October 6, 2024

High Tech Police : हाईटेक होगी पुलिस,अपराधियों की बढेगी मुश्किल,फिंगरप्रिन्ट के लिए हर थाने पर होंगे लाइव स्केनर

रतलाम,15 जनवरी(इ खबरटुडे)। अपराधियों के लिए एक बुरी खबर है। पुलिस अब हाईटेक हो रही है और टैक्नालाजी के चलते अपराधियों का बच निकलना मुश्किल होगा। जल्दी ही पुलिस को अपराधियों के फिंगरप्रिन्ट मैच करने के लिए हाईटेक व्यवस्था उपलब्ध होगी,जिससे कि अपराध के घटनास्थल पर पाए गए फिंगरप्रिन्ट्स का देश भर के अपराधियों के फिंगरप्रिन्ट से मिलान किया जा सकेगा और अपराधी को पहचानना आसान हो जाएगा। जिले के समस्त थानों को भी निर्देश दिए गए हैैं कि वे हर अपराध के घटनास्थल पर फिंगरप्रिन्ट एक्सपर्ट को बुलाए,ताकि वहां से फिंगरप्रिन्ट लिए जा सके।

किसी दूसरे व्यक्ति से नहीं मिलते फिंगरप्रिन्ट

रतलाम के अधिकारिक प्रवास पर आए पुलिस मुख्यालय पर पदस्थ फिंगरप्रिन्ट के डीएसपी दीपक कदम ने इ खबरटुडे से एक विशेष चर्चा के दौरान बताया कि आमतौर पर जासूसी उपन्यासों और फिल्मों में किसी भी अपराध की खोजबीन में फिंगरप्रिन्ट की महत्वपूर्ण भूमिका दिखाई जाती है। अंधे कत्ल के कई आरोपी केवल फिंगरप्रिन्ट मिलने की वजह से पुलिस की गिरफ्त में आ जाते है। यह सही भी है,क्योंकि दुनिया में किसी भी व्यक्ति के फिंगरप्रिन्ट किसी अन्य व्यक्ति से नहीं मिलते,इसलिए घटनास्थल पर या हत्या में प्रयुक्त हथियार पर से लिए हए फिंगर प्रिन्ट का मिलान किसी ज्ञात फिंगर प्रिन्ट से होने पर अपराधी को पहचानना आसान हो जाता है।

DSP Dipak Kadam

नही हो पाता था फिंगरप्रिन्ट का उपयोग

जासूसी उपन्यासों और फिल्मों में तो फिंगरप्रिन्ट का अपराधों के अन्वेषण में महत्वपूर्ण रोल दिखाया जाता है,लेकिन व्यावहारिक रुप में जिलास्तर पर या दूर देहात के थानों पर अपराधों के अन्वेषण में फिंगरप्रिन्ट तकनीक का कोई उपयोग नहीं हो पाता था। इसका कारण यह था कि किसी घटनास्थल या हथियार से फिंगरप्रिन्ट लेना सामान्य पुलिस अधिकारियों के लिए संभव नहीं हो पाता था। यदि किसी तरह से घटनास्थल के फिंगरप्रिन्ट उठा भी लिए जाते थे,तो इनका रेकार्ड में मौजूद फिंगरप्रिन्ट से मिलान बेहद कठिन होता था और इसलिए व्यावहारिक रुप से अपराधों के अन्वेषण में फिंगरप्रिन्ट मैचिंग जैसी महत्वपूर्ण तकनीक का उपयोग नहीं हो पाता था।

