सूफि विद्वानों ने नरेंद्र मोदी को विषपायी बताया
–पंडित मुस्तफा आरिफ
लंदन से संचालित यूट्यूब के Sufi Guidance Channel पर भारत और उसके भविष्य पर विगत 2 शुक्रवार से चर्चा हो रहीं हैं। सूफिवाद मानवता पर केंद्रित एक ऐसा पंथ हैं जो सबको साथ लेकर चलता है। सूफि आध्यात्म के विद्वानो की भारत को लेकर चर्चा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की चर्चा और मूल्यांकन को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। सूफि विद्वानों ने उन्हें विषपायी के रूप में पेश किया है, जिसमें गरल पीने की क्षमता है। सूफि विद्वानों का मानना है कि श्री नरेन्द्र मोदी एक नेता से अधिक एक “स्टेट्समेन” हैं, जिनमें सबको साथ लेकर चलने की क्षमता है।
विश्व कोरोना वायरस की महामारी के दौर से गुजर रहा है, विद्वानों के अनुसार महामारी अब ईश्वर के अज़ाब में परिवर्तित हो चुकी है। बीमारी से जैसे तैसे आदमी पार पा ही लेगा, ईश्वर के अज़ाब से पार पाना मुश्किल काम है। सिर्फ दुआ ही एक ऐसा मंत्र है जो उससे मुक्ति दिला सकता है। इसके लिए सारे धार्मिक स्थल खोल देना चाहिए और प्रसाद का वितरण खुले हाथो से होना चाहिए। सिर्फ इस्लाम ही नहीं सभी धर्मों के देवी देवता, पीर मवाली, गुरू हमारी प्रार्थनाएं सुनते हैं। इसके लिए हवन, यज्ञ और चिराग जलाने का मार्ग उचित है।
विद्वानो के अनुसार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लॉक डाउन 1 की शुरुआत दीपक जलाकर की थी। सूफीवाद के अनुसार ये एक सर्वाधिक उचित और कारगर कर्म था। परंतु मोमबत्ती टार्च के स्थान पर सिर्फ घी के दीये जलाए जाते तो भारत अब तक महामारी के अज़ाब से मुक्त हो गया होता। क्योंकि मिट्टी के दीपक जलाने मे पंच तत्वों की भूमिका होती हैं। मिट्टी का दीपक, कपास की बाती, मानव रचित घी, रोशनी रूपी आग और प्रार्थना रूपी आध्यात्म समावेश होता है। इसलिए धर्म कोई सा भी हो चिराग जलाने की परंपरा सभी में हैं। संकटों के निवारण का ये अचूक मार्ग है।
चर्चा में भाग लेते हुए विश्व प्रसिद्ध संत और मानव दुख निवारण के लिए कार्यरत अली शाह बाबा उर्फ शाह साहब के अनुसार 26 जून से महामारी या अज़ाब जो भी है का प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा और 9 सितम्बर 2020 को लगभग खत्म हो जाएगा। चर्चा में सूफी संत शाह साहब की आध्यात्मिक उपस्थिति में सूफी विद्वान जनाब मसरूर अली सिद्दिकी, हसनैन काज़मी और प्रोफेसर एहतेशाम ने भाग लिया।