भगवान कभी आने में देरी नहीं करते, हम ही उन्हें बुलाने में देरी करते हैं-अनिरुद्धाचार्य महाराज
रतलाम,17 अप्रैल ( (इ खबरटुडे)। श्री सांईधाम वृंदावन से पधारे अनिरुद्धाचार्य महाराज ने मां कालिका के दरबार में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन भगवान हरि के अवतार की कथा सुनाई। महाराज ने कहा कि हरि ने गज और गृह के उद्धार के लिए अवतार लिए थे। जह हाथी ने पानी में डूबते समय ऐरावत जैसे-जैसे पानी में अंदर जाता गया, वैसे वैसे उसका मन भयभीत होता गया। जब केवल जौ बराबर सूंड उसकी पानी के बाहर थी तब उसे भगवान की याद आई। उसने जैसे ही प्रभु का स्मरण किया वैसे ही भगवान उसकी मदद के लिए प्रगट हो गए।
महाराज ने कहा कि भगवान कभी आने में देरी नहीं करते, हम ही उन्हें बुलाने में देरी करते हैं। हम जब भी भगवान को बुलाते हैं ऊपरी मन से बुलाते। भावों से याद किया जाए तो उसी पल परमात्मा हमारी मदद के लिए साधन भेज ही देता है। किसी ने पूछा कि हमें भगवान कितने दिनों में कितनों सालों में मिलेंगे। हमने उसका जवाब दिया कि अगर भक्ति सच्ची हो तो भगवान दिनों या सालों में नहीं बल्कि पलों में मिल जाते हैं। गाय की सींग के ऊपरी हिस्से में जितने देर राई का दाना टिकता है बस उतनी ही देरी में भगवान मिल जाएंगे। भगवान कहीं आते-जाते नहीं है। भगवान सभी जगह समरूप से विद्यमान रहते हैं। जब हम उनको सच्चे ह्रदय से याद करते हैं, भगवान वहीं प्रकट हो जाते हैं। महाराज ने सूर्यवंश का वर्णन करते हुए भक्त अम्बरीक की कथा सुनाई।
जन्मोत्सव पर थिरके भक्त
कथा श्रवण के दौरान कथा प्रांगण परिसर में श्री राम और श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का प्रसंग चित्रित किया गया। इस दौरान टोकरी में छोटे से कन्हैयाजी अपने सिर पर रखे वासुदेव जैसे ही कथा प्रांगण में आए वैसे ही भक्त भावविभोर हो गए। नंद घर आनंद भयो जैसे भजनों पर भक्तों ने जमकर नृत्य किया। परिसर में फूलों की बरसात हो गई।