November 24, 2024

नाराजगी के साथ निगम परिषद की शुरुआत

महापौर ने नहीं डाला वोट,पार्टी नेताओं से नाराजगीdrsunita

रतलाम, 2 जनवरी(इ खबरटुडे)। नई निगम परिषद का पहला ही दिन नाराजगी वाला रहा। अगर नाराजगी इसी तरह जारी रही तो आने वाले दिनों में नगर निगम की राजनीति बेहद रोचक हो जाएगी। निगम अध्यक्ष के चुनाव में महापौर डॉ.सुनीता यार्दे ने वोट नहीं देकर अपनी नाराजगी तो जगजाहिर की ही,साथ ही पार्टी नेताओं को यह सन्देश भी दे दिया कि वे किसी दबाव में काम नहीं करेगी।
निगम अध्यक्ष पद की चुनाव प्रक्रिया के दौरान महापौर डॉ.सुनीता यार्दे मतदान शुरु होने के काफी देर बाद पंहुची। उनकी गैरमौजूदगी को लेकर चर्चाएं चल ही रही थी। वे आई तो मोबाइल पर बात करती हुई आई। कई पार्षदों ने उनसे मत देने का आग्रह किया,यहां तक कि अधिकारियों ने उनके नाम की पुकार भी लगाई।  लेकिन वे लगातार मोबाइल पर बात करती रहीं और अचानक बिना किसी से कुछ कहे निगम सभाकक्ष से बाहर निकल गई।
महापौर के इस तरह चले जाने से मीडीयाकर्मी और पार्षद सभी में चर्चाएं होने लगी थी,कि तभी किसी भाजपा पार्षद ने यह बताया कि उनकी सासू जी का स्वास्थ्य खराब है इसलिए वे अचानक चली गई।
लेकिन यह बात सही नहीं थी। उनके परिवार में किसी वृध्द व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब होने की जानकारी आने पर लोग स्थिति जानने की कोशिशें करते रहे। दोपहर बाद यह स्पष्ट हुआ कि किसी का स्वास्थ्य खराब नहीं हुआ था। यह महज अफवाह थी। यह अफवाह इसीलिए फैलाई जा रही थी कि भाजपा के भीतर शुरु हो रहे घमासान को छुपाया जा सके।
भाजपा के अन्दरखाने से मिल रही खबरों के मुताबिक महापौर डॉ सुनीता यार्दे अध्यक्ष पद पर किए गए चयन को लेकर पार्टी नेताओं से नाराज है। पार्टी नेताओं ने नाम चयन के पहले महापौर डॉ सुनीता यार्दे को कोई जानकारी नहीं दी और सीधे अध्यक्ष का चयन कर नाम घोषित कर दिया गया। सूत्र बताते है कि महापौर डॉ.यार्दे ने सोच समझ कर वोट नहीं डालने का फैसला किया। अपने इस कदम से उन्होने जहां पार्टी नेताओं के प्रति अपनी नाराजगी को जगजाहिर कर दिया वहीं पार्टी नेताओं को यह सन्देश भी दे दिया कि वे अपने कामों में हस्तक्षेप या दबाव बर्दाश्त नहीं करेगी।
नगर निगम में जल्दी ही महापौर परिषद का गठन होना है। मेयर इन कौंसिल का चयन पूरी तरह से महापौर का अधिकार होता है,लेकिन पार्टी में वरिष्ठ नेता इसमें जमकर हस्तक्षेप करते है। नतीजा यह होता है कि महापौर को अपनी पसन्द के बगैर महापौर परिषद बनाना पडती है। महापौर डॉ सुनीता यार्दे ने पार्टी नेताओं को सीधे सीधे सन्देश दे दिया है कि वे महापौर परिषद के मामले में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगी।

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