December 26, 2024

public interest litigation रतलाम के सीवरेज प्रोजेक्ट में की जा रही गडबडियों को लेकर जनहित याचिका दायर, जबलपुर में होगी सुनवाई

sewerage projest

रतलाम,17 मार्च (इ खबरटुडे)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में रतलाम के सीवरेज प्रोजेक्ट में की जा रही गडबडियों को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ताओं ने इंदौर खंडपीठ में ये याचिका दायर की थी, लेकिन जबलपुर के सीवरेज प्रोजेक्ट को लेकर उच्च न्यायालय की मुख्य खंडपीठ में याचिका विचाराधीन होने से रतलाम की याचिका की सुनवाई भी वहीं होगी। याचिकाकर्ताओं ने इसके लिए आवेदन दे दिया हैं।
रतलाम का सीवरेज प्रोजेक्ट आरंभ से गडबडियांे का शिकार रहा है। इससे आम जनमानस को ना केवल अभी समस्याओं का सामना करना पडा, अपितु भविष्य में कई परेशानियां देखना पड सकती है। इन्हीं तथ्यों को लेकर बैंक कालोनी निवासी मुस्तफा स्टेशनवाला एवं एडवोकेट कपिल मजावदिया ने उच्च न्यायालय की इंदौर खडपीठ में जनहित याचिका प्रस्तुत की थी, जिसे याचिका क्रमांक 18002-20 पर दर्ज किया गया है। इस याचिका में मध्य प्रदेश शासन की और से नगरीय विकास एव आवास विभाग के प्रमुख सचिव एवं नगर निगम आयुक्त, कलेक्टर रतलाम एवं सीवरेज प्रोजेक्ट का काम कर रही ठेकेदार कपंनी जय वरूडी इन्फ्राकान प्रायवेट लिमिटेड को पक्षकार बनाया गया हैं।
याचिकाकर्ता के अभिभाषक ऋषिराज त्रिवेदी ने बताया कि इंदौर खंडपीठ में युगल बैंच के जज सुजाय पाल एवं शेलेन्द्र शुक्ला ने सीवरेज प्रोजेक्ट पर जबलपुर में याचिका विचाराधीन होने पर समान प्रकृति का होने से इसे मुख्य खंडपीठ में स्थानांतरित करने को कहा था। याचिकाकर्ताओं की और से इस पर न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर दिया गया है। याचिका में रतलाम में हो रहे सीवरेज के काम को मापदंडों से विपरीत बताया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत जो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनना है, उनमें भी बदलाव किए जाने से समस्या आएगी,क्यांेकि सीवरेज प्लांट की संख्या 6 घटाकर 2 कर दी गई है।
याचिका में इस बात पर भी कडी आपत्ति की गई है कि अक्टूबर 2017 में नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय के प्रमुख अभियंता ने रतलाम के सीवरेज प्रोजेक्ट का निरीक्षण कर जिन खामियों को दूर करने को कहा था, उन पर राज्य शासन और स्थानीय प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही नही की है। इससे शहरवासियों को काफी समस्याओं का सामना करना पडेगा।

शासन ने माना बेतरतीब तरीके से हुआ कार्य

नगरीय प्रशासन एवं विकास संचालनालय के प्रमुख अभियंता ने रतलाम में सीवरेज कार्यों का निरीक्षण कर 2 अक्टूबर 2017 को जो प्रतिवेदन दिया। उसमें स्पष्ट लिखा था कि बेतरतीब तरीके से कार्य किए जाने की स्थिति परिलक्षित हुई है। इस प्रतिवेदन में कई तकनीकी खामियों का जिक्र करते हुए प्रमुख अभियंता ने निर्देश दिए थे कि जब तक उपकरण पूरे नहीं हो, तब तक नई खुदाई नहीं की जाए, लेकिन इसके बाद भी सभी नियमों को ताक में रखकर ठेकेदार ने कार्य किया। प्रमुख अभियंता ने स्तरहीन कार्य को सुधारने के लिए विभिन्न निर्देश दिए थे, लेकिन उनका भी पालन नहीं हुआ। इस प्रतिवेदन में यह भी उल्लेख था कि नगर निगम के इंजीनियर की जिम्मेदारी होगी। यदि एक महीने में सारी स्थिति को ठीक नहीं करता है, तो उसका ठेका निरस्त किया जाए और प्रावधान अनुसार उसके विरू़द्ध पेनल्टी लगाई जाए, मगर लेकिन नगर निगम द्वारा जिम्मेदारी दिए जाने के बाद भी कोई प्रभावी कार्यवाहीं नहीं की गई है।

सूचना के अधिकार पर भी याचिका लंबित

नगर निगम रतलाम के खिलाफ सीवरेज प्रोजेक्ट को लेकर सूचना के अधिकार पर भी उच्च न्यायालय में याचिका लंबित है। एडवोकेट कपिल मजावदिया द्वारा इस संबंध में जो जानकारी मांगी गई थी, वह उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई। इस संबंध में राज्य सूचना आयोग ने निर्देश दिए, लेकिन उसके बाद भी जानकारी नहीं दी गई। इससे असंतुष्ट होकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है।

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