Raag Ratlami Result : बेचैनी बरकरार,दो दिन बाद पता चलेगा किसकी उम्मीदें होगी पूरी,खजाना मंत्री को उलझाने वालों की तलाश जोरों पर
-तुषार कोठारी
रतलाम। शहर की किस्मत का फैसला होने में अभी दो दिन बाकी है। तीसरे दिन पता चलेगा कि शहर का सिरमौर कौन होगा? इधर फूल छाप वाले टीवी पर चुनावी नतीजे देख देख कर खुश हो रहे है,उन्हे उम्मीद है कि पूरे सूबे में जैसी हवा दिखाई दे रही है,वो ही हवा अब रतलाम में भी चलने वाली है। दूसरी तरफ पंजा पार्टी को उन दावेदारों को देखकर उम्मीद जग रही है,जिन्होने फूल छाप की हवा चलने के बावजूद पंजे को जिता दिया। सारे के सारे उम्मीदें लगाए बैठे है,किसी उम्मीदें पूरी होगी ये तो बुधवार को ही पता चलेगा।
बहरहाल वोटिंग होने के बाद से शहर की हर गली नुक्कड चौराहे पर हार जीत की गणितें लगाई जा रही है। किसी को लग रहा है कि फूल छाप आसानी से जीत जाएगी। किसी को लग रहा है कि रतलामियों ने परिवर्तन के लिए वोट दिया है और पंजा पार्टी के पहलवान की जीत तय है। कोई कांटाकस मुकाबला देख रहा है और कह रहा है कि हार जीत हजार पांच सौ के बीच होगी। कुल मिलाकर सारी बहस इन तीन संभावनाओं पर ही हो रही है। सारी बहस अभी तीन दिन और चलेगी। नतीजें आने के बाद नतीजों का पोस्टमार्टम शुरु होगा। किसने किसको वोट दिया,क्यो दिया,कौन सा मुद्दा हावी था,इस तरह की बातें चलेगी।
लेकिन इस सबके बीच में उनकी सोचिए जिनकी किस्मत का फैसला तीन दिन बाद सामने आएगा। शहर में ऐसे करीब डेढ सौ लोग है। महापौर पद का चुनाव तो गिने चुने ही लोग लड रहे है,लेकिन वार्डों के चुनाव में किस्मत आजमाने वालों की तादाद डेढ सौ से ज्यादा है। इन डेढ सौ से ज्यादा लोगों की रातों की नींद उडी हुई है। जब तक फैसला नहीं आ जाता,उनकी बैचेनी बरकरार रहने वाली है। डेढ सौ से ज्यादा दावेदारों में से केवल 48 लोगों की किस्मत खुलेगी और बाकी सब को हार से सब्र करना पडेगा।
लेकिन इस बीच पंजा पार्टी ने इवीएम की सुरक्षा को लेकर हंगामा मचा दिया। झुमरू दादा के कुछ चेले खबरचियों को साथ लेकर कालेज जा पंहुचे और उन्होने सीधे सीधे आरोप लगा दिया कि स्ट्रंग रुम की सीलें टूट गई है। पंजा पार्टी की इस हायतौबा के बीच झुमरू दादा और पंजा पार्टी प्रत्याशी भी वहां पंहुच गए। पंजा पार्टी के नेता आए तो इंतजामिया ने फूल छाप वाले नेताओं को भी बुला लिया। इंतजामियां के अफसरों ने दोनो पार्टी वालों की मौजूदगी में इवीएम वाले तमाम कमरों की सीलें दिखवा दी। सारी की सारी सीलें सही सलामत थी। बहरहाल हंगामा शान्त हो गया और सारे नेता लौट गए। अब सवाल पूछा जा रहा है कि आखिर ये हंगामा मचा क्यो? जवाब ये है कि ये हंगामा आगे के लिए किया गया था। पंजा पार्टी के नेता चतुर है। वे जानते है कि अगर तीन दिन बाद नतीजा ठीक ठाक नहीं आया तो ठीकरा फोडने के लिए कोई बहाना तो चाहिए। अगर कुछ गडबड हो गई तो बस इवीएम की गडबडी का सदाबहार बहाना तैयार रहेगा। बस यही वजह थी कि पंजा पार्टी के नेताओं ने ये सारा हंगामा खडा किया। अब देखने वाली बात ये कि इस हंगामे का उपयोग करने की नौबत आएगी या नहीं..?
जिला पंचायत चुनाव ने बढाई चिन्ता
वैसे तो पंचायती चुनाव पार्टियों के चुनाव चिन्ह के साथ नहीं होते,लेकिन फिर भी फूल छाप और पंजा पार्टी दोनो के नेताओं की इज्जत इन चुनावों से सीधे जुडी होती है। इससे पहले तक पंचायत चुनाव में दोनो पार्टियों में से किसी एक की हार होती थी,लेकिन ये पहला मौका है कि एक नई पार्टी ने दोनो पार्टियों की चिन्ता बढा रखी है। मुद्दा आदिवासी अंचल का है। सैलाना इलाके के चार पदों पर जयस नाम की नई पार्टी की जीत का है। पंजा पार्टी के भैया ने पिछला विधानसभा चुनाव फूलछाप को पछाडकर बडे जोर शोर से जीता था। चुनाव जीतने के बाद भैया का नाम बडे नेताओं में शुमार हो गया था। लेकिन इस बार भैया के लिए भी पंचायती चुनाव बडा झटका साबित हो गया। सैलाना में ना तो फूल छाप वालों की चली और ना ही पंजा पार्टी वालों की। चारों की चारों सीटें जयस चुरा कर ले गई। भैया के लिए बडा सवाल ये है कि अगले चुनाव में जयस क्या गुल खिलाएगा और भैया का क्या होगा? यही हाल फूल छाप वालों का भी है।
किसने उलझाया मंत्री जी को…?
वोटिंग से एक दिन पहले सूबे का खजाना सम्हालने वाले मंत्री जी रतलाम आए थे। खजाना मंत्री रतलाम में कुछ लोगों से मुलाकात कर रहे थे कि अचानक पंजा पार्टी के नेताओं ने खबरचियों की मौजूदगी में उनको घेर लिया। पंजा पार्टी वाले खुला आरोप लगा रहे थे कि खजाना मंत्री वोट के लिए नोट बांटने आए है। मंत्री को भी जैसे तैसे मुंह छिपा कर वहां से भागना पडा। मंत्री जी के भागने के बाद बडा सवाह ये उठा कि आखिर पंजा पार्टी वालों को ये खबर कैसे लगी कि खजाना मंत्री शहर में किस जगह किससे मिल रहे है? फूल छाप वालों ने इस सवाल का जवाब ढूंढना शुरु किया तो उनकी आंखे खुली रह गई। पता चला कि ये खबर फूल छाप वालों ने ही पंजा पार्टी वालों तक पंहुचाई। फिर ये खोज शुरु हुई कि फूल छाप वाले वो कौन से नेता थे,जिन्होने पंजा पार्टी को खबर पंहुचाई। शक की सुई उनपर गई है,जो खुद टिकट के दावेदार थे। इनमें इन्दौरी आका के चेले और पिछली बार महापौर टिकट की दावेदार रही एक महिला नेत्री का नाम भी चर्चाओं में आया। फूल छाप वाले जोर शोर से तलाश में जुटे है। खबर उपर मामा जी तक जा चुकी है। खबर देने वालों की जमकर खबर ली जाएगी ये तय है।