illegal to valid/अवैध कालोनियों को वैध करने का शुभारंभ रतलाम से ही हो- काश्यप
पूर्व से स्वीकृत २० करोड़ के कार्य जल्द पूर्ण कराए जाएं
रतलाम,18 अगस्त (इ खबर टुडे)। विधायक चेतन्य काश्यप ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह को नया कानून बनाने पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रदेश में अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने के कार्य का शुभारंभ रतलाम से करने का अनुरोध किया। उनके अनुसार वर्ष 2016 में भी अवैध कालोनियों को वैध करने की शुरुआत रतलाम से ही हुई थी, जो कि वर्ष 2018 में कांग्रेस शासन काल के दौरान हाईकोर्ट के फैसले के कारण के रोक दी गई थी।
श्री काश्यप मंगलवार को भोपाल में नगरीय क्षेत्र में बेहतर कालोनाईजेशन तथा विकास विषय पर आयोजित कार्यशाला में अवैध कालोनियों के नियमितिकरण के साथ अविकसित एवं नई कॉलोनियों के साथ शहरों के सौंदर्यीकरण से जुड़े कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण में निर्मित भवनों हेतु भवन अनुज्ञा लेने की अनिवार्यता नहीं होना चाहिए। उसकी अनुज्ञा स्वत: मानी जाए।
राजस्व रिकॉर्ड में भी इन कॉलोनियों की भूमि के डायवर्शन को ही मान्यता दी जाए। अवैध कॉलोनियों में विकास कार्यों के लिए रहवासियों से लिए जाने वाला विकास शुल्क की राशि प्रति वर्गफीट पूरे प्रदेश में एक समान होना चाहिए । शेष लागत हेतु विकास शुल्क में राज्य शासन और स्थानीय निकाय के अंशदान का स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए। अवैध कॉलोनियों को लेकर कॉलोनाईजर से वसुली की कार्यवाही जारी रहे, लेकिन उसके कारण विकास कार्य बाधित नहीं होने चाहिए।
विधायक श्री काश्यप ने कॉलोनाईजरों द्वारा काटी गई वर्षों से लंबित अविकसित कॉलोनियों के नियमितीकरण हेतु पृथक से नियम तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि रतलाम में ही ऐसी 52 अविकसित कॉलोनियां है, जिनमें से 42 कॉलोनियां वर्ष 1998 के पूर्व की है। प्रदेश स्तर पर इन कॉलोनियों का आंकड़ा हजारों में हो सकता है। धारा 292-क व घ के माध्यम से आयुक्त को प्रबंधन के जो अधिकार दिए हैं उनका और विस्तारीकरण किया जाना चाहिए।
श्री काश्यप ने कहा कि हाल ही में किए गए संशोधित कानून में नगरीय क्षेत्रों में बिल्डिंग लाईन में बने भवनों के अतिरिक्त निर्माण को वैध करने के लिए निर्मित क्षेत्र 10 से 30 प्रतिशत किया जाना स्वागत योग्य है, लेकिन इसके लिए अग्र भाग में छोड़ने संबंधी भूमि विकास अधिनियम की शर्तों में सुधार किया जाना आवश्यक है, क्योंकि सर्वाधिक निर्माण बिल्डिंग लाईन के इसी क्षेत्र में हैं। शर्तों में सुधार ना होने की दशा में इस कार्य के लक्ष्य प्राप्त नहीं होंगे और अतिरिक्त निर्माण को वैध करने की प्रक्रिया बाधित होगी।
श्री काश्यप ने सामाजिक आर्थिक एवं पारिवारिक कारणों से होने वाले भूखण्ड विभाजन के मामलों में भी भवन अनुज्ञा देने का प्रावधान करने को कहा। वर्तमान में यह प्रावधान नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
उन्होंने कहा कि निकायों को कॉलोनी हस्तांतरण के बाद रख-रखाव की जिम्मेदारी रहवासी आवास संघों को सौंपने का जो नियम कांग्रेस शासन काल में आया है, वह अव्यवहारिक है। उनके अनुसार बहुमंजिला भवनों के रख-रखाव के लिए यह नियम प्रस्ताव उचित हो सकता है, लेकिन कॉलोनियों के संदर्भ में रख-रखाव की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों द्वारा ही निभाई जानी चाहिए।
विधायक श्री काश्यप ने नई कॉलोनियों की अनुमति देने के संदर्भ में कहा कि ऐसी कॉलोनियों की अनुमति पेयजल आपूर्ति हेतु कुएं एवं हैण्डपम्प की व्यवस्था देखकर देना उचित नहीं है। पेयजल आपूर्ति के लिए स्थानीय निकायों से संबंद्ध स्थाई 12 मासी व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए। नई कॉलोनी में सीवरेज के कनेक्शन जोड़ने की व्यवस्था भी निकायों की व्यवस्था से जुड़ी होना चाहिए।
विधायक श्री काश्यप ने कहा कि सीवरेज योजना के लिए सीवरेज योजना में सड़क मरम्मत के जो प्रावधान किए गए हैं वह सफल नहीं हुए हैं। सीवरेज लाईन डालने के लिए पूरे प्रदेश में मनमाने ढंग से खोदी गई सड़कों में चार मीटर या इससे कम चौड़ी सड़कों पर खुदाई के बाद उनका पुनर्निर्माण करने का प्रावधान किया जाए। सीवरेज से खस्ता हाल हुई सड़कों के निर्माण हेतु शासन से राशि भी उपलब्ध कराई जाए।
श्री काश्यप ने कहा कि 2016 में सर्वप्रथम रतलाम से अवैध कॉलोनियों के वैधकरण की शुरुआत हुई थी, लेकिन वर्ष 2018 के हाईकोर्ट के फैसले के बाद राज्य की जिन अवैध कालोनियों में टेंडर होने के बाद भी विकास के कार्य बंद कर दिए गए थे, उन्हें तत्काल शुरू किया जाए ।
रतलाम में बीस करोड़ के टेंडर के बाद प्रारम्भ हुए काम अभी बन्द पड़े हैं, उन्हें भी तत्काल शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि अवैध कॉलोनियों में विकास कार्य के लिए स्टांप ड्यूटी के साथ वसूल किए जाने वाले नगरीय उपकर की राशि दी जा सकती है। वर्तमान में इसका भुगतान नगरीय निकायों को नहीं किया जा रहा है रतलाम नगर निगम के ही 50 करोड़ का भुगतान भी अभी तक नहीं हुआ है।
श्री काश्यप ने कहा कि प्रदेश के नगरों में सौंदर्यीकरण एवं सुव्यवस्थित विकास की दृष्टि से आंतरिक एवं व्यस्त बाजारों में अण्डर ग्राउण्ड इलेक्ट्रिक केबलिंग की जाना चाहिए। इससे खुले तारों से मुक्त, सुन्दर शहर का निर्माण हो सकेगा। कार्यशाला का शुभारम्भ नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने किया।
इसमें विधायकों के साथ साथ पूर्व महापौर, नगरीय निकायों के पूर्व अध्यक्ष, विषय विशेषज्ञों तथा अधिकारियों ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि कार्यशाला में आए सुझावों पर विचार करने के लिये विशेषज्ञों की कमेटी गठित की जाएगी, जो एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी।
इस रिपोर्ट के आधार पर नियम बनाए जाएंगे । नियम बनते ही कालोनियों के नियमितिकरण की कार्रवाई शुरू होगी। इस दौरान नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया, राज्यमंत्री विश्वास सारंग, प्रमुख सचिव मनीषसिंह एवं आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव मौजूद थे।