97 वोटरों में अटकी बडे नेताओं की इज्जत
केन्द्रीय जिला सहकारी बैंक में 12 डायरेक्टर निर्विरोध,सिर्फ एक के लिए चुनाव
रतलाम,22 सितम्बर (इ खबरटुडे)। केन्द्रीय जिला सहकारी बैंक का चुनाव बेहद रोचक मोड पर आ पंहुचा है। सत्तारुढ भाजपा के बडे नेताओं की इज्जत दांव पर लग गई है। महज 97 वोटरों के वोट,विधानसभा चुनाव में प्रचण्ड वोटों से जीते शहर विधायक समेत कई बडे नेताओं की हैसियत तय करने वाले है। हांलाकि अब तक हुई प्रक्रिया में शुरुआती तौर पर शहर विधायक को इन चुनावों में बडा झटका लग चुका है। यदि 24 सितम्बर को होने वाले चुनाव में भाजपा समर्थित प्रत्याशी को जीत ना मिल पाई,तो इसका बडा असर नगर निगम चुनावों पर भी पडना तय है।
सहकारिता चुनाव में इस बार भाजपा ने किसी भी बैंक अध्यक्ष को दोबारा रिपीट नहीं करने का निर्णय कर लिया था। इस निर्णय का असर तो आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा,लेकिन इस फैसले का एक बडा असर यह हुआ कि विभिन्न जिलों में सहकारिता की गहराई से समझ रखने वाले कई नेता इन चुनावों में ढंके छुपे तौर पर बागी की भूमिका में आ गए। दूसरी ओर सहकारिता चुनावों की कमान विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले नेताओं के हाथ में आ गई। ये नेता विधानसभा चुनाव तो जीते थे,लकिन इनमें सहकारिता की समझ और अनुभव का सर्वथा अभाव था। विभिन्न जिलों में इसी तरह के परिदृश्य उभर रहे है। रतलाम जिला भी इनमें से एक है।
रतलाम की जिला सहकारी बैंक के चुनाव में बैंक डायरेक्टर के पन्द्रह पदों के लिए करीब 66 नामांकन दाखिल किए गए थे। राज्य शासन के दबाव में सहकारिता के अफसरों ने नियम कायदों का जंजाल फैला कर करीब 46 नामांकन तो सीधे सीधे निरस्त कर दिए। शासन स्तर पर सीधे निर्देश थे कि येन केन प्रकारेण विरोधी दावेदारों के नामांकन निरस्त कर दिए जाए,ताकि पार्टी जिसे चाहे बैंक का अध्यक्ष बनवा सके। लेकिन रतलाम में मामला उलझ गया।
भाजपा के अंदरुनी सूत्रों के मुताबिक सहकारिता चुनाव की पूरी बागडोर इस बार नवनिर्वाचित शहर विधायक चैतन्य काश्यप ने अपने हाथों में रखी थी। विधायक को सहारा देने के लिए पार्टी के संगठन मंत्री भी रतलाम पंहुच गए थे। इन नए नेताओं ने सहकारिता की समझ रखने वाले पूर्व अध्यक्ष प्रकाश मेहरा व जिले के अन्य वरिष्ठ नेताओं को पूरी तरह दरकिनार करते हुए अपनी रणनीति बनाई। सूत्र बताते है कि शहर विधायक ने अपने खास अशोक चौटाला को बैंक अध्यक्ष बनाने का वादा किया था और इसी हिसाब से पूरे चुनाव की रणनीति बनाई गई थी। सैलाना के वरिष्ठ भााजपा नेता श्रेणिक चण्डालिया जैसे कई नेताओं पर दबाव डालकर उनके नामांकन या तो वापस करवा दिए गए या निरस्त करवा दिए गए। योजना यह थी कि तमाम डायरेक्टर निर्विरोध आ जाएंगे और बडी आसानी ने बेंक अध्यक्ष का पद विधायक जिसे चाहेंगे उसे दिलवा देंगे।
लेकिन सहकारिता की गहराई से जानकारी रखने वाले नेताओं ने आखिर अपना असर दिखा ही दिया। बैंक के बारह डायरेक्टर तो निर्विरोध चयनित हो गए,लेकिन जिस वर्ग से विधायक के खास अशोक चौटाला का नामांकन होना था,उसमें कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी शांतिलाल वर्मा का नामांकन निरस्त नहीं करवाया जा सका।
अब स्थिति यह है कि जिसे अध्यक्ष बनवाना है,केवल उसी के वर्ग में चुनाव होना है। सहकारिता विभाग के मुताबिक इस वर्ग में कुल 97 मतदाता है। इनमें करीब चालीस मतदाता तो राशन दुकानों के है,जबकि करीब दस मतदाता दुग्ध समितियों के है। इसी तरह अन्य समितियों के मतदाता है। सूत्र बताते है कि इन 97 मतदाताओं पर असर रखने वाले सहकारिता के नेता,अशोक चौटाला के खिलाफ है।
इस समूह के डायरेक्टर का चुनाव 24 सितम्बर को बालाजी सेन्ट्रल में रखा गया है। चुनाव के महत्र को देखते हुए चुनाव के समय होटल में सिर्फ मतदाताओं को ही प्रवेश दिया जाएगा। चुनाव में अब केवल 48 घण्टे का समय बाकी है। इस बचे हुए समय में अब बडे नेता जोड तोड में जुटे है। अगर चुनाव के नतीजे भाजपा के खिलाफ रहे तो इसका असर न सिर्फ विधायक और अन्य नेताओं की हैसियत पर पडेगा,बल्कि इसका सीधा असर आगामी नगर निगम चुनावों में भी देखने को मिलेगा।