाल का भाषण और दिग्विजय सिंह की सलाह मानकर नजरअंदाज किया गया तो डूबती कांग्रेस की नाव का छेद और बड़ा होकर जल्दी ही डुबो देगा। इस तरह का राजनीतिक दृश्य तो इसलिए बन गया है कि जेपी अग्रवाल और दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस के डूबने का सच स्वीकारना शुरू कर दिया पर अभी और गहरे प्रश्न भी सतह पर आने लगे हैं कि इतनी देर से क्यों लगी सच स्वीकारने में ? क्यों मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह जैसे सभी वरिष्ठ नेताओं से पूछा जाना चाहिए कि सुरेश पचौरी के प्रदेश अध्यक्ष काल में पांच दर्जन कांग्रेसी निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़े थे ! इन्हें वरिष्ठ कांग्रेसियों का संरक्षण मिला हुआ था आज भी मिल रहा है ? क्यों कांग्रेसमें लगातार संगठन से ज्यादा छत्रप नेताओं के प्रति निष्ठा वफादारी के प्रमाण मिलते हैं ! क्यों संगठन में अनुशासन का स्तर निम्नतर होते जाना ,ब्लॉक जिला स्तर तक मैं सार्वजनिक विरोध बगावत आज भी देखने को मिल रहे हैं ।

भले ही अब कांग्रेस के छत्रप नेता गली मोहल्ले केकार्यकर्ताओं को याद कर रहे हैं पर इन्हें मारा किसने यह भी जानना जरूरी है । जब तक मूल जड़ को विचार अनुशासन और बिना भेदभाव वाले समर्पण से सिंचाई कर नई पौध तैयार नहीं की जाएगी तब तक क्षत्रप नेताओं का सच स्वीकारना भी मात्र दिखावे से ज्यादा कुछ साबित नहीं होगा और यह भी विधानसभा चुनाव के समय तक स्पष्ट हो जाएगा…!

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