गांव देहात में भी होगा फिंगरप्रिन्ट तकनीक का उपयोग

श्री कदम के मुताबिक अब दूर देहात तक के थानों पर फिंगरप्रिन्ट तकनीक का व्यावहारिक उपयोग किया जा सकेगा। पुलिस विभाग ने इसके लिए अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग प्रारंभ कर दिया है। श्री कदम ने बताया कि किसी क्राइम सीन से फिंगरप्रिन्ट उठाने के बाद उनका रेकार्ड में मौजूद फिंगर प्रिन्ट से मिलान करने के लिए अब तक केवल मैन्यूअल तरीका होता था,जिसमें फिंगरप्रिन्ट विशेषज्ञ अपनी आंखों से फिंगरप्रिन्ट के नमूनों का मिलान करके देखता था। पुलिस के रेकार्ड में दस लाख से ज्यादा सजायाफ्ता और गिरफ्तार किए गए बदमाशों के फिंगरप्रिन्ट मौजूद है। कोई भी विशेषज्ञ किसी एक नमूने का रेकार्ड में मौजूद दस लाख नमूनों से मिलान नहीं कर सकता।

नैफिस का होगा उपयोग

लेकिन अब इस समस्या को हल कर लिया है। नेशनल क्राइम रेकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने फिंगरप्रिन्ट मैचिंग के लिए फ्रांस की साफ्टवेयर कंपनी मार्फो का विशेष साफ्टवेयर खरीदा है। एनसीआरबी ने इसे नेफिस(नेशनल आटोमेटेड फिंगरप्रिन्ट आईडेन्टिफिकेशन सिस्टम) का नाम दिया है। अब प्रदेश के एससीआरबी (स्टेट क्राइम रेकार्ड ब्यूरो) में मौजूद तमाम पिंगरप्रिन्ट्स को नेफिस से जोड दिया गया है। अब किसी भी क्राइम सीन से उठाए गए फिंगरप्रिन्ट्स का मिलान एनसीआरबी के पास उपलब्ध करोडो फिंगरप्रिन्ट से चुटकियों में संभव हो जाएगा। नेफिस का सर्वाधिक लाभ सम्पत्ति सम्बन्धित अपराधों को सुलझाने में मिलेगा। चोरी के घटनास्थल से लिए गए फिंगरप्रिन्ट्स का मिलान तत्काल,पूर्व से मौजूद चोरों के फिंगरप्रिन्ट्स से किया जा सकेगा और यदि फिंगरप्रिन्ट,रेकार्ड में मौजूद किसी फिंगरप्रिन्ट से मैच कर जाएंगे तो तुरंत पता चल जाएगा कि चोरी किसने की है।

श्री कदम ने बताया कि अपराधों के अन्वेषण के अलावा न्यायालय में अपराधियों को सजा दिलाने में भी यह तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हत्या जैसे गंभीर अपराध के आरोपी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस हत्या में प्रयुक्त हथियार तो जब्त करती है,लेकिन सुविधा के अभाव में हथियार पर मौजूद फिंगरप्रिन्ट नहीं ले पाती। यदि ऐसे प्रकरणों में हथियार पर मौजूद अपराधी के फिंगरप्रिन्ट उठा लिए जाए तो यह अपराधी के खिलाफ अकाट्य सबूत होता है।

65 सालों में सिर्फ 4 जबकि 3 महीनों में 18 मैचिंग

श्री कदम ने नेफिस की उपयोगिता की जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में वर्ष 1956 में फिंगरप्रिन्ट ब्यूरो की स्थापना की गई थी। 1956 से लेकर वर्ष 2004 तक सजायाफ्ता अपराधियों और गिरफ्तार आरोपियों के पिंगरप्रिन्ट लेकर उसकी स्लिपें रेकार्ड में रखी जाती थी। किसी गंभीर अपराध की स्थिति में पिंगरप्रिन्ट एक्सपर्ट को इन स्लिपों में मौजूद फिंगरप्रिन्ट का मिलान क्राइम सीन से लिए गए फिंगरप्रिन्ट से करना पडता था और यह अत्यन्त दुष्कर कार्य होता था। 1956 से 2004 तक 68 वर्षो में एक भी चान्सप्रिन्ट मैच नही हो पाया था।
2004 में प्रदेश में एफिस (आटोमेटेड पिंगरप्रिन्ट आईडेन्टिफिकेश प्रोग्र्राम) का उपयोग प्रारंभ हुआ। एफिस प्रोग्र्राम भी कुछ खास उपयोगी साबित नहीं हो पाया। वर्ष 2004 से सितम्बर 2021 तक एफिस की मदद से प्रदेश में हुए हजारों अपराधों में से केवल चार में चान्सप्रिन्ट( फिंगरप्रिन्ट) रेकार्ड में मौजूद फिंगरप्रिन्ट से मैच हो पाए।

