April 27, 2024

भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल ने पर्यावरण मंत्री को ज्ञापन सौंपा

जीएम बीजों का क्षेत्र परीक्षण का किया विरोध
आदेश वापस नहीं तो देशभर में होगा आंदोलन

नई दिल्ली 29 जुलाई (इ खबरटुडे)। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय मंत्री मोहिनी मोहन मिश्र व श्री चंद्रशेखर के नेतृत्व में जीएम (जेनेटिकली मॉडीफाइड) फसलों की विविध किस्मों के जमीनी परीक्षण को मंजूरी देने के फैसले के विरोध में मंगलवार को एक प्रतिनिधिमंडल पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मिलकर विरोध जताया और ज्ञापन सौंपा। गौरतलब है कि हाल में ही केंद्र सरकार ने इनके जमीनी परीक्षण को मंजूरी दी है।
श्री मिश्र ने जावड़ेकर से जमीनी परीक्षण पर रोक लगाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के हित के खिलाफ है। पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिग अप्रूवल कमेटी (जीईएसी) को जीएम की 15 किस्मों का परीक्षण भारतीय परिस्थितियों में करने की मंजूरी देना एक दुर्भाग्यपूर्ण कदम है। भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल ने आगाह किया कि किसी अज्ञात शक्तियों के दबाव में सरकार द्वारा इस तरह के फैसले लेना किसानों के लिए घातक साबित होगा।
प्रतिनिधिमंडल ने मान्यवर मंत्री प्रकाश जावड़ेकर जी से कई सवाल किए। मान्यवर सुप्रीम कोर्ट के तकनीक विशेषज्ञ समिति, कृषि मंत्रालय के स्थायी समिति और केंद्र सरकार को दरकिनार करके जीईएसी कैसे-क्यों और किसके प्रभाव में इस तरह के गलत निर्णय ले रही है? अगर जीएम बीजों का गलत परिणाम निकलता है तो इसकी जवाबदेही किसकी है? जीएम तकनीक एक जीवंत तकनीक है। ये इलेक्ट्रॉनिक्स या इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी तकनीक नहीं है। इसके एक बार फैल जाने पर इसे रोकना तो दूर इसमें सुधार भी नहीं किया जा सकेगा और इसे रोकना भी संभव नहीं है। इसीलिए देशहित में, पर्यावरण के हित में, किसान के हित में, इसको बिना सोचे-समझे लागू कर देना एक बड़े खतरे की ओर इशारा करता है। ये सब बताते हुए किसान संघ के प्रतिनिधियों ने स्वदेशी जागरण मंच के प्रतिनिधियों के साथ जीईएसी और सरकार को आगाह किया कि अगर ये आदेश वापस नहीं हुआ तो देशभर में किसान आंदोलन करने को मजबूर होगा। मंत्रीजी सब सुनते हुए प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि जीएम फसलों के बारे में अपना मैनिफेस्टो में दिया हुआ वादा हम अवश्य निभाएंगे। अभी तक सरकार ने जीईएसी के प्रस्ताव को मान्य नहीं किया है।
भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि इस मुद्दे पर कोई फैसला किसानों से बातचीत करने के बाद ही लिया जाएगा। लेकिन किसानों को नजरअंदाज कर जीईएसी ने यह फैसला लिया, यह फैसला अलोकतांत्रिक है।
राष्ट्रीय मंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने आरोप लगाया कि जीईएसी ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की अनदेखी की है। जमीनी परीक्षण के लिए जिन जीएम फसलों को मंजूरी दी गई है उसमें धान, बैंगन, काबुली चना, सरसों और कपास की किस्में शामिल हैं। इसमें अधिकांश फसलों का भारत ही मात्र-भू है। किसी भी हालत में भारत की जैव विविधता से छेड़छाड़ करना भारी पड़ सकता है।

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