December 25, 2024

दुष्कर्मियो को फांसी की सजा के प्रावधान से राहत महसूस कर रही बेटियाँ-महिलाएँ

reporter

भोपाल,14 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। मध्यप्रदेश विधानसभा में सर्वसम्मति से दण्ड विधि (म.प्र. संशोधन) विधेयक पारित होने से प्रदेश की महिलाएँ और बेटियाँ राहत महसूस कर रही हैं। महिलाओं और बेटियों ने शासन के इस ऐतिहासिक कदम का स्वागत किया है। सरकार के इस फैसले से बेटियों को संबल मिला है। महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिये ऐसा कानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बन गया है मध्यप्रदेश।

विधानसभा में अभी नवम्बर 2017 में ही नया कानून दण्ड विधि (म.प्र. संशोधन) विधेयक-2017 पारित किया गया है। यह विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा। राष्ट्रपति के मंजूरी के बाद यह विधेयक कानून की शक्ल लेगा। इस संशोधन विधेयक के द्वारा दुष्कर्म से संबंधित आईपीसी की धारा-376 में नई धाराएं जोड़ी गई हैं जिसमें मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। इसमें 12 वर्ष की कम उम्र की बच्ची के साथ दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के मामले में फाँसी की सजा का प्रावधान है। छात्राओं, युवतियों और महिलाओं से अभद्रता करना, उन्हें घूरने या पीछाकर छेड़-छाड करने वालों तथा सोशल नेटवर्किंग साइट पर अश्‍लील टिप्पणी करने वालों पर कारावास की सजा के साथ एक लाख रुपये तक के अर्थदण्ड का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, इस संशोधन विधेयक में विवाह का प्रलोभन देकर ज्यादती करने वाले आरोपी को तीन साल की सजा का प्रावधान नई धारा में जोड़कर किया जा रहा है।

पन्ना जिले के शासकीय महिला महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य डॉ. सरिता खरे कानून में इस बदलाव के प्रयासों का स्वागत करते हुए कहा है कि ऐसे जघन्य अपराधियों के लिए फाँसी की सजा ही उपयुक्त है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूर्णत: निष्पक्ष होना चाहिये ताकि कोई निर्दोष इस सजा से प्रताड़ित नहीं हो। महाविद्यालय में प्रथम वर्ष की छात्राएँ भारती कुशवाहा, शिल्पा विश्वकर्मा, रोशनी खान, जाशमीन खान एवं प्रियंका कोरी शासन के इस निर्णय को सही बताते हुए अब उन्हें राहत महसूस कर रही हैं।

मॉर्डन आफिस मेनेजमेंट का कोर्स कर रहीं श्रीमती प्रियंका सिंह, सुरभि खरैया और ज्योति राठौर के मुताबिक कानून में यह बदलाव बेहद जरूरी हो गया था। सरकार की यह पहल सराहनीय है। शिक्षिकाएँ रोशनी गुप्ता, आशिया निशा, प्रियंका केसरवानी एवं श्रीमती बबीता यादव का तो साफ कहना है कि महिलाओं की गरिमा, आबरू और आत्म-सम्मान को चोट पहुँचाने वाले और दूषित मानसिकता के ऐसे अपराधियों के लिए फाँसी की सजा ही उपयुक्त है ताकि कोई दूसरा ऐसा करने की कल्पना भी न कर सके।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds