September 29, 2024

नगर निगम की आपराधिक लापरवाही से शहर में मचा हाहाकार,हर दिन पानी को तरस रहे है हजारों लोग

रतलाम,18 अप्रैल (इ खबरटुडे)। पिछले दो हफ्तों से पूरे शहर में पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। नगर निगम हर दिन व्यवस्था ठीक होने का दावा करता है और अगले ही दिन फिर कोई नई समस्या खडी हो जाती है। फिर से शहर के हजारों नागरिकों के सामने प्यास बुझाने का संकट खडा हो जाता है। लगातार दो हफ्तों तक हजारों नागरिकों को प्यासा रखने की आपराधिक लापरवाही बरते जाने के बावजूद नगर निगम के किसी अफसर या जनप्रतिनिधि को इसका कोई मलाल तक नहीं है। नागरिकों के वोट से चुनकर आई शहर की प्रथम नागरिक ने इतना हाहाकार मचने के बावजूद अपने स्तर पर समस्या का निराकरण करने की कोई पहल तक नहीं की है।
सामान्य नहीं आपराधिक लापरवाही
यह बात हर कोई जानता है कि गर्मियों के मौसम में पानी की आवश्यकता अधिक होती है। नगर निगम के अफसरों और जनप्रतिनिधियों को भी इतनी समझ तो है ही कि वे भी इस बात को समझ सके। लेकिन इसके बावजूद गर्मियों के पहले पेयजल वितरण की व्यवस्था का मेन्टनेन्स नहीं करना,सीधे सीधे नगर निगम की लापरवाही को दर्शाता है। चूंकि इस लापरवाही के कारण प्रतिदिन हजारों नागरिकों का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है,इसलिए ये लापरवाही सामान्य नहीं बल्कि आपराधिक लापरवाही है। आपराधिक लापरवाही कानून की नजर में दण्डनीय अपराध है,लेकिन नगर निगम के जिम्मेदारों को दण्डित किए जाने की कोई व्यवस्था नहीं है।
पर्याप्त व्यवस्था फिर भी समस्या
ऐसा नहीं है कि ढोलावाड से पेयजल को रतलाम तक पंहुचाने के लिए तकनीकी रुप से कोई कमी है। ढोलावाड बान्ध के इन्टेक वेल पर तीन मोटरें है,जो कि क्रमश: 335,280 और 180 हार्सपावर की है।इसी तरह नए इन्टेकवेल पर सौ-सौ हार्सपावर के दो सबमर्सिबल और 300 हार्सपावर की टर्बाइन है। ढोलावाड बान्ध से मोरवनी फिल्टर प्लान्ट तक पानी पंहुचाने की इस व्यवस्था के अलावा मोरवानी फिल्टर प्लान्ट से रतलाम तक पानी पंहुचाने के लिए ढाई-ढाई सौ हार्सपावर की दो मोटरें और एक तीन सौ हार्सपावर की मोटर उपलब्ध है। गर्मियों का मौसम आने के पहले इन सभी उपकरणों की जांच और मरम्मत इत्यादि करवाई जाना चाहिए,ताकि गर्मियों में जलप्रदाय बाधित न हो सके। लेकिन जिस तरह उपकरण खराब हो रहे है उससे तो यही लगता है कि गर्मियों के पहले उपकरणों की कोई देखरेख नहीं की गई।
इतना ही नहीं,जलप्रदाय के लिए एक समय में एक ही मोटर का उपयोग होता है। शेष दो मोटरों को वैकल्पिक तौर पर रखा जाता है। यदि किसी कारणवश एक मोटर खराब हो जाए,तो तत्काल दूसरी को चालू किया जा सके और यदि वह भी खराब हो जाए,तो तीसरी चालू की जा सके। लेकिन नगर निगम की लापरवाही का आलम देखिए कि जब तक तीनों मशीनें खराब नहीं हो जाती,तब तक मरम्मत की मंजूरी नहीं दी जाती। निगम सूत्रों का कहना है कि मशीनों में छोटी मोटी खराबी आने पर जब वरिष्ठों की इसकी सूचना दी जाती है,तो वे मरम्मत कराने की अनुमति ही नहीं देते। वे तबतक इंतजार करते है,जब तक कि मशीनें पूरी तरह खराब ना हो जाए। एक मशीन पूरी तरह खराब हो जाने पर भी मरम्मत के आदेश नहीं दिए जाते। दूसरी और फिर तीसरी के खराब होने के इंतजार किया जाता है। इसी का नतीजा है कि हर दिन कोई न कोई तकनीकी खराबी आती है और जलप्रदाय बाधित हो जाता है। इतना सबकुछ हो रहा है लेकिन आज तक नगर निगम के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने इस बारे में कोई विचार नहीं किया,इसकी जिम्मेदारी तय कर दी जाए।
जवाब देने को कोई तैयार नहीं
पूरे शहर में पानी को लेकर हाहाकार मचा है,लेकिन नगर निगम का कोई भी जिम्मेदार यह बताने को राजी नहीं है कि समस्या हल होगी या नहीं? हल होगी तो कब होगी? महापौर डॉ सुनीता यार्दे से इस बारे में जानकारी लेने के लिए जब फोन लगाया गया,तो पता चला कि वे अवकाश के दिन मीटींग में व्यस्त है। हांलाकि यह मीटींग जल समस्या हल करने के सम्बन्ध में नहीं थी। निगमायुक्त एसके सिंह और जलप्रदाय प्रभारी एपी आचार्य दोनों के ही मोबाइल स्विच आफ थे। साफ है कि नगर निगम के अफसर और जनप्रतिनिधि यह बताना नहीं चाहते कि पेयजल की समस्या हल होगी या नही..?

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