लेकिन अब देश में लागू हुए नैफिस प्रोग्र्राम का असर है कि सितम्बर 2021 से दिसम्बर 2021 तक के मात्र तीन महीनों में कुल 16 चांसप्रिन्ट मैच हुए है और इनकी मदद से अपराधियों की पहचान हो पाई है। इस तरह जहां 65 सालों में सिर्फ 4 चान्स प्रिन्ट मैच हुए वहीं नैफिस की मदद से तीन महीनों में अठारह चान्स प्रिन्ट मैच हो गए।

डिजिीटलाईज हुए फिंगरप्रिन्ट

डीएसपी श्री कदम ने बताया कि प्रदेश में अब अपराध अन्वेषण में फिंगरप्रिन्ट तकनीक की उपयोगिता बढने वाली है। नेफिस प्रोग्र्राम अभी ट्रायलबेस पर चल रहा है और जल्दी ही यह पूरी तरह चालू हो जाएगा। इस वर्ष के अन्त तक नेफिस पूरी तरह काम करने लगेगा। अभी प्रदेश के फिंगरप्रिन्ट ब्यूरो के पास करीब ढाई लाख सजायाफ्ता मुजरिमों और 8 लाख गिरफ्तार व्यक्तियों के फिंगरप्रिन्ट्स की स्लिपों का रेकार्ड मोजूद है। इस सारे रेकार्ड को अब डिजीटलाईज कर दिया गया है। इस तरह सारे देश में मौजूद फिंगप्रिन्ट्स अब डिजीटलाईज हो चुके है। इसके अलावा फिंगरप्रिन्ट लेने की तकनीक भी अत्याधुनिक हो गई है। अब प्रत्येक थाने पर फिंगरप्रिन्ट लेने के लिए लाइव स्केनर दिया जाएगा,जिससे कि किसी भी प्रकरण में जेल में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के फिंगरप्रिन्ट लेकर उन्हे रेकार्ड में सेव किया जा सके।

डीएसपी श्री कदम ने बताया कि इसके लिए एक विशेष मोबाइल एप भी तैयार किया जा रहा है,जो पुलिस अधिकारियों के मोबाइल में होगा,जिसकी मदद से वे कहीं भी किसी व्यक्ति के फिंगरप्रिन्ट लेकर आनलाइन मिलान कर सकेंगे और बिना वक्त गंवाएं किसी अपराधी की पहचान हो सकेगी।

हर आरोपी के लिए जाएंगे फिंगरप्रिन्ट

श्री कदम ने बताया कि प्रदेश के लगभग हर जिले में फिंगरप्रिन्ट एक्सपर्ट नियुक्त है। प्रदेश में कुल करीब एक सौ दस फिंगरप्रिन्ट एक्सपर्ट विभिन्न स्थानो पर तैनात है। हांलाकि अब तक जिलास्तर पर मौजूद फिंगरप्रिन्ट एक्सपर्ट का विशेष उपयोग नहीं हो पाता था,लेकिन नई टैक्नालाजी और नई सुविधाओं के बाद अब प्रत्येक क्राइनसीन पर फिंगरप्रिन्ट एक्सपर्ट को बुलाए जाने की सलाह पुलिस अधिकारियों को दी जा रही है।

डीएसपी श्री कदम ने बताया कि अब प्रत्येक एफआईआर में गिरफ्तार व्यक्तियों के फिंगरप्रिन्ट लिए जाना अनिवार्य किया जा रहा है,ताकि डाटाबेस बढता जाए,जिससे कि भविष्य में अपराधों के अन्वेषण में इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सके।

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