November 22, 2024

२०१४ भारतीय नायिका-जगत का शताब्दी-वर्ष२०१३ में

जुबैर आलम कुरैशी

भारतीय चलचलचित्र शताब्दी वर्ष का शोर अब जबकि थम-सा गया है,और २०१२ से मनाएं जा रहे इस महोत्सव पर एक का विराम-सा लग गया है। वहीं एक खास अनछुए पहलू पर तमाम सिने-प्रेमियों और सिनेमा-जगत का ध्यान गया नही या सदा की तरह ी-उपेक्षिता की तर्ज पर ही एक भूला-बिसरा अफसाना फिर अधूरा रह गया । दरअसल २०१४ फिल्मों में नायिक-प्रवेश का शताब्दी वर्ष है। इ खबर के माध्यम से ही इस स्तंभ में पहली बार इस बिंदु पर भारतीय सिने-संसार के इस नजर-अंदाज किए गए, लेकिन बेहद जरूरी प्रसंग पर गौर करे तो ठिक सौ साल पहले भारतीय फिल्मों की पहली महिला अभिनेत्री कमला बाई गोखले ने दादा साहेब की तीसरी फिल्म-भस्मासुर मोहिनी- १९१४ में अभिनय किया था। कमला रुपहले परदे की पहली परी बनी १९१४ में, और हैरतअंगेज सच्चाई यह है कि भारतीय फिल्मों की पहली नायिका का श्रेय परीजाद से सालुंके(श्रीमान सालुंके) को मिला। पहली फिल्म के लिए राजा हरिशचंद्र की पत्नी की भूमिका में तारामती बनने के लिए कोई ी तैयार नही थी। उन दिनों फिल्मों या नाटकों में ी के अभिनय करने की कल्पना भी दुस्कर थी, रंगमंच पर नारी की प्रस्तुति को अनुचित व मर्यादा का अतिक्रमण समझा जाता था। दादा फालके नायिका की तलाश में कोठे तक पहुंचे, और वहां भी उन्हें अस्वीकृत का सामना करना पड़ा। निराश दादा साहेब$ क ो एक होटल के नौकर की नाजुक उंगलियों को देखकर विचार आया कि क्यों न इसे तारामती बनाया जाए। यह व्यक्ति था सालुंके। खैर एक साल की तपस्या के बाद दादा को अपनी दूसरी-फिल्म भस्मासुर-मोहिनी, १९१४ के लिए सचमुच दो ियां मिल गई,दुर्गा और कमला। दुर्गा उम्र में बड़ी थी$ और कमला युवा। सो नायिका का श्रेय कमला को,चरित्र नारी पात्र के तौर पर दुर्गा को याद किया जाता है। यूँ पहली बार बाल नायिका के रूप में मंदाकिनी पहले ही अपनी इंट्री करा चुकी थी। फालके की बिटिया मंदाकिनी ने कई फिल्मों में कृष्ण का अभिमन्त किया। इसके बाद भी परम्परागत भारतीय नारी का पर्दे पर अवतरण संकुचित ही रहा और कई अंगे्रज, एंज्लो-इंडियन कन्याओं ने भारतीय नामकरण के साथ इंद्रधनुषी दुनिया में कदम रखा। अंग्रेज अफसरों के मातहत टाइपिंग,टेलिफोन आपरेटिंग और रिसेप्शन के रूप में सेवाएँ देने वाली देशी-विदेशी बालाओं ने यह दुस्साहस किया। सुलोचना,माधुरी,सविता देवी और सीता देवी, सभी आंगला-भारतीय नायिकाएं थी। इनके बाद उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत की निवासिनी जेबुन्निसा आई जो मजे के साथ हिंदुस्तानी बोल लेती थी। जुबेदा (१९३१-आलमआरा) बोलती फिल्मों की पहली नायिका थी। देविका रानी को फस्र्ट लेडी आफ इंडियन स्क्रीन कहा जाता है। जिंहोने सम्भवत: पहली बार पर्दे पर चुम्बन-दृश्य का दुस्साहस किया। स्टंट फिल्मों की साहसी नायिका नादिया अपने स्टंट दृश्य खुद करती थी। हिंदी सिनेमा की सबसे सुंदर अभिनेत्री मधुबाला को तो वीनस की देवी ही माना जाता है। पचास के दशक की नम्बर वन नायिका सुरैया भी एक जीती-जागती अफसाना ही बनकर ही रही। शायर इकबाल साहब के शेर की मानिंद हजार बरस बाद महके नर्गिसी फूल की तरह ही थी नर्गिस। और एक परी चेहरा नसीम(खूबसूरत सायरा बानो की माँ …हसीन नसीम बानो) अपने जमाने की अत्यंत रूपसी अदाकारा थी। शालीन नूतन और बिंदास तनूजा की माँ और चंचल काजोल की नानी रही शोभना समर्थ को रजत पट की सीता कहा जाता था। आत्मकथा लिखन वाली सिने जगत की सबसे ज्यादा निभ्रीक अभिनेत्री थी दुर्गा खोटे। भारत की प्रथम फ्री लांसर अभिनेत्री थी शांता आप्टे। मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहां को अभिनय के लिए भी जाना जाता है। भारतीय सिनेमा की पहली सुपर स्टार नायिका थी सुलोचना (रूबी मेयर्स)। सिनेमा के अतीत से झांकती बिब्बो और जहांआरा को भी हम नही भूल सकते। भूली बिसरी नायिकाएं भी कई है,जिंहाने इंद्रजाल का सम्मोहन बनाएं रखा। पहली स्नातक नायिका लीला चिटनीस ने शिक्षित युवतियों के फिल्मों में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया, और लीला ही पहली लक्स गर्ल भी बनी। बंगाल में पहली गायिका-अभिनेत्री कानन देवी ने इतिहास रचा। दिज्गज नायिकाओं से आगे रहने में गायिका अभिनेत्री खुर्शीद का नाम भी आता है। क्रूर फिल्मी सास के रूप में ललिता पवाँर ने एक अलग आयाम जड़ा। चुनौतीपूर्ण उत्प्र$ेक गीता बाली विदेश में शुटिंग करने की शुरूआत करने वाली नलिनी जसवंत -अंडर प्ले-करने वाली कामिनी कौशल, जमुना देवी, उमा शशि, कत्थक क्वीन,सितारा देवी, ट्रेजेडी क्वीन मीना कुमारी, देवी माँ निरूपा राँय, हुस्न के लाखों रंग दिखाने वाली हेलन, मोहिनी नृत्यांगना वैजयंति माला, संजीदा वहीदा रहमान,एंग्री यंग वीमन साधना,अभिनय में विलीन नन्दा,अदभुद दैहिक अकर्षण वाली माला सिंह, बंगाली जादू सुचित्रा सेन, बहुआयामी श्यामा….से ड्रीम गर्ल हेमा, रहस्यमय रेखा, दिव्य श्री देवी,सौम्य स्मिता पाटिल, सादगी भरी शबाना,मधुर माधुरी,ऐश्वर्या,करीना, केटरीना,दीपिका और प्रियंका चौपड़ा $तक न जाने कितनी बार महामाया ठगिनी ने कितने रूपों में सौंदर्य-जाल से विस्मित किया है। बीते सुनहरे सौ सालों में १९१४ से २०१४ के अंतराल में ।

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