गंगा को अपवित्र करने वाली धार्मिक क्रियाओं को भी रोका जाए- गोविन्द काकानी
रतलाम 14 जनवरी(इ खबरटुडे)। मकर संक्राति के पावन पर्व पर पूर्व स्वास्थ एवं चिकित्सा समिति प्रभारी गोविंद काकानी ने पवित्र नदी गंगा के अपवित्र होने के समाचार से व्यथित होकर प्रतिक्रिया में कहा कि- ‘‘हमारी संस्कृति में पवित्र नदी गंगा को विष्व की सभी नदियों में श्रेश्ठ व मोक्षदायिनी माना गया है। पवित्र गंगा नदी के चंद बूंदो रूपी चरणामृत से ही पूरा तन . मन पवित्र हो जाता है व पापो से मुक्ति मिलती है। सभी सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रमों में पवित्र गंगा जल से षुद्धिकरण कर कार्यक्रम षुरूआत कराई जाती है वहीं मृत्यु हो जाने के पष्चात् मोक्ष प्राप्ति हेतु मुख में गंगा जल डाला जाता है। वर्शो तक गंगा जल को रखने पर भी वह दूशित नहीं होता है।’’
विश्व बैंक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर.प्रदेश की १२ प्रतिशत बीमारियों की वजह प्रदूषित गंगा जल है। यह घोर चिन्तनीय है कि गंगा.जल न स्नान के योग्य रहाए न पीने के योग्य रहा और न ही सिंचाई के योग्य। गंगा के पराभव का अर्थ होगाए हमारी समूची सभ्यता का अन्त।
मकर संक्रांतिए कुंभ और गंगा दशहरा के समय गंगा में नहाना या केवल दर्शन ही कर लेना बहुत महत्त्वपूर्ण समझा जाता है। ऐसे में उत्तरप्रदेष के उन्नाव शहर में पवित्र गंगा नदी से निकली सैकड़ो लाषों से दूषित पवित्र गंगा नदी पर चिंतित होते हुए उन्होंने देष के धार्मिक संगठन व सभी समाज से अनुरोध किया है कि वे भारत की पहचान पवित्र गंगा नदी को अपवित्र करने से रोकने हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्रजी मोदी एवं केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा सफाई मंत्री सुश्री उमा भारती के नेतृत्व में चलाई जा रही गंगा षुद्धिकरण योजना में सक्रिय योगदान देवे साथ ही लोगों को गंगा को अपवित्र करने से रोकने हेतु सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रेरित करें।
इस हेतु प्रधानमंत्री नरेन्द्रजी मोदी एवं केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा सफाई मंत्री सुश्री उमा भारती को पत्र लिखकर पवित्र गंगा नदी सहित अन्य नदियों में भी षव विसर्जन पर पूर्णतः रोकने हेतु आवष्यक कदम उठाने का अनुरोध किया
गोविंद काकानी ने लावारिस, अत्यंत गरीब व्यक्ति के अंतिम संस्कार में आर्थिक परेषानी के कारण शव को नदी में न बहाते हुए लकड़ी या विद्युत शवदाह गृह से निःषुल्क अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया।