राग रतलामी- फूल छाप नेताओं के लिए चुनौती है भ्रष्ट प्रशासन,रिश्वतखोरी उजागर करने वालों को सम्मान की बजाय दी जा रही है प्रताडना
-तुषार कोठारी
रतलाम। जिला इंतजामिया की रग रग में अब भ्रष्टाचार पनप चुका है। नीचे पटवारी से लगाकर उपर तक रेवेन्यू वाले महकमे में कोई काम बिना रिश्वत के हो नहीं सकता। जिले में दो हफ्तों में तीन तीन पटवारी रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकडे जा चुके है,लेकिन इंतजामियां के बडे अफसरों को इससे कोई फर्क नहीं पडा है। ये चुनौती अब फूल छाप वालों के लिए है,क्योंकि सूबे में सरकार उन्ही की चल रही है। बेलगाम अफसरशाही का सारा कुसूर उन्ही के सर माथे लगने वाला है।
कहानी बडी सीधी सी है। रेवेन्यू महकमे में छोटे से छोटे काम के लिए हजारों लाखों रुपए रिश्वत के मांगे जा रहे है। बडे अफसर खुद को ईमानदार दिखाते है,लेकिन जब मौका पडता है तो उनकी बदनीयती साफ जाहिर हो जाती है। रिश्वतखोरी की तीन घटनाओं में से एक तो जिला इंतजामियां के हेडक्वार्टर में जिले की सबसे बडी अफसर की नाक के नीचे ही हो गई। लोगों का लगता था कि जिले के हेडक्वार्टर में घटना हुई है,तो इसका असर भी नजर आएगा। लेकिन इसका असर एन उलटा हुआ। रिश्वतखोरी उजागर करने वाले को सम्मानित किए जाने की बजाय उसे किसी तरह उलझाने की कोशिशें चालू हो गई। पावती बनाने के लिए रिश्वत मांगने वाला पटवारी तो पकड लिया गया,लेकिन महकमे के अफसरों ने भी ठान ली कि शिकायतकर्ता को पावती देने की बजाय इतना परेशान करेंगे कि कोई दूसरा भ्रष्टाचार को उजागर करने की हिमाकत ना कर सके।
रिश्वतखोरी की घटना को जब एक हफ्ता गुजर गया और शिकायतकर्ता का काम नहीं हुआ तो इसी कालम में इस वाकये का जिक्र किया गया। जैसे ही यह खबर बाहर आई,पहले तो शिकायतकर्ता के पास छुट्टी वाले दिन यानी रविवार को फोन गया कि तुम्हारी पावती तैयार है,आकर ले जाओ। शिकायतकर्ता ने कम्प्लीट लाकडाउन का हवाला देकर सोमवार को पावती लेने की बात कही। लेकिन रविवार का दिन गुजरते गुजरते खबर का असर हवा हो गया। सोमवार से लगाकर फिर से रविवार आ गया। शिकायतकर्ता का काम नहीं हुआ। चतुराई का ठेका तो अफसरों के पास ही है। इसलिए उन्होने चतुराई दिखाई। शिकायतकर्ता को पावती तो दे दी गई,लेकिन जब उसने पावती देखी तो पता चला कि पावती पुरानी वाली ही थी। उसके नाम वाली नई पावती उसे नहीं दी गई। शिकायतकर्ता अब भी अपनी सही पावती के लिए दफ्तर के चक्कर लगा रहा है। इस पूरे वाकये से अफसरों का सीधा सा सन्देश है कि जो भी भ्रष्टाचार की शिकायत करेगा,वह परेशानी झेलेगा।
ये पूरा मामला अब सीधे सीधे फूल छाप वालों के लिए चुनौती बन गया है। सूबे में पहले तो पंजा पार्टी की सरकार थी,लेकिन अब फूल छाप वालों की हैं। तमाम सरकारी अफसरों ने पंजा पार्टी की तर्ज पर काम काज शुरु कर दिए थे,लेकिन सरकार बदलने के बावजूद उनके तौर तरीके अब तक नहीं बदले है। वैसे तो फूलछाप के पांच पांच मण्डल अध्यक्षों ने पिछली बार सीधे मामा को शिकायत कर दी थी,लेकिन तब से अब तक कोई खास बदलाव नजर नहीं आया है। फूल छाप के भैयाजी से लगाकर दरबार तक के लिए बडा सवाल यही है कि उनकी सरकार में भी इंतजामियां ऐसे ही काम करेगा या फिर भ्रष्टाचार उजागर करने वालों को प्रताडना की बजाय सम्मान मिलेगा.....?
आजाक में भी भी यही कहानी…….
जब जिले के खास इंतजामिया में बेहिचक,बेखौफ भ्रष्टाचार की कहानियां सुनी और सुनाई जा रही है,तो दूसरे सरकारी महकमे इससे क्यों पीछे रहेंगे? आदिम जाति के कल्याण के लिए बनाए गए महकमें के बडे साहब भी नित नए रेकार्ड बना रहे हैं। पहले तो उन्होने अपनी व्यक्तिगत द्वैषता निकालने के लिए शिक्षकों को सूनी पडी इमारतों में चोबीसों घण्टे कोरोना ड्यूटी देने के लिए मजबूर किया। अब उनके नए किस्से खुद कर्मचारी कलेक्टोरेट में नारे लगाते हुए बयान कर रहे है। आजाक के एसी साहब के खिलाफ कर्मचारी लगातार आन्दोलन कर रहे है। कर्मचारियों का कहना है कि उनके वेतन भत्तों के बिल पास करने के लिए भी साहब बडा चढावा मांगते है। आखिरकार परेशान होकर कर्मचारियों को नारेबाजी करना पडी। हांलाकि इस नारेबाजी का कोई खास असर अब तक नजर नहीं आया है। जिला इंतजामियां ने मामले की जांच करने का दिलासा जरुर दिया है,लेकिन कर्मचारियों को उम्मीद कम ही है कि कोई कार्यवाही होगी।