मायावती के बयान के बाद बोले अखिलेश, ‘एसपी गठबंधन करेगी, भले ही दो कदम पीछे हटना पड़े’
लखनऊ,17 सितंबर (इ खबर टुडे)। यूपी में महागठबंधन का पेच फंसता नजर आ रहा है। सीटों के बंटवारे को लेकर मायावती के बयान के बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस बैकफुट पर नजर आ रही हैं। हालांकि, समाजवादी पार्टी (एसपी) गठबंधन के लिए दो कदम पीछे जाने को भी तैयार है। एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि बीजेपी को हराने के लिए उनकी पार्टी गठबंधन करेगी, चाहे इसके लिए दो कदम पीछे हटना पड़े।
अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘बीजेपी को हराने के लिए एसपी गठबंधन करेगी, भले ही इसके लिए दो कदम पीछे हटना पड़े। हमारा अजेंडा देश को बचाना है। उसके लिए सभी को आगे आना चाहिए। सिर्फ राजनैतिक दल ही नहीं, बल्कि देश की जनता भी बीजेपी को हटाना चाहती है।’ अखिलेश ने आगे कहा, ‘मैं समझता हूं कि आने वाले समय में आप देखेंगे कि एक बहुत अच्छा गठबंधन तैयार होगा।’
वहीं पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी अखिलेश ने कहा, ‘भारत कई मोर्चों पर पिछड़ रहा है। महंगाई और पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। हम चाहते हैं कि बीजेपी वाले ऐसा चमत्कार करें, उनकी आर्थिक नीतियों में ऐसा चमत्कार हो कि जितना आज डॉलर में रुपया आ रहा है, एक दिन ऐसा आए कि रुपये में उतना डॉलर हो।’
सीटों की सौदेबाजी के लिए बीएसपी बना रही दबाव
दरअसल, मायावती ने विपक्षी दलों को यह कहकर एक बार फिर से सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि वह किसी भी गठबंधन में तभी जाएंगी, जब उन्हें सम्मानजनक सीटें मिलें। बीएसपी चीफ मायावती की ओर से सम्मानजनक सीटों की बात करना और कांग्रेस को भी महंगे ईंधन के लिए जिम्मेदार ठहराने के बयान को सीटों की सौदेबाजी के लिए दबाव के तौर पर देखा जा रहा है। यही नहीं बीएसपी चुपचाप अपने उन इलाकों में पैठ मजबूत करने में जुटी है, जिन्हें उसके मजबूत गढ़ों के तौर पर देखा जाता रहा है।
कांग्रेस 10 सीटों से कम पर तैयार नहीं
दूसरी तरफ एसपी चीफ अखिलेश यादव भी छोटी पार्टियों के संपर्क में बताए जा रहे हैं। वह निषाद पार्टी और पीस पार्टी को विपक्षी कैंप में लाने की कोशिश में हैं। हालांकि कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल सीटों के समझौते के मामले में अपनी जगह तलाशने की कोशिश में हैं। वहीं कहा जा रहा है कि कांग्रेस यूपी में 10 सीटों से कम पर तैयार नहीं है।
उधर, पूर्व केंद्रीय मंत्री अजीत सिंह की आरएलडी को सीटें आवंटन करने में काफी सतर्कता बरती जा रही है। माना जा रहा है कि कांग्रेस और आरएलडी के 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन को देखते हुए उनकी ज्यादा सीटों की मांग पर भी पेच फंस सकता है।
सारा मसला सीट पर अटका
यदि बीएसपी को महागठबंधन में सबसे ज्यादा सीटें मिलती हैं तो फिर समाजवादी पार्टी उससे 5 सीट से ज्यादा कम पर समझौता नहीं करेगी। कांग्रेस को सीट-शेयरिंग के फॉर्म्युले में कम से कम 10 सीटें हाथ लगने की उम्मीद है। इसके अलावा, अजित सिंह का पार्टी आरएलडी को साधना भी चुनौतीपूर्ण होगा। कांग्रेस और आरएलडी के लिए मुश्किल यह है कि 2014 के आम चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव के परफॉर्मेंस के आधार पर उनका दावा कमजोर है।