होर्डिंग्स के जरिये शुरु हुआ कांग्रेस का गुटीय संघर्ष
रतलाम,१८ अप्रैल (इ खबरटुडे)। कांग्रेस के नेता चाहे लाख दावा करें कि पार्टी में एकजुटता आ गई है,कांग्रेस के गुटीय संघर्षों की हकीकत किसी न किसी बहाने से सामने आ ही जाती है। अभी कुछ ही दिन पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह दोनो साथ साथ एकता का दम भर रहे थे। लेकिन हाल ही में शहर में लगाए गए पोस्टर्स बताते है कि एकता के ये दावे पूरी तरह झूठे थे। शहर में लगाए गए इन होर्डिंग्स में अजयसिंह तो हैं लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया नदारद है।
लम्बे समय से पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह के विश्वस्त रहे पूर्व विधायक शिवकुमार झालानी और उनके समर्थकों द्वारा शहर में नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह को बधाई देने वाले होर्डिंग्स लगाए गए हैं। इन होर्डिंग्स में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और उनके समर्थकों का न तो नाम है और ना ही फोटो। जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं कांग्रेसी हलकों में खींचतान उभरने लगी है।
फिलहाल कांग्रेस की स्थानीय स्तर की राजनीति में कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के समर्थकों का ही बोलबाला है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष से लगाकर प्रत्येक पद पर भूरिया समर्थक ही काबिज है। मजेदार बात यह है कि शहर में भूरिया के विश्वासपात्र और समर्थक जितने भी नेता है वे सभी जनाधार विहीन है। इसी का नतीजा कांग्रेस को पिछले विधानसभा और नगर निगम चुनावों में शर्मनाक हार के साथ भुगतना पडा था। विधानसभा चुनाव में भूरिया के कट्टर समर्थक प्रमोद गुगालिया ने ऐतिहासिक शर्मनाक पराजय झेली थी। निगम चुनाव में भी कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब रही थी।
लगातार मिली पराजयों के बावजूद न तो प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया ने और ना ही उनके समर्थकों ने इससे कोई सबक लिया। कांग्रेस में जनाधार वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा जारी है। व्यक्तिगत निष्ठा ही चयन का एकमात्र आधार है।
शहर में झालानी समर्थकों द्वारा लगाए गए होर्डिंग्स के कई राजनीतिक निहितार्थ है। इन होर्डिंग्स पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की गैरमौजूदगी से जहां यह स्पष्ट है कि दोनो गुटों में खींचतान है,वहीं इसके जरिये यह सन्देश भी दिया जा रहा है कि आगामी चुनाव में झालानी गुट फिर से सक्रिय भूमिका निभाने के मूड में है। यही नहीं इन होर्डिंग्स पर भूरिया समर्थक नेताओं को छोडकर जिले के तमाम पुराने वरिष्ठ नेताओं के फोटो भी लगाए गए है। इसके माध्यम से यह सन्देश देने की कोशिश की गई है कि अब तमाम भूरिया विरोधी नेता एक जाजम पर आ रहे है। टाईमिंग भी एक पूरे खेल में महत्वपूर्ण मुद्दा है। इन दिनों ऐसा कोई अधिकारिक कार्यक्रम या मौका नहीं था जब कि किसी नेता को होर्डिंग लगाने की जरुरत होती। इन दिनों न तो चुनाव है,न कोई आन्दोलन,न किसी नेता का आगमन और ना ही जन्मदिन,ऐसे वक्त पर नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह के फोटो वाले होर्डिंग्स लगाने के पीछे निश्चित ही राजनीतिक कारण है।
पिछले लम्बे अरसे से शहर में भूरिया विरोधी तबका लगभग हाशिये पर चला गया था। ऐसे अनुमान लगाए जा रहे थे कि विधानसभा चुनाव में सिर्फ भूरिया समर्थकों की ही तूती बोलेगी। लेकिन नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह के रतलाम आगमन और इसके बाद उनके कट्टर समर्थकों की बढी हुई सक्रीयता इस बात का साफ संकेत है कि आगामी चुनाव में भूरिया विरोधी खेमा भी जोर आजमाईश से पीछे नहीं रहेगा।