न्यूयॉर्क में भारत-पाक के बीच होने वाली वार्ता में आतंकवाद रहेगा बड़ा मुद्दा
नई दिल्ली,21सितम्बर(ई खबर टुडे)। अगर पड़ोसी देश के रवैए में बदलाव दिखा तो अगले हफ्ते भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों की अमेरिका में होने वाली मुलाकात दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्तों की गाड़ी को फिर से पटरी पर ला सकती है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तान की नई सरकार में अपने समकक्ष शाह मेहमूद कुरैशी से द्विपक्षीय मुलाकात करेंगी।रवीश ने बताया, “पीएम इमरान खान ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था जिसमें न्यूयॉर्क में स्वराज व कुरैशी के बीच बातचीत से द्विपक्षीय वार्ता की शुरुआत करने की पेशकश की थी। भारत ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। बातचीत का एजेंडा अभी तय नहीं है लेकिन उसमें द्विपक्षीय रिश्तों से जुड़े हर मुद्दे पर बात होगी। आतंकवाद भी एक मुद्दा रहेगा।”
सुषमा स्वराज की मुलाकात पाक विदेश मंत्री से 26 सितंबर को होनी है। यह सहमति बनी है कि इनकी मुलाकात सार्क विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले होनी चाहिए जो 27 सितंबर को होगी।
रवीश कुमार के अनुसार सुषमा इस दौरान मेहमूद कुरैशी से पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित सिखों के धार्मिक स्थल करतारपुर साहेब में भारतीय श्रद्धालुओं के जाने की अनुमति पर भी बातचीत करेंगी। यह मुद्दा पाकिस्तान के साथ पहले भी कई बार उठाया जा चुका है। पाकिस्तान ने अब तक इस विषय में कुछ नहीं कहा है। जबकि भारत ने पाकिस्तान की इस्लामाबाद में सार्क सम्मेलन कराने की अपील ठुकरा दी है।
उल्लेखनीय है कि नवंबर, 2016 में सार्क की शीर्ष बैठक इस्लामाबाद में होनी थी लेकिन आतंकी वारदातों की वजह से सभी दूसरे देशों ने इसमें हिस्सा लेने से मना कर दिया था। बहरहाल, इमरान खान के पत्र में भी स्वराज-कुरैशी वार्ता के एजेंडे की तरफ से इशारा किया है। इसमें खान ने लिखा है,”पाकिस्तान आतंकवाद पर बात करने को तैयार है। हमें कारोबार, लोगों के बीच सामान्य आवाजाही, धार्मिक पर्यटन व मानवीय मुद्दों पर भी बात होनी चाहिए।”
यह पूछे जाने पर कि क्या कश्मीर पर भी बात होगी, विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि जब आतंकवाद पर बात होगी तो कश्मीर का जिक्र होना लाजिमी है। भारत को वैसे अब कश्मीर पर बात करने से परहेज नहीं है। वाजपेयी-मुशर्रफ से लेकर मनमोहन सिंह-यूसुफ अली गिलानी के बीच हुई वार्ता में भी कश्मीर पर बात हुई थी।
कुछ जानकारों की माने तो इमरान खान के पत्र का सकारात्मक जवाब राजग ने बेहद सोच-समझ कर ही दिया है। जब कई तरफ से यह चर्चा हो रही थी कि चुनावी वर्ष में मोदी सरकार पाकिस्तान को लेकर कोई नरमी नहीं अख्तियार करेगी तब वार्ता के प्रस्ताव को स्वीकार करना यह बताता है कि भारत अपने पड़ोसी देशों से रिश्तों को लेकर बेहद गंभीर है। हालांकि अभी भी भारत फूंक-फूंक कर कदम उठाएगा।
स्वराज-कुरैशी वार्ता के परिणाम से ही तय होगा कि दोनो देशों के बीच समग्र्र वार्ता की शुरुआत अभी हो सकेगी या नहीं। समग्र्र वार्ता यानी कारोबार,ऊर्जा, संस्कृति जैसे दूसरे मुद्दों पर सहयोग करने को संयुक्त वार्ता। यह वर्ष 2012 से रुकी है। दोनो देशों के विदेश मंत्रियों की अंतिम बैठक दिसंबर, 2015 में इस्लामाबाद में हुई थी।