April 26, 2024

राम नगरी अयोध्या से आज रवाना होगा राम राज्य यात्रा रथ

अयोध्या,13 फरवरी (इ खबरटुडे)।  भगवान राम की नगरी अयोध्या में राम जन्मभूमि का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। इसी बीच आज अयोध्या से 41 दिन लंबी राम राज्य यात्रा निकलेगी। यह यात्रा विभिन्न प्रदेश से होकर गुजरने के बाद 25 मार्च को रामेश्वरम में समाप्त होगी। श्रीरामदास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी की ओर से प्रस्तावित इस राम राज्य रथयात्रा के पांच उद्देश्य हैं। यात्रा का आयोजन विश्व हिंदू परिषद ने किया है।

भगवान राम की नगरी अयोध्या से 28 वर्ष बाद राम राज्य यात्रा निकलेगी। यहां अयोध्या से 41 दिनों की यात्रा पर 28 फुट लंबा राम राज्य रथ चलेगा। राम राज्य रथ यात्रा छह राज्यों से होते हुए 6000 किलोमीटर की दूरी तय कर कर 25 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। यात्रा को विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय आज दिन में करीब तीन बजे हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। अयोध्या के तमाम संत भी इस रथ की अगवानी और विदाई में उपस्थित रहेंगे। इससे पहले संत सभा का भी आयोजन करीब एक बजे किया गया है। इस रथ यात्रा की विदाई के लिए अयोध्या कारसेवक पुरम में संतों का भारी जमावड़ा होगा। अयोध्या के मुख्य मार्ग से होते हुए भरत कुंड नंदीग्राम पर इसका पहला विश्राम होगा।

रामेश्वरम से होती हुई यात्रा उसी दिन तिरुवनंपुरम पहुंचेगी। यहां स्थित सुप्रसिद्ध पद्मनाभ मंदिर के सामने रामराज्य सम्मेलन के माध्यम से यात्रा से जुड़ी मांग को पूरी शिद्दत से बुलंद किया जाएगा। इनमें रामराज्य की स्थापना, रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण, रामायण को विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल कराना, रविवार की जगह गुरुवार को साप्ताहिक अवकाश एवं साल में एक दिन विश्व ङ्क्षहदू दिवस घोषित करने की मांग शामिल है। रथयात्रा के संचालक अपनी मांग के समर्थन में 10 लाख से अधिक लोगों का हस्ताक्षर भी एकत्र करेंगे और उसे राष्ट्रपति को सौंपेंगे।

यूनिवर्सल सोसाइटी के अध्यक्ष स्वामी कृष्णानंद सरस्वती एवं महासचिव श्रीशक्ति शांतानंद सहित मणिरामदासजी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास एवं विहिप के धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी सोमवार को मीडिया से मुखातिब हुए और यात्रा से संबंधित जानकारी दी।

इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण ने 25 सितम्बर 1990 में गुजरात के सोमनाथ से एक रथ यात्रा निकाली थी। रथ यात्रा का उद्देश्य था विश्व हिन्दू परिषद् के राम मंदिर आन्दोलन का समर्थन करना। यह यात्रा पूरे देश से होते हुए अयोध्या में समाप्त होनी थी। अयोध्या से रामेश्वरम तक की राम राज्य रथ यात्रा छह राज्यों से होते हुए 6000 किलोमीटर की दूरी तय कर कर 25 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। राम राज्य रथ दोपहर तीन बजे अयोध्या से रामेश्वरम के लिए निकलेगा।

यह रथ में 28 फुट लंबा है और 28 खंबे लगे हुए हैं। इस रथ के अंदर रामजानकी और हनुमान जी की मूर्तियां विराजमान है। एक छोटा सा मंदिर भी रथ के अंदर बनाया गया है। अयोध्या से शुरू हो रही इस रथयात्रा में दक्षिण भारत के प्रमुख संत स्वामी कृष्णानंद सरस्वती भी रहेंगे। यह यात्रा नंदीग्राम, इलाहाबाद, वाराणसी, सागर, चित्रकूट, छतरपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, ओंकारेश्वर, त्रयम्बकेश्वर, नारायणपुर, विजयपुरा, किष्किंधा बेलारी, बंगलुरू, मैसूर, कन्नूर होते हुए 23 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। 25 मार्च को तिरुवनंतपुरम पहुंचकर समाप्त हो जाएगी।

इस यात्रा की पांच प्रमुख मांगे हैं, जिनमें राम मंदिर निर्माण, राम राज्य और स्कूल के पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल किया जाना प्रमुख है। करीब डेढ़ महीने तक चलने वाली यह यात्रा छह राज्यों से होकर गुजरेगी और 23 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। इस के दौरान जगह-जगह कई सभाएं भी होंगी। इन सभाओं के जरिए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, रामराज्य की स्थापना के साथ ही रामायण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग होगी।

राजनीतिक निहितार्थ

इस रथ यात्रा के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा एक बार फिर भगवान राम के शरण में है। इस यात्रा को 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों से भी जोड़ा जा रहा है। भाजपा जहां एक तरफ ओरछा के ‘राम राजा सरकार’ के दरबार में 14-15 फरवरी को दो दिवसीय शिविर लगाकर अपनी रणनीति का मंथन करने जा रही है, वहीं 13 फरवरी से भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या से रामेश्वरम तक राम राज्य यात्रा निकालने जा रही है। माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिए हिंदू संगठन और भगवा टोली एक बार फिर उत्तर से लेकर दक्षिण तक राम मंदिर के मुद्दे पर माहौल तैयार करेगी। यह ठीक वैसा ही है जैसा कि लाल कृष्ण आडवाणी ने 90 के दशक में रथ यात्रा निकाल कर किया था। इस यात्रा के पीछे 2019 के लोक सभा चुनाव की तैयारियां भी छिपी हुई हैं।

अगले वर्ष रामनवमी को होगा रामलला का पट्टाभिषेक

श्री रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी के महासचिव श्रीशक्ति शांतानंद ने उम्मीद जताई कि अगले वर्ष रामनवमी के अवसर पर जब वे एक अन्य रामराज्य रथयात्रा के साथ वापस अयोध्या आएंगे तो यहां पर रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका होगा और उसी दिन रामलला का पट्टाभिषेक किया जाएगा। शांतानंद एवं उनके अन्य साथी यह नहीं स्पष्ट कर सके कि रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण कैसे संभव होगा।

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