December 25, 2024

तीन तलाक पर आ गई फैसले की घड़ी, शीर्ष अदालत का आएगा ‘सुप्रीम’ फैसला

modi-muslim-girl-768x402

नई दिल्ली,21 अगस्त(इ खबरटुडे)। तीन तलाक के मुद्दे पर मंगलवार का दिन बेहद अहम रहनेवाला है। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ तीन तलाक के मुद्दे पर अपना अहम फैसला दे सकता है।इस खंड पीठ में सभी धर्मों के जस्टिस शामिल हैं जिनमें चीफ जस्टिस जेएस खेहर (सिख), जस्टिस कुरियन जोसफ (क्रिश्चिएन), जस्टिस रोहिंग्टन एफ नरीमन (पारसी), जस्टिस यूयू ललित (हिंदू) और जस्टिस अब्दुल नजीर (मुस्लिम) शामिल हैं। इस मामले पर शीर्ष अदालत में 11 से 18 मई तक सुनवाई चली थी जिसमें मुस्लिम समुदाय में चल रही प्रथा तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह की वैधानिकता को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनावई हुई।

तीन तलाक की वैधानिकता पर सुप्रीम फैसला
तीन तलाक पर सुनवाई इस मायने में बेहद अहम रही क्योंकि उच्चतम अदालत ने इस मुद्दे पर गर्मियों की छुट्टी के दौरान भी सुनवाई जारी रखी। सुप्रीम कोर्ट का तीन तलाक पर फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अप्रैल के आखिरी हफ्ते में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में तीन तलाक को एकतरफा और कानून के अनुरूप नहीं बताया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन तलाक को बताया था एकतरफा
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अकील जमील की उस याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया था जिसमें उसकी पत्नी ने अकील के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज किया था। उसने अपने पति अकील पर दहेज के लिए मारपीट करने और जब मांगें पूरी ना होने पर तीन तलाक देने के चलते केस दर्ज किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- तीन तलाक की वैधानिकता पर होगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कहा था वह मुस्लिमों में चल रहे तीन तलाक, निकाह हलाल और बहु विवाह की वैधानिकता से संबंधित मुद्दों पर फैसला करेगा। उधर, सुप्रीम कोर्ट में अपनी ओर से दिए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा था कि वह तीन तलाक की प्रथा को वैध नहीं मानती और इसे जारी रखने के पक्ष में नहीं है।

अदालत में सुनवाई के दौरान ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने माना था कि वे सभी काजियों को एडवाइजरी जारी करेगा ताकि वे ट्रिपल तलाक पर न केवल महिलाओं की राय लें, बल्कि उसे निकाहनामे में शामिल भी करें। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं।

शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से किया था सवाल
इससे पहले 18 मई को सुनवाई के आखिरी दिन शीर्ष अदालत ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से पूछा था कि क्या निकाह के समय ‘निकाहनामा’ में महिला को तीन तलाक के लिए ‘ना’ कहने का विकल्प दिया जा सकता है? चीफ जस्टिस खेहर ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल से पूछा- क्या ये संभव है कि किसी महिला को निकाह के समय ये अधिकार दिया जाए कि वह तीन तलाक को स्वीकार नहीं करेगी? कोर्ट ने पूछा कि क्या एआईएमपीएलबी सभी काजियों को निर्देश जारी कर सकता है कि वे निकाहनामा में तीन तलाक पर महिला की मर्जी को भी शामिल करें।

अटॉर्नी जनरल ने SC से कहा- निरस्त होने पर केन्द्र लाएगा नया कानून
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से सुनवाई के दौरान कहा था, ‘अगर शीर्ष अदालत तुरंत तीन तलाक के तरीके को निरस्त कर देती है तो केंद्र सरकार मुस्लिम समुदाय के बीच शादी और तलाक के नियमन के लिए एक कानून लाएगी।’ मुकुल रोहतगी ने ये बातें तब कही, जब अदालत ने उनसे पूछा कि अगर तीन तलाक के तरीके निरस्त कर दिए जाएं तो शादी से निकलने के लिए किसी मुस्लिम मर्द के पास क्या तरीका होगा?

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds